प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के पुनः खुलने से पहले ही मुखर हुआ विरोध

Created on Saturday, 04 November 2023 10:24
Written by Shail Samachar

कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विनोद कुमार ने लिखा पत्र
शिमला/शैल। सुक्खू सरकार प्रशासनिक ट्रिब्यूनल फिर से खोलने का प्रयास कर रही है। यह ट्रिब्यूनल भारत सरकार की अनुमति से ही खुल सकता है और केंद्र सरकार की अनुमति के लिए इस आश्य का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। लेकिन यह ट्रिब्यूनल दोबारा खोलने की चर्चा जैसे ही सामने आई उसी के साथ इसके विरोध के स्वर भी मुखर होने लग गये हैं। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कुमार और उनके साथियों ने इसके विरोध का मोर्चा खोल दिया है। इन कर्मचारी नेताओं का मानना है कि कर्मचारियों के मामले में न्याय के लिये प्रदेश उच्च न्यायालय से बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता है। इनका कहना है पहले भी यह ट्रिब्यूनल कर्मचारियों के प्रस्ताव पर ही बंद किया गया था। उन्होंने तर्क दिया है कि पंजाब और हरियाणा में कर्मचारियों और उनके मामलों की संख्या दो गुणी है परन्तु वहां पर तो कोई ट्रिब्यूनल नहीं है और उच्च न्यायालय के माध्यम से ही त्वरित न्याय मिल रहा है। कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि हिमाचल में यह ट्रिब्यूनल कुछ सेवानिवृत नौकरशाहों और अन्यों की शरण स्थली से अधिक कुछ साबित नहीं हुआ। विनोद कुमार ने खुलासा किया है कि पूर्व में भी जब यह ट्रिब्यूनल बन्द करने की मांग की गई थी तब भी दो नौकरशाह श्रीकांत बाल्दी और मनीषा नन्दा कि इसमें नियुक्तियां फाइनल हो गई थी तब ट्रिब्यूनल को भंग करने की मांग न करने के लिए उन्हें कहा गया था। लेकिन कर्मचारी हित में वह मांग पर कायम रहे और परिणाम स्वरूप ट्रिब्यूनल भंग हो गया। विनोद कुमार ने जोर देकर कहा कि इस फैसले का विरोध करने के लिए वह राज्यपाल से लेकर केंद्र सरकार तक भी अपना पक्ष रखेंगे। उन्होंने सुक्खू सरकार को सलाह दी है कि वित्तीय संकट से जूझ रहे प्रदेश पर 100 करोड़ का अतिरिक्त बोझ कुछ नौकरशाहों के लिए न डाला जाये।