आपदा में मिली केंद्रीय सहायता पर विपक्ष हुआ बेनकाब

Created on Tuesday, 19 September 2023 11:43
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश में आयी आपदा से सरकारी आंकड़ों के अनुसार 13000 करोड़ का नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई प्रदेश के संसाधनों से ही कर पाना संभव नहीं है। इसलिए प्रदेश सरकार इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रही है। यदि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं किया जा सकता तो गुजरात के भुज और उत्तराखंड के केदारनाथ में हुए नुकसान में दिये गये विशेष पैकेज की तर्ज पर हिमाचल को भी राहत दी जाये। लेकिन केंद्र ने अभी तक हिमाचल के एक भी आग्रह पर कोई कदम नहीं उठाया है। जबकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा सांसद प्रतिभा सिंह व्यक्तिगत तौर पर भी प्रधान से ऐसा आग्रह कर चुके हैं। दूसरी ओर प्रदेश भाजपा के नेता प्रदेश को केंद्र से मिल रही सहायता के कई आंकड़े प्रदेश की जनता के सामने रखते रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी प्रदेश का दौरा करके 200 करोड़ की सहायता तुरन्त देने का ऐलान कर गये थे। हमीरपुर के सांसद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी राहत के आंकड़े परोसे हैं। यही नहीं प्रदेश से राज्यसभा सांसद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी प्रदेश का दौरा करके अधिकारियों की बैठक ली और यह घोषणा की थी कि सरकार जो मांगेगी वह केन्द्र की ओर से उसे खुले मन से मिलेगा। अपने नेताओं के इन दावों से प्रभावित होकर प्रदेश भाजपा के विधायक विधानसभा का सत्र शीघ्र बुलाये जाने का आग्रह करने लगे। अब जब विधानसभा का सत्र आरम्भ हुआ तो सरकार ने नियम 102 के तहत आपदा पर चर्चा सूचीबद्ध की हुई थी। शोकोदगार के बाद जैसे ही प्रश्न काल शुरू हुआ तो विपक्ष ने नियम 67 के तहत चर्चा का आग्रह किया। जिसे अध्यक्ष ने स्वीकार नहीं किया तो विपक्ष सदन से बाहर चला गया। जब अध्यक्ष ने नियम 102 के साथ ही नियम 67 को संलग्न करके चर्चा की अनुमति दी और मुख्यमंत्री ने नियम 102 के तहत अपने संकल्प को सदन में रखा तो नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर इसमें भाग लेने के लिये खड़े हो गये और प्रधानमंत्री द्वारा प्रदेश को दिये गये 5000 घरों और ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2600 करोड़ के आंकड़े सदन में रखे। इन आंकड़ों पर हस्तक्षेप करते हुये जब मुख्यमंत्री ने यह बताया कि नितिन गडकरी ने जो 200 करोड़ प्रदेश को तुरन्त देने की बात की थी वह अभी तक पूरी नहीं हुई है। 2600 करोड़ प्रदेश को पी एम जी एस वाई के तीसरे चरण के बकाये के रूप में मिला है जो केवल ग्रामीण सड़कों पर ही खर्च होगा। यदि केन्द्र ने इसकी अतिरिक्त कुछ और प्रदेश को दिया है तो उसके आंकड़े आप सदन में रख सकते हैं। लेकिन विपक्ष ऐसा कुछ नहीं रख पाया। क्योंकि घोषणाओं और वादों के अतिरिक्त प्रदेश को केन्द्र से कुछ नहीं मिला है।