फोरलेन निर्माता कंपनियों के खिलाफ आयी शिकायत पर कारवाई कब

Created on Wednesday, 16 August 2023 04:07
Written by Shail Samachar
  • क्या इन निर्माणों में पर्यावरण इम्पैक्ट असैसमैन्ट अथॉरिटी की भी कोई भूमिका है
  • क्या इन निर्माता कंपनियों के साथ निगरान तंत्र की भी भूमिका नहीं है
शिमला/शैल। परमाणु-सोलन और किरतपुर-मनाली फोर लेन पर इस वर्षा के कारण जितना नुकसान हुआ है क्या उसके लिये इन फोर लेन निर्माता कंपनीयों को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए? क्योंकि जिस तरह का भूस्खलन हुआ है उसका कारण पहाड़ों का अवैज्ञानिक कटान माना जा रहा है। परमाणु-सोलन में जाबली के पास एक पूरा गांव नष्ट हो गया है। मण्डी-कुल्लू में भी पहाड़ से पत्थर गिरने के कारण मौतें हुई हैं। अवैज्ञानिक कटान आपराधिक लापरवाही की श्रेणी में आता है और दण्डनीय अपराध है। परमाणु- सोलन निर्माण पर सवाल उठाते हुये शिमला के पूर्व उप महापौर सी.पी.एम. नेता टिकेन्द्र पंवर ने परमाणु पुलिस के पास निर्माता कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा कर कंपनी के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किये जाने की मांग की है। मण्डी में भी सी.पी.एम. नेताओं ने किरतपुर-मनाली फोर लेन निर्माता कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किये जाने की मांग की है। पुलिस द्वारा अभी तक यह सामने नहीं आया है कि उसने इन शिकायतों पर क्या कारवाई की है। लेकिन इस संबंध में आये हर अध्ययन में यह माना गया है कि इस नुकसान का बड़ा कारण अवैज्ञानिक कटान रहा है।
निर्माता कंपनियों के खिलाफ आयी शिकायतों के साथ ही यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि क्या इसके लिये केवल यह निर्माता कंपनियां ही जिम्मेदार हैं या प्रदेश सरकार के तंत्र की भी इसमें कोई जिम्मेदारी बनती है। क्योंकि पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को देखने के लिए प्रदेश में पर्यावरण विभाग स्थित है। जब भी किसी नई परियोजना के निर्माण का प्रस्ताव सरकार के पास आता है तो उसकी स्वीकृति दिये जाने से पहले पर्यावरण इम्पैक्ट असैसमैन्ट रिपोर्ट ली जाती है और रिपोर्ट देने के लिये इस आश्य की एक अथॉरिटी भी गठित है। इस अथॉरिटी की रिपोर्ट के बिना किसी भी योजना की अनुमति नहीं मिल पाती है चाहे कोई उद्योग लगाना हो कोई सड़क निर्माण होना हो या कोई विद्युत परियोजना का प्रस्ताव हो।
इस अथॉरिटी की रिपोर्ट के बाद जब निर्माण शुरू हो जाता है तो समय-समय पर यह देखना की निर्माण में तय मानकों की अनदेखी तो नहीं हो रही है। ऐसे में जब फोर लेन निर्माता कंपनियों पर अवैज्ञानिक कटान के आरोप लग रहे हैं तब क्या सारी निगरान एजैन्सियों की भूमिका भी स्वतः ही जांच के दायरे में नहीं आ जाती है? अब जब सी.पी.एम. नेताओं ने निर्माता कंपनियों के खिलाफ शिकायत करके जांच किये जाने की मांग उठा दी है तो क्या उसी तर्ज पर संबद्ध निगरान एजैन्सियों की भी जांच नहीं हो जानी चाहिये।