वक्त की जरूरत है भारत जोड़ो यात्रा

Created on Wednesday, 14 September 2022 07:18
Written by Shail Samachar

क्या कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा इस समय की आवश्यकता बन गयी है? क्या इस यात्रा के लिये कांग्रेस का ही एक वर्ग मानसिक रूप से तैयार नहीं है? क्या भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का आहवान लोकतन्त्र को सशक्त बनायेगा? क्या भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का क्षेत्रीय दलों को लेकर आया ब्यान एक स्वस्थ राजनीतिक संकेत है? क्या न्यायपालिका में भी एक वर्ग द्वारा परोक्ष/अपरोक्ष में हिन्दू राष्ट्र की वकालत करना सही है? यह कुछ सवाल है जो इस समय हर संवेदनशील, बुद्धिजीवी को कौंध रहे हैं। इन सवालों पर खुले मन मस्तिष्क से चिन्तन और चिन्ता करना आज की आवश्यकता बन चुका है। देश के हर व्यक्ति को यह सवाल प्रभावित करते हैं भले ही वह इनके प्रति सजग हो या न हो। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यह यात्रा उस समय शुरू की है जब गुलाम नवी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेता कांग्रेस छोड़कर चले गये हैं। कांग्रेस से यह नेता उस समय बाहर गये हैं जब कांग्रेस ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया था। कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं का आरोप रहा है कि गांधी परिवार का नेतृत्व कांग्रेस को कमजोर कर रहा है। इस परिदृश्य में इन नेताओं के पास अब वह अवसर था कि यह लोग स्वयं संगठन की अध्यक्षता के लिए अपनी दावेदारी का दावा पेश करते। लेकिन ऐसा करने की बजाये इन लोगों ने राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुये संगठन छोड़ने का आसान रास्ता चुना। इससे स्वतः ही यह प्रमाणित हो जाता है कि इनके तार कहीं और से संचालित हो रहे थे। क्योंकि पिछले आठ वर्षों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि इस अवधि में राहुल गांधी ही सबसे ज्यादा सत्ता पक्ष के निशाने पर रहे हैं। कोबरापोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में यह सामने आ चुका है कि राहुल गांधी को पप्पू प्रचारित करने के लिये मीडिया में कितना निवेश किया गया था। इन आठ वर्षों में यह भी स्पष्ट हो चुका है कि सत्ता पक्ष के सामने आज तक पूरी ताकत के साथ खड़ा रहने वाला राहुल गांधी पहला नेता है। शायद राहुल गांधी की इस राजनीतिक दृढ़ता के कारण ही आज इस यात्रा के दौरान उनके पहरावे और यात्रा के प्रबंधों पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं।
इस परिदृश्य में यह तलाशना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि आज यह यात्रा वक्त की जरूरत क्यों बन गयी। इसके लिये अगर अपने आस पास नजर दौड़ायें तो सामने आता है कि सत्तारूढ़ भाजपा ने विपक्ष की सरकारों को गिराने के लिये केन्द्रीय जांच एजेन्सियों का इस्तेमाल किस हद तक बढ़ा दिया है। इन एजेन्सियों के बढ़ते दखल ने इनकी विश्वसनीयता पर ही गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं। पिछले काफी समय से संघ प्रमुख डॉ. मनमोहन भागवत के नाम से भारत के नये संविधान के कुछ अंश वायरल होकर बाहर आ चुके हैं। लेकिन इस पर न तो केन्द्र सरकार और न ही संघ परिवार की ओर से कोई खण्डन आया है। बल्कि मेघालय उच्च न्यायालय के जस्टिस सेन के दिसंबर 2018 में आये हिन्दू राष्ट्र के फैसले और अब डॉ. स्वामी की संविधान से धर्म निरपेक्षता तथा समाजवाद शब्दों को हटाने के आग्रह की सर्वाेच्च न्यायालय में आयी याचिका ने इन आशंकाओं को और बढ़ा दिया है। क्या आज के भारतीय समाज में यह सब स्वीकार्य हो सकता है।
2014 के लोकसभा चुनावों से पहले अन्ना आन्दोलन के माध्यम से भ्रष्टाचार के जिन मुद्दों को उछाला गया था क्या उनमें से एक भी अन्तिम परिणाम तक पहुंचा है? क्या आज भाजपा शासित राज्यों में सभी जगह लोकायुक्त नियुक्त है? क्या सभी राज्यों में मानवाधिकार आयोग सुचारू रूप से कार्यरत हैं? क्या इस दौरान हुये दोनों लोकसभा चुनावों में हर बार चुनावी मुद्दे बदले नहीं गये हैं? इस दौरान नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक जितने भी आर्थिक फैसले लिये गये हैं क्या उनसे देश की आर्थिकी में कोई सुधार हो पाया है? क्या सार्वजनिक संस्थानों को प्राइवेट सैक्टर के हवाले करना स्वस्थ्य आर्थिकी का लक्षण माना जा सकता है? आज जब शिक्षा और स्वास्थ्य को पीपीपी मोड के माध्यम से प्राइवेट सैक्टर को देने की घोषणा की जा चुकी है तब क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि यह आवश्यक सेवाएं आम आदमी को सुगमता से उपलब्ध हो पायेंगी? कल तक यह कहा जा रहा था कि चीन हमारी सीमा में घुसा ही नहीं है परन्तु अब यह कहा जा रहा है कि चीन वापिस जाने को तैयार हो गया है। कुल मिलाकर राष्ट्रीय महत्व के हर मुद्दे पर लगातार गलत ब्यानी हो रही है और उसे हिन्दू-मुस्लिम तथा मन्दिर-मस्जिद के नाम पर नया रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। आज इन सवालों को आम आदमी के सामने ले जाने की आवश्यकता है और इस काम के लिये किसी बड़े नेता को ही भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से इस काम को अन्जाम देना होगा। राहुल गांधी की यात्रा से सता पक्ष में जिस तरह की प्रतिक्रियाएं उभर रही हैं उससे स्पष्ट हो जाता है कि यह यात्रा सही वक्त पर सही दिशा में आयोजित की गयी है।