क्या कांग्रेस संगठन का गठन ऐसे हो पायेगा?

Created on Wednesday, 27 August 2025 12:26
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। कांग्रेस संगठन पर अब तक यह फैसला नहीं हो पाया है कि अगला अध्यक्ष कौन होगा और उसकी कार्यकारिणी का स्वरूप क्या होगा ? यह सवाल इसलिये गंभीर और महत्वपूर्ण होता जा रहा है कि जिस तरह राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी भाजपा और मोदी सरकार से भीड़ते जा रहे हैं उन्हें उसी अनुपात में कांग्रेस शासित राज्यों से सहयोग चाहिये? इस समय देश के तीन ही राज्यों हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकारें हैं। इनमें हिमाचल में लम्बे अरसे से प्रदेश से लेकर ब्लॉक स्तर तक सारी कार्यकारणीयां भंग चल रही हैं। कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं द्वारा सदन में आरएसएस की प्रार्थना का गायन किया जाना कुछ ऐसे संकेत बनते जा रहे हैं कि कांग्रेस शासित राज्यों में सब ठीक नहीं चल रहा है। राहुल गांधी ने गुजरात के एक आयोजन में यह कहा था कि कांग्रेस में भाजपा के सैल कार्यरत है। लेकिन अभी तक इन सैलों को चिन्हित करके बाहर का रास्ता नहीं दिखाया जा सका है। लेकिन राहुल के कथन के बाद अधिकांश कांग्रेसियों को भाजपा के स्लीपर सैल के रूप में देखा जाने लग पड़ा है। इस समय बिहार में वोट चोरी के आरोप पर जिस तरह का जन आन्दोलन खड़ा होता जा रहा है क्या उसी अनुपात में कांग्रेस शासित राज्यों में भी उसी तरह का राजनीतिक वातावरण तैयार होता जा रहा है ? तो हिमाचल की स्थिति को देखते हुये कहा जा सकता है कि शायद नहीं। हिमाचल में संगठन की कार्यकारणीयां भंग होने के बाद कुछ अरसे तक यह संकेत उभरते रहे कि नई टीम का गठन भी प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में ही होगा। लेकिन अब यह सन्देश स्पष्ट होता जा रहा है कि प्रदेश में कांग्रेस का अध्यक्ष भी बदला जायेगा। अभी जिस तरह से वोट चोरी के मुद्दे पर कांग्रेस कार्यालय में आयोजन रखा गया था और उसमें जिस तरह से प्रदेश प्रभारी के सामने ही मुख्यमंत्री सुक्खू और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के समर्थकों में अपने-अपने नेता के पक्ष में नारेबाजी की गयी उससे स्पष्ट हो गया कि प्रदेश कांग्रेस में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। इस नारेबाजी का प्रतिफल यह रहा है कि वोट चोरी का मुद्दा कांग्रेस कार्यालय से बाहर फील्ड में कहीं नहीं जा पाया है। बल्कि अब तो यह चर्चा भी दबी जुबान में चल पड़ी है कि यह नारेबाजी एक तय योजना के साथ की गयी थी कि इसे फील्ड में न ले जाना पड़े। कांग्रेस कार्यालय में हुई नारेबाजी के बाद संगठन के गठन की बात फिर बैक फुट पर चली गयी है। क्योंकि इस नारेबाजी में पार्टी के अन्दर बन चुकी गुटबाजी पूरी तरह खुलकर सामने आ गयी है। इस तरह की नारेबाजी के चलते कांग्रेस का हाईकमान से आया कोई भी निर्देश व्यवहारिक शक्ल नहीं ले पायेगा। इस समय अगले प्रदेशाध्यक्ष को लेकर चल रही खींचतान में यह स्पष्ट हो गया है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू इस पद पर किसी अपने विश्वस्त को ही बैठना चाहते हैं। अध्यक्ष के लिये कोई भी मंत्री अपना मंत्री पद छोड़कर यह जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है। मंत्रियों के बाद पूर्व मंत्रियों कॉल सिंह ठाकुर और आशा कुमारी भी चर्चाओं के अनुसार इसके लिये सहमत नहीं हो पाये हैं। अब मुख्यमंत्री शायद इस पद के लिये हमीरपुर जिले से विधायक सुरेश कुमार को अपनी पसन्द बना सकते हैं। लेकिन इस नाम पर औरों की सहमति हो पायेगी इसको लेकर संशय है। जब प्रदेश में किसी न किसी कारण से संगठन का गठन ही लटकना चला जायेगा तो हाईकमान को राष्ट्रीय मुद्दों पर प्रदेश से कितना व्यवहारिक सहयोग मिल पायेगा यह एक सामान्य समझ की बात है। प्रदेश सरकार इस वर्ष के अन्त में होने वाले निकाय चुनावों को टालने में सफल हो गयी है। बहुत संभव है कि किसी तरह पंचायत चुनावों को भी टालने का जुगाड़ कर ही लिया जायेगा। यह चुनाव ही सरकार के लिये एक परीक्षा होने जा रहे थे। जब यह परीक्षा ही टल जायेगी तो और कोई आवश्यकता ही नहीं रह जाती है और फिर राष्ट्रीय कार्यक्रमों को फील्ड में ले जाने की भी आवश्यकता नहीं रह जाती है।