जब राजकोषीय घाटा ही 6170 करोड़ था तो 6700 करोड़ का कर्ज क्यों लिया गया

Created on Wednesday, 20 December 2023 04:43
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। कांग्रेस की सुक्खू सरकार अपने एक वर्ष के कार्यकाल में 14000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है। इतना कर्ज लेने के बावजूद चुनावों में दी हुई गारंटीयां पूरी करने में कोई बड़ा कदम नहीं उठा पायी है। लाहौल और स्पीति की महिलाओं को 1500 रूपये देने की घोषणा पर जनवरी 2024 से अमल होगा। पुरानी पैन्शन बहाल कर देने के बाद कर्मचारियों के भुगतान के मामले उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद ए.जी. ऑफिस में भुगतान के लिये लंबित है। कांग्रेस का विपक्ष में पूर्व जयराम सरकार के खिलाफ यही बड़ा आरोप था की इस सरकार ने प्रदेश को कर्ज के गर्त में डाल दिया है। ऐसे में जब कांग्रेस की सरकार भी उसी कर्ज के रास्ते पर पहले से भी ज्यादा गति से चल पड़े तो स्वभाविक है कि यह सवाल उठेगा ही कि कहीं यह सरकार भी वित्तीय कुप्रबंधन और फिजूल खर्ची का शिकार तो नहीं हो रही है। इस सवाल को समझने के लिये वर्ष 2022-23 के बजट को देखना पड़ेगा क्योंकि सुक्खू सरकार को यह बजट जयराम से विरासत में मिला है।
इस बजट को पूरा करने के लिये सुक्खू सरकार ने जनवरी 2023 से कर्ज लेना शुरू किया और वित्तिय वर्ष के अन्त मार्च 2023 तक 6700 करोड़ का कर्ज ले लिया। जयराम सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिये 51364.75 करोड़ का बजट सदन में पारित करवाया था। इस वित्तीय वर्ष में 6170 करोड़ का राजकोषीय घाटा रहने का अनुमान था और मुख्यमंत्री सुक्खू  ने भी अपने बजट भाषण में इसे स्वीकारा है।
यदि सुक्खू सरकार ने जयराम शासन के अंतिम छः माह के लिये गये फैसलों को रद्द करके 600 से अधिक संस्थानों को बन्द न किया होता तो यह घाटा और भी बढ़ जाता। इसीलिये 13141.07 करोड़ की अनुपरक मांगे सदन में लाने के बाद भी अन्तिम राजकोषीय घाटा 6170 करोड़ ही रहा। इस घाटे का अर्थ है 2022-23 के बजट को पूरा करने के लिये 6170 करोड़़ का ही कर्ज लेने की आवश्यकता थी। लेकिन आर.टी.आई. सूचना के अनुसार सुक्खू सरकार ने जनवरी 23 से मार्च 23 तक 6700 करोड़ का कर्ज़ क्यों ले लिया। यह सवाल इसलिये उठ रहा है कि जब आर.टी.आई. में इस कर्ज के दस्तावेज सामने आये तो यह कहा गया कि 6700 करोड़ का कर्ज तो वित्तीय वर्ष 2022-23 के खर्चों को पूरा करने के लिये लिया गया। जब इस वर्ष की आवश्यकता ही 6170 करोड़ की थी तो इसके लिये 6700 करोड़ कर्ज क्यों लिया गया इसका कोई जवाब नहीं आया है।
सुक्खू सरकार का केन्द्र सरकार पर यह आरोप है कि उसने राज्य सरकार की कर्ज लेने की सीमा में कटौती कर दी है और अब वह एक वर्ष में केवल 6000 करोड़ का ही कर्ज ले सकती है। लेकिन यह सरकार 2023-24 की इस कर्ज सीमा से अधिक का कर्ज इस वित्तीय वर्ष में दिसंबर तक ही ले चुकी है। क्योंकि इस सरकार द्वारा लिये गये कुल कर्ज का आंकड़ा करीब चौदह हजार करोड़ हो चुका है। जिसका अर्थ है कि अगले तीन माह में नियमानुसार यह सरकार कोई नया कर्ज नहीं ले पायेगी। दूसरी ओर सरकार को 1500 रूपये महिलाओं को देने की गारंटी भी जनवरी से पूरी करने के वायदे को अन्जाम देना है। ऐसे में जब सरकार के पास वित्तीय संसाधन ही नहीं होंगे तो इन गारंटीयों को पूरा करने पर स्वतः ही प्रश्न चिन्ह लग जाता है।