सुक्खु सरकार ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र लाने का फैसला लिया है। बजट सत्र में यह श्वेत पत्र आयेगा। इसलिये प्रदेश के कर्ज की स्थिति पर कुछ प्रश्न उठाये जाने आवश्यक हो जाते हैं ताकि उनका जवाब इस श्वेत पत्र में आ जाये। इस सरकार के मुताबिक उसे 75000 करोड़ का कर्ज और 11000 करोड की पैन्शन वेतन की देनदारियों विरासत में मिली हैं। इस सरकार को भी अब तक 4500 करोड़ कर्ज लेना पड़ गया है। मुख्यमंत्री ने इस वित्तीय परिदृश्य में प्रदेश में श्रीलंका जैसी स्थितियां बन जाने की आशंका व्यक्त की है। इस आशंका पर दो पूर्व मुख्यमंत्रीयों शान्ता कुमार और प्रेम कुमार धूमल ने अपनी प्रतिक्रियाएं जारी की हैं। शान्ता कुमार ने दिसम्बर 1992 में पद छोड़ा था और तब प्रदेश पर शुन्य कर्ज होने का दावा किया है। प्रेम कुमार धूमल ने दिसम्बर 2012 में पद छोड़ा था और अपने कार्यकाल में केवल छः हजार करोड़ का कर्ज लेने का दावा किया है। इसके बाद कांग्रेस और जयराम का कार्यकाल रह जाता है। धूमल ने उनके कार्यकाल में कुल कितना कर्ज प्रदेश पर था यह आंकड़ा जारी नहीं किया है। धूमल ने जब 1998 में पद संभाला था तब वह अपना श्वेत पत्र लाये थे और यह खुलासा किया था कि जब स्वर्गीय राम लाल ठाकुर ने प्रदेश छोड़ा था तब कर्ज की बजाये वित्तीय सरप्लस में प्रदेश था। इस वस्तुस्थिति में सुक्खु सरकार से यह अपेक्षा रहेगी कि वह सभी मुख्यमंत्रीयों के कार्यकाल में वित्तीय स्थिति क्या रही है इस पर मुख्यमंत्री वार खुलासा प्रदेश के सामने रखें ताकि सभी की नीतियों पर खुलकर चर्चा हो जाये और भविष्य के लिये एक सीख मिल जाये। हर बजट में हर सरकार कुछ नये कार्यों और नीतियों की घोषणा करती है। श्वेत पत्र में यह खुलासा भी रहना चाहिये कि किसने क्या घोषित किया था और उसके लिये बजट प्रावधान क्या था तथा कितनी घोषणाएं पूरी हो पायी थी और घोषणाओं की आज की स्थिति क्या है।
कर्ज को लेकर यह नियम रहा है कि जी.डी.पी. के 3% से ज्यादा नहीं बढ़ना चाहिये। अब कोविड काल में यह सीमा बढ़ाकर 6% कर दी गयी है। इस संद्धर्भ में यह सामने आना चाहिये की कर्ज की सीमा का कब और क्यों अतिक्रमण हुआ तथा कर्ज के अनुपात में जी.डी.पी. में कितनी बढ़ौतरी हुई। जी.डी.पी. और एस.डी.पी. दोनों के आंकड़े आने चाहिये। बजट से पहले और बाद में कब-कब सेवाओं और वस्तुओं के दामों में बढ़ौतरी होती रही है। श्वेत पत्र में यह जानकारीयां होना इसलिये आवश्यक है कि अभी सुक्खु सरकार ने जयराम के कार्यकाल के अन्तिम छः माह के फैसले यह कहकर पलटे हैं कि इनके लिये बजट का प्रावधान नहीं था और इन्हें पूरा करने के लिये 5000 करोड़ के अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी। अब कांग्रेस ने चुनावों से पहले ही दस गारंटीयों की वायदा जनता से कर रखा है। मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ओ.पी.एस. लागू कर दिया गया है अन्य गारंटीयों के लिये भी प्रतिब(ता है। युवाओं को प्रतिवर्ष एक लाख रोजगार उपलब्ध करवाना है। इसलिये यह खुलासा भी बजट में आना चाहिये की इन गारंटीयों के औसत लाभार्थी कितने होंगे और इसके लिये कितना धन अपेक्षित होगा तथा कहां से आयेगा? कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि दस के लाभ के लिये नब्बे की जेब पर डाका डाला जायेगा।
अभी बजट प्रावधान और कर्ज को लेकर सुक्खु और जयराम में शिव धाम परियोजना के संद्धर्भ में वाक यद्ध शुरू हुआ है। इस वाक युद्ध के बाद यह सामने आया है कि एशियन विकास बैंक से पर्यटन अधोसंरचना के लिये 1311 करोड़ का कर्ज स्वीकृत हुआ है। इससे पहले यही बैंक 256.99 करोड़ हैरिटेज पर्यटन के नाम पर दे चुका है। जो स्थान हैरिटेज में चिन्हित हुए थे वही अब अधोसंरचना में भी चिन्हित हैं। ऐसे में यह खुलासा होना चाहिये की हैरिटेज में कितना काम हुआ है और उससे कितना राजस्व अर्जित हो रहा है। क्योंकि कर्ज का निवेश राजस्व अर्जित करने के लिये ही किये जाने का नियम है। पर्यटन के अतिरिक्त जल जीवन, बागवानी आदि और भी कई विभागों को इस बैंक से कर्ज मिला है। इन संस्थानों से राज्य सरकारों को कर्ज केन्द्र की गारंटी पर ही मिलता है लेकिन उसकी भरपाई तो राज्य सरकार को ही करनी होती है। कैग रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश को कर्ज चुकाने के लिये भी कर्ज लेना पड़ रहा है। 2019 में विश्व बैंक ने प्रदेश की Debt Management Performance Assessment पर एक 42 पन्नों की रिपोर्ट जारी की है। भारत सरकार का वित्त विभाग भी इस संद्धर्भ में 2020 में चेतावनी जारी कर चुका है। इस परिदृश्य में प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र आना और उसमें इन सवालों का जवाब होना सरकार से अपेक्षा रहेगी।