शिमला/शैल। पॉवर कॉरपोरेशन को लेकर आये दूसरे बम्ब पर कॉरपोरेशन के प्रबन्ध निदेशक हरिकेश मीना की शिकायत पर पुलिस ने धारा 500 और 505(2) के तहत एफ.आई.आर. दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। इस जांच में पुलिस पत्र में दर्ज तथ्यों से पहले पत्र लिखने वाले और उसे वायरल करने वाले का पता लगाने का प्रयास कर रही है। इस जांच में पुलिस ने पत्र को वायरल करने के लिये तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है। लेकिन अदालत से उन्हें जमानत भी मिल गयी है। पुलिस की जांच में पत्र का शक भाजपा की ओर गया है। कुछ विधायकों के नाम भी उछले हैं। भाजपा अध्यक्ष बिंदल ने यह नाम उछलने पर स्पष्ट कहा है कि इससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पत्र में दर्ज तथ्यों की जांच किये जाने की मांग की है। इसी कॉरपोरेशन को लेकर एक पत्र पहले भी वायरल हो चुका है। लेकिन उसको लेकर न कोई मामला दर्ज किया गया और न ही सरकार की ओर से कोई जांच की गयी है। इस पत्र को नजर अंदाज क्यों किया गया। इस पर भी सवाल उठने शुरू हो गये हैं। अभी विधानसभा का सत्र आ रहा है। इस सत्र में यह मुद्दा किसी न किसी प्रकार से अवश्य उछलेगा क्योंकि पत्रों का सोर्स भाजपा होने की ओर जांच में संकेत उभर ही चुके हैं और भाजपा का इस पर मौन रहना उसके लिये ही घातक होगा। संभव है कि विधानसभा सत्र में पत्र के साथ कथित संलग्न दस्तावेज भी चर्चा में आये। ऐसे में जब पुलिस पत्र वायरल करने वालों तक पहुंच गयी है तो स्वभाविक है कि उसके यह संलग्न दस्तावेज भी आ चुके हांे। फिर पुलिस ने अभी तक यह नहीं कहा है कि ऐसे कोई दस्तावेज नहीं है या प्रमाणिक नहीं हैं। स्वभाविक है कि दस्तावेज तो कॉरपोरेशन की फाइलों में होंगे। फाइलों तक पहुंच इसी कॉरपोरेशन में बैठे किसी अधिकारी कर्मचारी की ही हो सकती है। इसलिये पत्रों में दर्ज आरोपों को नजर अंदाज करना ज्यादा देर तक संभव नहीं होगा। जिस तरज में नेता प्रतिपक्ष ने तथ्यों की जांच की मांग की है उससे स्पष्ट है कि इस जांच से ज्यादा देर तक बचना संभव नहीं होगा क्योंकि कुछ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और कुछ पत्रकारों को भी जांच के लिये बुलाया गया था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने जिस तरह बिजली मीटरों पर जांच की मांग की है वह सब भी इस जांच के साथ जुड़ जाये।