कहां तक जाएगा मंत्रियों के ब्यानों पर उभरा विवाद

Created on Monday, 17 July 2023 14:34
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह मंत्रिमण्डल के सबसे युवा मंत्री है और एक ऐसे बाप के बेटे हैं जो छः बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। इस नाते उन्हें एक समृद्ध राजनीतिक विरासत धरोहर के रूप में मिली हुई है। इस विरासत को वह कितना संभाल कर रख पाते हैं और कितना आगे बढ़ा पाते हैं यह आने वाला समय ही तय करेगा। अभी दूसरी बार विधायक बने हैं। युवा मंत्री होने के नाते वह अपने ब्यानों में इतनी बेबाक और स्पाट बातें बोल जाते हैं जिससे उनके राजनीतिक प्रतिद्वन्दी कई बार परेशान होना शुरू हो जाते हैं। इसलिए उनके ब्यानों पर चर्चा करना आवश्यक हो जाता है क्योंकि राजनेताओं की जगह कर्मचारी नेता को उन्हें जवाब देने और उन पर हमला करने के लिये उतारा गया है। स्मरणीय है कि जब कांग्रेस ने चुनाव के दौरान पुरानी पैन्शन बहाल की बात की थी तब उसी नेता ने सोलन में एक पत्रकार वार्ता करके इस पर सवाल उठाये थे। आज विक्रमादित्य सिंह और प्रतिभा सिंह के खिलाफ ई.डी. और सी.बी.आई. के मामले में प्रधानमन्त्री से कार्यवाही की मांग की जा रही है। जबकि यह मामले इस समय अदालतों में विचाराधीन चल रहे हैं। शायद गवाहीयों के दौर से गुजर रहे हैं। यहां पर यह उल्लेख करना भी आवश्यक हो जाता है कि आने वाले संसद सत्र में जिन 49 कानूनों को केंद्र सरकार निरस्त करने जा रही है उनमें मनी लॉंडरिंग भी शामिल है। अब इनसे जेल की सजा के बदले केवल जुर्माने का ही प्रावधान रखा जा रहा है। इसलिये इन मामलों में कारवाही की मांग करना केवल राजनीति रह जाता है। विक्रमादित्य सिंह ने यू.सी.सी. का समर्थन किया था और कहा था कि एक देश में एक ही कानून होना चाहिए। संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों में इस आश्य का निर्देश मौजूद है लेकिन इसे लागू करने के लिए धारा 371 में भी संशोधन करना होगा। इस संशोधन से गुजरात महाराष्ट्र समेत एक दर्जन राज्य प्रभावित होते हैं। राजनीतिक विश्लेषक जानते हैं कि मोदी सरकार में यह संशोधन लाने का साहस नहीं है। विक्रमादित्य ने यही प्रश्न किया था कि नौ वर्षों में मोदी सरकार को यह विधेयक लाने से कौन रोक रहा था। लेकिन इस ब्यान के भी मायने बदलने का पूरा प्रयास किया गया। विक्रमादित्य के ब्यान में यह कहीं नहीं था कि वह पार्टी की लाइन से हटकर कोई अपना अलग कदम उठाएंगे। अभी विक्रमादित्य सिंह ने इस बाढ़ और भूस्खलन के लिये अवैध खनन को कारण बताया था। इस अवैध खनन के ब्यान पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने यह कहा है कि अवैध खनन कुछ जगह पर कारण हो सकता है लेकिन सभी जगह नहीं। उन्होंने विक्रमादित्य सिंह के ब्यान को बचकाना करार दिया है। लेकिन यह कहने से ही यह विवाद बढ़ कर राजनीतिक आकार लेने लग पडा है। जहां तक निर्माण संबंधी अवैधताओं का प्रश्न है तो इसके लिए प्रदेश उच्च न्यायालय एन.जी.टी. और सर्वोच्च न्यायालय के दर्जनों आदेश निर्देश इसकी पुष्टि करते हैं कि प्रदेश में अवैध निर्माणों के कारण पर्यावरण को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है। एन.जी.टी. ने तो शिमला से कार्यालयों को दूसरे स्थानों पर ले जाने तक निर्देश दे रखे हैं। इसलिए मंत्रियों के ब्यानों को लेकर खड़ा किया जा रहा विवाद अपने में कोई मायने नहीं रखता है। क्योंकि इस आपदा ने बहुत कुछ साफ कर दिया है। थुनाग के बाजार में बहती मिली लकड़ी पर जांच आदेशित होना बहुत कुछ साफ कर देती है। लेकिन इन ब्यानों से विवाद का असर प्रदेश के सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पर पड़ेगा यह तय है। इस समय लोकसभा की 2014 और 2019 के चुनावों में चारों सीटें भाजपा के पास रही हैं। मण्डी उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने जयराम सरकार को हराकर इस सीट पर कब्जा किया है। अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है इसलिए हाईकमान चारों सीटों की उम्मीद करेगा। इसके लिए समय-समय पर आकलन भी किए जाएंगे। यही अपेक्षा भाजपा हाईकमान को भी यहां से है। क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष और एक केन्द्रीय मन्त्री प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में ऐसे ब्यानों और उन पर उभरी प्रतिक्रियाओं के माध्यम से प्रदेश की राजनीति में नये समीकरण उभारने का प्रयास किया जायेगा यह तय है।