होशियार सिंह की चुनाव याचिका से प्रदेश में राजनीतिक तूफान के संकेत

Created on Tuesday, 02 September 2025 19:02
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। क्या हिमाचल भी राजनीतिक तूफान की ओर बढ़ रहा है? क्या प्रदेश सरकार संकट में घिर सकती है? यह सवाल पूर्व विधायक और देहरा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहे होशियार सिंह द्वारा चुनाव याचिका दायर करने के बाद उठ खड़े हुये हैं। यह माना जा रहा है कि राहुल गांधी की अगवाई में जिस तरह से वोट अधिकार यात्रा में वोट चोरी के आरोप पर भारी जन समर्थन देखने को मिला है। उससे चुनाव आयोग और केंद्र सरकार दबाव में आ चुके हैं। क्योंकि इस बार भाजपा का पर्याय बन चुके प्रधानमंत्री मोदी कुछ व्यक्तिगत सवालों में भी बुरी तरह से घिरते जा रहे हैं। यह सवाल खड़े करने वाले भी उन्हीं के विश्वस्त लोग रहे हैं। फिर वोट चोरी का आरोप ऐसे प्रमाणिक आंकड़ों पर आधारित है जिनका जवाब चुनाव आयोग नहीं दे पाया है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि राहुल कि भारत जोड़ो यात्रा भाजपा को लोकसभा में 240 के आंकड़े पर रोक सकती है तो वोट चोरी का आरोप तो और भी बड़ा आरोप है।
ऐसे में इस आरोप का राजनीतिक जवाब देने के लिये कांग्रेस शासित राज्यों में वहां की सरकारों पर हमला बोलकर जवाब देने की रणनीति अपनाई जा सकती है। इसी रणनीति के तहत हिमाचल में ‘‘वोट फॉर कैश’’ का मुद्दा अब उठाया जा रहा है। स्मरणीय है कि देहरा विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा की ओर से पूर्व विधायक होशियार सिंह उम्मीदवार थे और कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती कमलेश ठाकुर उम्मीदवार थी। इसी उपचुनाव में आचार संहिता लगने के बाद वोटिंग से एक सप्ताह पहले कांगड़ा केन्द्रिय सहकारी बैंक धर्मशाला द्वारा चुनाव क्षेत्र के सारे महिला मण्डलों को पैसा आबंटित किया गया था। कांगड़ा सहकारी बैंक के अतिरिक्त जिला कल्याण अधिकारी द्वारा भी इसी दौरान कुछ महिलाओं को पैसा आबंटित किया गया था। इस पैसा आबंटन को चुनाव आचार संहिता का खुला उल्लंघन माना गया। प्रदेश विधान सभा के बजट सत्र में हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा ने इस आश्य का एक सवाल भी पूछा था। जब इसका जवाब नहीं आया तब आशीष शर्मा ने अपनी ओर से जुटाई जानकारी सदन के पटल पर रख दी थी। दूसरी ओर होशियार सिंह ने सूचना के अधिकार के तहत इस संबंध में सारी जानकारी जुटायी और 25 मार्च को महामहिम राज्यपाल को संविधान की धारा 191(1) (e) और 192 के तहत शिकायत भेज दी। लेकिन इस शिकायत पर आज तक कोई कारवाई होना सामने नहीं आया है। बल्कि राजभवन से लेकर पूरी भाजपा तक इस मामले पर खामोश रहे।
अब जब केन्द्र में राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा और वोट चोरी के आरोपों के बाद सारा राजनीतिक वातावरण गंभीर हो उठा है तब हिमाचल में इस प्रकरण के इस तरह से पुनः चर्चा में आने को एक अलग ही नजर से देखा जाने लगा है। इस मामले में विधानसभा में पुनः सवाल पूछा गया तो जवाब आया की सूचना एकत्रित की जा रही है। इस पर यह प्रश्न चिन्ह लगा कि जो सूचना आर.टी.आई. के माध्यम से बाहर आ चुकी है उसे सदन में क्यों नहीं रखा जा रहा है। इन्हीं सवालों के बीच होशियार सिंह ने चुनाव याचिका दायर कर मामला उच्च न्यायालय में पहुंचा दिया है। उच्च न्यायालय में पहुंचने पर स्वभाविक रूप से राजभवन से लेकर पूरी भाजपा में इस पर नये सिरे से हलचल होगी। संविधान और जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की जानकारी रखने वालों के मुताबिक इस मामले में राज्यपाल की रिपोर्ट पर ही चुनाव आयोग सारी कारवाई कर सकता है क्योंकि पैसा आबंटन के प्रामाणिक दस्तावेज बाहर आ चुके हैं। इस मामले का प्रदेश की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। सूत्रों की माने तो भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के संज्ञान में यह मामला आ चुका है और राहुल गांधी को जवाब देने के लिये इसे बड़ा कारगर हथियार माना जा रहा है।