अब सरकार जेल से नहीं चलेगी। मोदी सरकार ने इस आश्य का संविधान संशोधन विधेयक इस मानसून सत्र में लाने का प्रयास किया है। जैसे ही यह विधेयक गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में रखा तो उस पर जिस तरह की प्रतिक्रिया विपक्ष की सामने आयी उससे यह विधेयक प्रवर समिति को सौंपना पड़ गया। प्रवर समिति इस पर विचार विमर्श करके पुनः सरकार को सौंपेगी और तब संभव है कि यह विधेयक पारित हो जाये। प्रधानमंत्री मोदी इस प्रस्तावित विधेयक को जिस तरह से जनता में रख रहे हैं उससे सरकार की नीयत और नीति दोनों पर ही कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसलिए इस पर एक व्यापक बहस की आवश्यकता हो जाती है। स्मरणीय है कि 2014 में जब नरेन्द्र मोदी ने अन्ना आन्दोलन के प्रतिफल के रूप में सत्ता संभाली थी तब उस आन्दोलन के मुख्य बिन्दु ही भ्रष्टाचार और काला धन थे। इन्हीं की जांच के लिये लोकपाल की मांग इस आन्दोलन का मुख्य मुद्दा बन गया था। भ्रष्टाचार के आरोप का आधार सी.ए.जी. विनोद राय की 2G स्पेक्ट्रम पर आयी रिपोर्ट थी। लाखों करोड़ का भ्रष्टाचार होने का आंकड़ा इस रिपोर्ट में परोसा गया था। काले धन पर बाबा रामदेव के ब्यानों के आंकड़े थे। आरोप गंभीर थे और देश ने इन्हें सच मानकर कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। हालांकि लोकपाल का मसौदा डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ही पारित कर गयी थी। तब मोदी भाजपा ने देश से वायदा किया था कि संसद और विधानसभाओं को अपराधियों से मुक्त करेंगे। उस वातावरण में कांग्रेस और अन्य दलों से कई नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया था।
उस परिदृश्य में सरकार बदल गयी। विनोद राय की रिपोर्ट पर जांच चली और विनोद राय ने अदालत में शपथ पत्र देकर ब्यान दिया कि उन्हें गणना करने में चूक लगी थी और ऐसा कोई घपला हुआ ही नहीं था। इस ब्यान के बाद विनोद राय को बी.सी.सी.आई. में एक बड़ा पद दे दिया गया और जनता भ्रष्टाचार के इस सनसनीखेज आरोप को भूल गयी। यह मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कारवाई थी। काले धन के आंकड़ों पर बाबा रामदेव चुप्पी साध गये। स्वयं सुप्रीम कोर्ट की प्रताड़ना का एक मामले में शिकार हुये। आज काले धन का आंकड़ा नोटबंदी के बावजूद पहले से दो गुना हो चुका है। विपक्ष के जितने भी नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे ई.डी और सी.बी.आई. ने कारवाई की वह सब भाजपा में जाकर पाक साफ हो गये हैं। आज शायद दल बदल कर भाजपा में आये नेताओं का आंकड़ा संसद में मूल भाजपाइयों से बड़ा है। ई.डी. आयकर और सी.बी.आई. प्रताड़ना के हथियार मात्र बनकर रह गये हैं। ई.डी. की शक्तियों का किसी समय अनुमोदन करने वाला सुप्रीम कोर्ट ही आज उस पर सबसे गंभीर सवाल उठाने लग गया है। संसद और विधानसभाओं को अपराधियों से मुक्त करवाने के वायदे का प्रतिफल आज यह है कि भाजपा में ही अपराधियों की संख्या सबसे ज्यादा हो गई है। इस परिदृश्य में यह आशंका एकदम जायज हो जाती है कि किसी भी मंत्री/मुख्यमंत्री के पीछे सी.बी.आई./ई.डी. लगाकर उसे गिरफ्तार करवा दो और तीस दिन तक जमानत न होने दो अपने आप सत्ता से व्यक्ति बाहर हो जायेगा। अरविन्द केजरीवाल और सत्येंद्र जैन इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि इस संशोधन से तीन माह के भीतर ही देश विपक्ष रहित हो जायेगा।
आज केंद्र सरकार और चुनाव आयोग जिस तरह से वोट चोरी के पुख्ता दस्तावेजी प्रमाणों के साथ आरोपों में घिर चुके हैं उससे बाहर निकलने क लियेे यह प्रस्तावित संशोधन एक बड़ा सहज हथियार प्रमाणित होगा। लेकिन आज वोट चोरी का आरोप जिस प्रामाणिकता के साथ जन आन्दोलन की शक्ल लेता जा रहा है उसके परिदृश्य में आज हर आदमी इस पर गंभीरता से विचार करने लग गया है। क्योंकि 2014 और 2019 में जो वायदे देश के साथ किये गये थे आज उनकी प्रतिपूर्ति एक जन सवाल बनती जा रही है। तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का यह सबसे बड़ा कड़वा सच है कि देश में अस्सी करोड़ लोग अपने लिये दो वक्त की रोटी के लिये भी सरकार पर निर्भर बना दिये गये हैं। आज अमेरिका, रूस और चीन के साथ हमारे आयात-निर्यात के आंकड़े ही इसका प्रमाण है कि हम उत्पादन में कहां खड़े हैं। सभी जगह व्यापार असन्तुलन है। इस परिदृश्य में इस तरह के संशोधनों से विपक्ष की आवाज को बन्द करने के प्रयासों का प्रतिफल सरकार के अपने लिये घातक होगा।