चोकलेट से बच्चों पर दुष्प्रभाव

Created on Thursday, 21 July 2016 13:42
Written by Shail Samachar

शिमला। यह तो हम सभी जानते हैं कि चोकलेट बच्चों के लिए एक बहुत ही पसंदीदा खाद्य है। बच्चों को चोकलेट इसलिए दिलवाई जाती है कि वे खुश रहें, उनका कहना माने और शैतानी ना करें। क्या आप जानते हैं कि चोकलेट बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। चोकलेट बनाने के लिये जो भी अवयव उपयोग किये जाते हैं वो लगभग सभी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
ं चीनीः चोकलेट में बहुत अधिक मात्रा में चीनी पायी जाती है, जिसका कोई पोष्टिक महत्व नहीं होता। इससे बच्चों के दांतों में क्षय की बीमारी और छेद तक हो सकते हैं। साथ ही भूख ना लगाना, वजन बढ़ना आदि समस्याएं हो सकती हैं।
ं मक्खन और क्रीमः चोकलेट को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए आवश्यकता से अधिक मात्रा में मक्खन और क्रीम मिलाई जाती है, जिनमे बहुत अधिक मात्रा में संतृप्त वसा (Saturated Fats) होता है। 44 ग्राम की एक मिल्क-चोकलेट में 8 ग्राम संतृप्त वसा होता है और 28 ग्राम की एक डार्क-चोकलेट में 5 ग्राम संतृप्त वसा होता है जिससे रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती है।
ं कार्बोहाइड्रेटः एक मिल्क - चोकलेट में 17 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है और एक डार्क-चोकलेट में 26 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है जो कि ब्लड-शुगर को बढाता है, इससे डाईबीटीज की संभावना बढ़ जाती है।
ं कोफीन (Caffeine): डार्क-चोकलेट में पर्याप्त मात्रा में कोफीन(Caffeine)  होता है, जो बच्चों के केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्रा को उत्तेजित करता है, जिससे बच्चे कुछ समय के लिए स्फूर्ति अनुभव करते हैं। मगर अधिक मात्रा में डार्क-चोकलेट खाने से कोफीन अपना विपरीत प्रभाव दिखाती है और विभिन्न समस्याओं को जन्म देती है जैसे हृदय की धड़कन का बढ़ना, मानसिक तनाव, अवसाद, अनिद्रा, बैचैनी, अरूचि, कंपकंपी आदि।
ं वनस्पति घीः चोकलेट बनाने के लिए कोकाआ के बीन्स (Cocoa Beans)से निकला कोकाआ मक्खन (Cocoa Butter) और लेसिथिन (Lecithin)  आदि का प्रयोग किया जाता है, मगर भारत की गर्म जलवायु को मध्यनजर रखते हुए बहुत सी कम्पनियाँ कोका मक्खन ना मिलाकर वनस्पति घी (सामान्य भाषा में डालडा) प्रयोग का करती हैं। वनस्पति घी मंे निकल की पर्याप्त हानिकारक मात्रा पाई जाती है। इस प्रकार से चोकलेट में भी ‘निकल’ की मात्रा पाई जाती है। वनस्पति घी के सेवन से कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती है और उच्च रक्तचाप और हृदयाघात का खतरा हो सकता है। यह ‘निकल’ नामक तत्व बच्चों के शरीर में दांतों की खराबी, केंसर, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, असमय सफेद बाल आदि का कारक है। एटाॅमिक एब्सोर्प्सन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर (Atomic Absorpsion  Spectrophotometer) की जाँच से मालूम पड़ा है कि जहाँ 40 ग्राम औसत भार की एक चोकलेट में 4 माइक्रोग्राम निकल होना चाहिए, वहीं इसकी मात्रा 600 से 1300 माइक्रोग्राम होती है। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम की पुस्तिका के मानक IS 1163 तथा 1971 में निकल को विष की श्रेणी में नहीं रखा गया है जो कि सर्वथा अनुचित है।
बड़ों को चाहिए कि वे बच्चों को चोकलेट का सेवन कम से कम करने दें, ना कि नियमित रूप से देकर उन्हें खुश रखें। अच्छा रहेगा की चोकलेट बच्चों के लिए केवल विशेष अवसरों पर उपहार में देने की वस्तु ही रखें।
- डा. महेश के. वर्मा, शिमला