वित्तीय श्वेत पत्र झूठ का पुलिंदा-जयराम

Created on Monday, 25 September 2023 09:34
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। सुक्खू सरकार में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री द्वारा सदन में रखे गये वित्तीय श्वेत पत्र को झूठ का पुलिंदा करार देते हुये इसमें दिखाये गये कुछ आंकड़ों को भी गलत कहा है। जयराम ने कहा कि प्रदेश में वित्तिय कुप्रबन्धन की शुरुआत 1993 से 1998 तक रही कांग्रेस सरकार के समय हुई थी। जब बिजली बोर्ड और कुछ निगमों के नाम पर खुले बाजार में से एक हजार करोड़ का कर्ज लिया गया था जो उस समय सबसे अधिक था और आगे चलकर वह वित्तीय बोझ बनता चला गया। जबकि इस ऋण की उस समय इतनी आवश्यकता नहीं थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जब 2012 में भाजपा ने सरकार छोड़ी थी तब प्रदेश पर 28000 करोड़ की देनदारी थी। लेकिन जब 2017 में उन्होंने सत्ता संभाली तो उन्हें 48000 करोड़ का ऋण विरासत में मिला जो कि 66ः की बढ़ौतरी थी। ठाकुर ने यह भी स्पष्ट किया कि जब उन्होंने सत्ता छोड़ी तो उस समय 69622 करोड़ के कुल कर्ज था 75000 करोड़ का नहीं। जयराम ने यह भी स्पष्ट किया कि इन्वैस्टर मीट के लिये 10 करोड़ केंद्र ने दिया था। और दो बार 13000 तथा 28000 करोड़ एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित हुये थे। जिनमें से 8000 करोड़ के उद्योग शुरू भी हो चुके हैं। इसी कड़ी में जयराम ने मुकेश अग्निहोत्री से यह भी पूछा कि जब वह उद्योग मंत्री थे तब कितने एम.ओ.यू. साइन हुये थे और कितने धरातल पर साकार हुये है। जयराम ने आरोप लगाया कि यह सरकार नौ माह के कार्यकाल में ही 8000 करोड़ का ऋण ले चुकी है। जिस तरह से श्वेत पत्र केवल एक ही सरकार के कार्यकाल को लेकर लाया गया है तो वह निश्चित रूप से श्वेत पत्र की जगह आरोप पत्र हो जाता है। ऐसे में अपने पर लग रहे आरोपों का पुरजोर खण्डन करना स्वभाविक हो जाता है। लेकिन जिस तरह की कार्य प्रणाली पिछले नौ माह में इस सरकार की रही है उसको लेकर प्रश्न उठना स्वभाविक है क्योंकि यह सरकार दस गारंटीयां देकर सत्ता में आयी है। उन गारंटीयों पर व्यवहारिक रूप से अभी कोई कदम नहीं उठाये गये हैं। गारंटीयां जारी करते हुये यह नहीं कहा गया था कि पांच वर्ष के कार्यकाल में इनको पूरा किया जायेगा। इसलिए जयराम ने अपनी पत्रकार वार्ता में मुकेश अग्निहोत्री का ही ब्यान प्ले करके सुनाया है। जयराम सरकार के कार्यकाल के अन्तिम छः माह में लिये गये फैसलों को पलटते हुये इस सरकार ने करीब एक हजार संस्थाओं को बन्द कर दिया है। जब सुक्खू सरकार ने संस्थान बन्द करने का फैसला लिया तभी इस मुद्दे को भाजपा पूरे प्रदेश में ले गयी थी। इससे कांग्रेस के लोग भी घिर कर रह गये हैं क्योंकि उनके क्षेत्रों में भी यह संस्थान खुले थे। इसलिये इस संबंध में यह सरकार दो टूक फैसला नहीं ले पा रही है। भाजपा इस मुद्दे को प्रदेश उच्च न्यायालय में भी ले जा चुकी है। इसी मुद्दे के साथ मुख्य संसदीय सचिवों का मुद्दा भी अदालत में चल रहा है। अब श्वेत पत्र पर पलटवार करते हुये जो आंकड़े जयराम ने उठाये हैं वह सब 8 मार्च 2018 को विधानसभा में आये उनके बजट भाषण में दर्ज हैं। कांग्रेस इन कर्ज के आंकड़ों पर आज तक जवाब नहीं दे पायी है। इसलिये अब एक ही सरकार के कार्यकाल को लेकर लाये गये श्वेत पत्र पर सवाल उठना स्वभाविक ही है। क्योंकि जिस अफसरशाही ने सरकार को आंकड़े पढ़ाये हैं उसी ने ही विपक्ष को भी परोसे हैं। ऐसे में नौ माह में ही 8000 करोड़ का कर्ज ले लेना और गारंटीयों पर अमल कर पाना आसान नहीं होगा। श्वेत पत्र पर उठी यह बहस लोकसभा चुनाव तक क्या शक्ल लेती है यह देखना दिलचस्प होगा।