सर्वेक्षण में फंसी आप

Created on Tuesday, 19 July 2016 09:46
Written by Shail Samachar

शिमला। हिमाचल की आम आदमी पार्टी ईकाई भंग होने के बाद अभी तक नयी ईकाई गठित नहीं हो पायी है भंग ईकाई पर भी प्रदेश में आशानुरूप काम न कर पाने का आरोप था। इसी आरोप के साथ प्रदेश ईकाई के शीर्ष नेताओं में भी मतभेद इतने गहरे हो गये थे कि प्रदेश संयोजक अपने साथ ईकाई के किसी दूसरे अधिकारी को मंच तक शेयर नही करने देते थे। मतभेद मन भेद बनकर जब मैं मैं तू तू तक आ गये तब एक दूसरे की परोक्ष -अपरोक्ष शिकायतों का दौर चला और इसकी कीमत पार्टी को ईकाई भंग करके चुकानी पड़ी।
ईकाई भंग होने के बाद हाईकमान ने पर्यवेक्षकों की एक टीम प्रदेश में भेजी। इस टीम ने शिमला सहित सभी जिला मुख्यालयों पर सर्वेक्षण किया। यह सर्वेक्षेण सबसे पहले भंग ईकाई के सदस्यों के साथ बैठके करके शुरू हुआ। फिर इन्ही बैठकों में सर्वेक्षण के लिये एक प्रश्नोत्तरी बनायी गयी। इस प्रश्नोत्तरी के सवालों में मुख्य प्रश्न थे कि क्या आप केजरीवाल को जानते है? आमआदमी पार्टी की सरकार के बारे में आपकी क्या राय है? क्या आप प्रदेश में बदलाव चाहते है? क्या आप को प्रदेश में चुनाव लड़ना चाहिये?
आज केजरीवाल राष्ट्रीय चेहरा बन गये हैं। स्वाभाविक है कि आम आदमी इस नाम से परिचित है पार्टी की सरकार दिल्ली में है और बाहर उसके बारे में ज्यादा जानकारी संभव ही नहीं है। क्योंकि उसकी उपलब्धियों के विज्ञापन प्रदेश की अखवारों में तो छपते नही है। प्रदेश में बदलाव हर आदमी चाहता है आप को चुनाव लड़ने से कोई मना भी क्यों करेगा। लेकिन किसी ने यह नही पूछा कि बदलाव क्यों चाहते हैं प्रदेश की दो तीन मुख्य समस्यांए क्या है और उसके लिये कांग्रेस और भाजपा की जिम्मेदारी कितनी कितनी है। प्रदेश में आम आदमी को राजनीतिक विकल्प बनने के लिये क्या करना होगा। पूर्व ईकाई के काम के बारे में क्या राय है। सर्वेक्षण में इन सवालों को नहीं उठाया गया।
इस समय प्रदेश राजनीतिक तौर पर एक गंभीर स्थिति से गुजर रहा है। मुख्यमन्त्राी और उनकी पत्नी पूर्व सांसद को दिल्ली उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की गुहार लगानी पड़ी है। मुख्य विपक्षी दल भाजपा अगली सता का प्रबल दावेदार बनकर बैठा हुआ है। ऐसे में अभी आम आदमी पार्टी सर्वेक्षण के स्तर पर पंहुची हुई है। हां यह अवश्य है कि उसके कुछ लोग सोशल मीडिया में बहुत सक्रिय हंै लेकिन सोशल मीडिया अभी तक जन मीडिया नहीं बन पाया और ना ही पूरा विश्वसनीय बन पाया है। ऐसे सर्वेक्षण के बाद पार्टी क्या स्वरूप लेकर आती है इस पर सबकी निगाहें लगी है।