भाजपा पर भारी पड़ सकती है भूतपूर्व सैनिकों की नाराज़गी

Created on Wednesday, 08 November 2017 10:08
Written by Shail Samachar

शिमला शैल। देश के भूतपूर्व सैनिक ’’वन रैंक वन पैन्शन’’ की मांग को लेकर 870 दिनों से दिल्ली के जन्तर- मन्तर पर लगातार अपना आन्दोलन जारी रखे हुए है। पिछले दिनों एनजीटी ने एक आदेश पारित करके जन्तर- मन्तर को आन्दोलन स्थल के रूप में प्रयोग किये जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इस आदेश की अनुपालना में दिल्ली पुलिस ने जन्तर - मन्तर से इन आन्दोलन रत भूतपूर्व सैनिको को 31 अक्तूबर 2017 को बल पूर्वक हटा दिया। पुलिस द्वारा किया गया बल प्रयोग एक अपमान की सीमा तक जा पहुंचा है। इस अपमानजनक बल प्रयोग से यह भूतपूर्व सैनिक और आहत हो उठे हैं। आज यह सैनिक प्रधानमन्त्री के खिलाफ वादा खिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। देश के प्रधानमन्त्री के खिलाफ इस तरह आरोप उस समय लगना जब हमारी सीमाओं पर हर तरफ तनाव का वातावरण बना हुआ है। अपने में एक गंभीर चिन्ता और चिन्तन का विषय बन जाता है।
सत्ता पक्ष द्वारा इस तरह प्रताडित और अपमानित किये जाने के बाद इन सैनिको ने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस से अपने पार्टी मंच के माध्यम से देश की जनता के सामने इनकी मांगों को रखने के लिये आग्रह किया है। क्योंकि सत्ता पक्ष के साथ प्रमुख विपक्षी दल की भी राष्ट्रहित के मामलों में बराबर की जिम्मेदारी हो जाती है। इन पूर्व सैनिको की पीड़ा को जनता के सामने लाने के लिये कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने शिमला में इन सैनिकों को पार्टी का मंच प्रदान किया। यह एक संयोग है कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं और 9 तारीख को मतदान होना है। इस समय हिमाचल में करीब 11.50 लाख भूतपूर्व सैनिक है।
कांग्रेस के मंच का इस्तेमाल करते हुए इण्डियन एक्स सर्विस मैन मूवमैन्ट के चेयरमैन मेजर जनलर (रि॰ ) सतवीर सिंह और यूनाईटड एक्स सर्विस मैन मूवमैन्ट के वाईस चेयरमैन ग्रुप कैप्टन वी के गांधी और अन्य पदाधिकारियों ने प्रदेश की जनता के सामने अपनो पक्ष रखते हुए मोदी सरकार से यह सवाल उठाये है।
मादी सरकार ने ’’वन रैंक वन पैन्शन’’ (आरोप ) को न लागू कर भारत के सैनिकों और भूतपूर्व सैनिकों के साथ विश्वासघात किया है। ’’वन रैंक वन पैन्शन’’ की मांगे कर रहे सैनिक 870 दिनों से जंतर - मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। आन्दोलनकारी भूतपूर्व सैनिक 32,000 से अधिक युद्ध पदक सरकार को लौटा चुके हैं। लेकिन भाजपा या प्रधानमन्त्री मोदी के कानों पर जूं तक नही रेंग रही है।
दूसरी तरफ की सरकार ने 14 अगस्त 2015 को स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर जंतर मंतर पर आन्दोलिन सैनिको पर हमला करके उनका अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 31 अक्तूबर 2017 की नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ’’वन रैंक वन पैन्शन’’ की मांग कर रहे सैनिकों और सैनिको की विधवाओं का अपमान करके न केवल उन्हे गिरफ्तार किया बल्कि बलपूर्वक उन्हे वहां से खदेड़ दिया।
पटेल चैक, नई दिल्ली से 12 भूतपूर्व सैनिको को उस समय गिरफ्तार किया जब वह चुपचाप बस स्टाॅप पर बैठे थे। उनके हाथ में कोई बैनर, कोई पोस्टर नही था और न ही वह कोई नारा लगा रहे थे। इसके बाद भी 25.50 पुलिसकर्मीयों ने उन पर लाठियां भांजीं और फिर उन्हे हिरासत मे ले लिया। क्या नरेन्द्र मोदी की नजरों में प्रजातंत्र के यही मायने है?
विरोधी स्वर को दबाना, जनमानस की आवाज को कुचलना और लोकतन्त्र का गला घोंटना केन्द्र की भाजपा सरकार की पहचान बन गए हैं।
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्र की भाजपा सरकार को हिमाचल प्रदेश के 11.50 लाख भूतपूर्व सैनिको को निम्नलिखित प्रश्नों के जवाब देने ही होंगे।
1. 17 फरवरी 2014 को केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 1 अप्रैल 2014 से  "वन रैंक वन पैन्शन’’ को स्वीकार कर लिया था। 26 फरवरी 2014 को उस समय रक्षामन्त्री ए के एंटोनी ने बैठक की अध्यक्षता की और वित्तवर्ष 2014-2015 से रक्षाबलों की सभी रैंक्स के लिये ’’वन रैंक वन पैन्शन ’’ लागू करने का निर्णय लिया। दिनांक , 26.02.2014 को भेजे गए पत्र तथा ’’वन रैंक वन पैन्शन’’की मीटिंग के मिनट्स संलग्नक A-1 में संलग्न है।
मिनट्स के पैरा 3 में यह साफ कहा गया है कि ’’ वन रैंक वन पैन्शन ’’ का मतलब है कि एक समान अवधि तक सेवाएं देने के बाद एक समान रैंक से रिटायर होने वाले सशस्त्र बलों के सनिकों को एक समान पेंशन दी जाएगी फिर चाहे उनकी रिटायरमेंट की तारीख कोई भी क्यों न हो तथा भविषय में पेंशन की दरों में होने वाली वृद्धि पहले से पेंशन पा रहे लोगों को स्वतः ही मिलने लगेगी।
इसलिये क्या यह सही नहीं है कि "वन रैंक वन पेन्शन ’’ में बराबरी के सिंद्धात को स्पष्ट व निष्पक्ष रूप से अपनाया गया था।
2. मई 2014 में केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी और नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। डेढ़ साल बीत जाने के बाद 7 नवम्बर 2015 को मादी सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करके तीनों सेनाओं के 40 प्रतिशत सैनिकों को ’’ वन रैंक वन पेन्शन के फायदे से वंचित कर दिया तथा समय से पहले रिटायरमेंट लेने वाले सैनिकों को वन रैंक वन पेन्शन का फायदा देने से इंकार कर दिया। 7 नवम्बर 2015 को जारी नोटिफिकेशन के क्लाॅज 4 में कहा गया है कि ’’ 4. जो सैनिक सेना नियम 1954 के नियम 16 वी या नियम 13 (3), 1(i) (b), 13 (3) 1(iv) या इसके समतुल्य नेवी या एयरफोर्स के नियमों के तहत अपने खुद के निवेदन पर सेवानिवृत होता है उसे ’’वन रैंक वन पेन्शन का फायदा नही दिया जाएगा।
क्या भाजपा सरकार को इस बात की जानकारी नही है कि जूनियर रैंक के लगभग सभी कर्मचारी खासकर जवान /जूनियर कमीशंड आॅफिसर 40 वर्ष की आयु में रिटायर हो जाते हैं? केवल 30 प्रतिशत सैनिक ही कर्नल बन पाते है। बचे हुए अधिकांश अधिकारी 20 साल की सेवा पूर्ण होने पर समयपूर्व रिटायमेंट ले लेते हैं। समय से पहले रिटायरमेंट लेने वाले सैनिकों की संख्या भी लगभग 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत हैं तो क्या तीनों सेनाओं के सभी सेवाधीन सैनिकों को ’’वन रैंक पेंशन के फायदों से वंचित कर देना उनके साथ अन्याय नहीं ?
3. केन्द्र की भाजपा सरकार को जुलाई 2014 के निर्णय को लागू करने में क्या परेशानी है? भाजपा सरकार से उस समय कांग्रेसस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार द्वारा लिये गए निर्णय के अनुसार 4 अप्रैल 2014 से "वन रैंक वन पेंशन" लागू क्यों नही होने दिया ? कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा लागू ’’ वन रैंक वन पेंशन" को खारिज करके मोदी सरकार भूतपूर्व सैनिकों को इसके फायदों से वंचित क्यों कर रही है?
4. मोदी सरकार ने पांच साल पूरे हो जाने के बाद पेंशन की पुनः समीक्षा की शर्त क्यों रखी जबकि सभी अनुभवी लोग दो सालों में समीक्षा की मांग कर रहे थे?
5. रिटायर्ड एंव सेवाधीन भूतपूर्व सैनिकों सहित सभी हितग्राहियों की पाचं सदस्यीय कमेटी की जगह "वन रैंक वन पेंशन" की समीक्षा एक सदस्यीय कमेटी द्वारा क्यों कराई जाएगी ?
6. कांग्रेस पार्टी द्वारा तय किए गए "वन रैंक वन पेंशन" में भूतपूर्व सैनिकों को सर्वाधिक वेतन के आधार पर पेंशन मिलती। वर्तमान व्यवस्था में पेंशन का निर्णय सबसेे कम वेतन के औसत के आधार पर लिया जाएगा। मोदी सरकार ने यह एक तरफा व्यवस्था लागू करके
भूतपूर्व सैनिकों को फायदों से वंिचत क्यों किया जिसके चलते विभिन्न पेंशनभोगियों की पेंशन में असमानता आ जाएगी?
7. मोदी सरकार 7 फरवरी / 26 फरवरी 2017 को लिये निर्णय के अनुसार ’’ वन रैंक वन पेंशन’’ लागू करने की वजाये इसकी मांग कर रहे सैनिकों और सैनिकों की विधवाओं पर अत्याचार कर उनकी गिरफ्तारी क्यों कर रही है?
मोदी सरकार भारत एंव हिमाचल प्रदेश के सैनिकों की आवाज दबा नही सकती। यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा राजनीति करना चाहते हैं तो वह जान लें कि हिमाचल प्रदेश के सैनिकों और यहां के लोगों को गुमराह नही किया जा सकता। सैनिक वन रैंक वन पेंशन के इस विश्वसघात को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

        यह है फरवरी 2014 में जारी हुआ पत्र और बैठक में पारित प्रस्ताव