शिमला/शैल। सुक्खु सरकार के दो आई.ए.एस. अधिकारी सरकारी आवास आबंटन को लेकर उच्च न्यायालय पहुंच गये है। उच्च न्यायालय ने संबद्ध पक्षों को नोटिस आवास आमंत्रण को लेकर अधिकारियों का उच्च न्यायालय पहुंचना प्रशासनिक पकड़ पर प्रश्न चिन्ह भी जारी कर दिये हैं। दोनों ही अधिकारी मुख्यमंत्री के विश्वास पात्र माने जाते हैं क्योंकि एक निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क है तो दूसरा सोलन का जिलाधीश। मामला सिर्फ इतना भर है कि जिलाधीश सोलन आठ अप्रैल तक शिमला में ही कार्यरत थे। आठ अप्रैल को बतौर डीसी सोलन ट्रांसफर किया गया। जहां पर अब तक कार्यरत है। लेकिन शिमला में जो सरकारी आवास उनके पास था उसे उन्होंने अभी तक खाली नहीं किया है। जबकि यह आवास जुलाई में निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क को आबंटित हो चुका है। जिलाधीश सोलन आवास को खाली नहीं कर रहे हैं और इसी पर यह प्रकरण उच्च न्यायालय पहुंच गया है। जबकि आवास आबंटन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी करती है। यदि कोई अधिकारी, कर्मचारी स्थानान्तरण के बाद भी आवास खाली नहीं करता है तो उसे खाली करवाने की जिम्मेदारी संपदा निदेशालय की होती है। इसके लिए यदि अदालत तक भी जाना पड़ता है तो संपदा निदेशालय जाता है। लेकिन इस मामले में निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क को अदालत से यह गुहार लगानी पड़ी है कि जिलाधीश सोलन अवैध कब्जाधारी है।
दो अधिकारियों के बीच आवास को लेकर उभरा विवाद सचिवालय की दहलीज लांघकर अदालत के आंगन में जा पहुंचे तो आम आदमी की सरकार को लेकर क्या धारणा बनेगी। क्या मुख्य सचिव के स्तर पर यह मामला नहीं सुलझ पाया? क्या अदालत पहुंचने की नौबत आने से पहले इसे मुख्यमंत्री के संज्ञान में नहीं लाया गया होगा? क्या इस तरह यह मामला प्रशासनिक अराजकता का प्रमाण नहीं बन जाता है।