शिमला/शैल। हमीरपुर स्थित अधीनस्थ कर्मचारी सेवा चयन आयोग के माध्यम से होने वाली जे.ओ.ए. (आई.टी.) परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने की सूचना परीक्षा होने से पहले ही पुलिस से लेकर विजिलैन्स तक पहुंच गयी थी। पुलिस ने सूचना मिलते ही तुरन्त प्रभाव से कारवाई करते हुये परीक्षा होने से पहले ही कथित दोषियों को पकड़ लिया। यह परीक्षा होने से पहले ही रद्द कर दी गयी। इसके बाद जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी तो सरकार ने बड़ी जांच करवाने के लिये एसआईटी का गठन कर दिया। क्योंकि इससे पूर्व हुई अन्य परीक्षाओं में भी पेपर लीक की आशंकाएं उभरी। इन आशंकाओं के साथ में इस आयोग का कामकाज 26 दिसम्बर को निलंबित कर दिया और आगे चलकर 21 फरवरी को इसे बन्द ही कर दिया। सरकार की कारवाई से दिसम्बर में ही इस आयोग का सामान्य कामकाज रुक गया। परिणाम स्वरूप जिन परीक्षाओं के परिणाम घोषित होने के कगार पर थे वह रुक गये। कुछ परिणाम निकल चुके थे उनमें भी अगली कारवाई रुक गयी। इस तरह हजारों बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। इस आयोग को भंग करने के बाद इसका काम प्रदेश लोक सेवा आयोग को सौंपा गया है। परन्तु अब जब रोजगार उपलब्ध करवाने को लेकर गठित हुई कमेटी की रिपोर्ट सामने आयी और यह पता चला कि विभिन्न सरकारी विभागों में 70,000 पद खाली हैं तब यह भी सामने आया कि पिछले 5 वर्षों में हमीरपुर बोर्ड ने कितनी भर्तियां की हैं और लोक सेवा आयोग ने कितनी। यह आंकड़ा देखकर यह स्वभाविक सवाल उठा कि ऐसे में तो हमीरपुर बोर्ड के लंबित सौंपे गये काम को तो आयोग को निपटाने में बहुत लंबा समय लगेगा।
यह जानकारी सामने आते ही हमीरपुर बोर्ड के उन अभ्यार्थियों को चिन्ता हो गयी जिन्हें यह आश्वासन दिया गया था कि उनका परिणाम मध्य अप्रैल तक घोषित कर दिया जायेगा। यह लोग मुख्यमंत्री से वास्तविक वस्तुस्थिति जानने शिमला उनसे मिलने आ गये। लेकिन मुख्यमंत्री उनसे न ओकओवर में मिल पाये और न ही कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में मिल पाये। बल्कि जहां मुख्यमंत्री नगर निगम के लिये चुनावी जनसभा करने गये वहां पर भी नही मिल पाये। इन प्रभावित बच्चों ने जिस तरह से रोष में अपनी व्यथा मीडिया से सांझा की है वह आने वाले दिनों में सरकार के लिये कठिनाइयां पैदा करने वाली हो जायेगी। क्योंकि जो पांच लाख रोजगार उपलब्ध करवाने की गारन्टी दी गयी थी उसमें भी अब पांच साल में एक लाख रोजगार देने की बात आ गयी है। इस तरह सरकार की विश्वसनीयता पर अनचाहे ही प्रश्नचिन्ह लगते जा रहे हैं।
हमीरपुर बोर्ड के प्रकरण में विशेष जांच दल अब तक छः एफ.आई.आर. दर्ज कर चुका है। यह मामले विभिन्न परीक्षाओं को लेकर हुये हैं। इनकी जांच पूरी होने और इनके कथित दोषियों के बाद इस सबसे लाभान्वित हुये लाभार्थियों को चिन्हित करके उन्हें भी आरोपी बनाकर इन मामलों के चालान अदालत में दायर करने तक बहुत लंबा समय लगेगा। ऐसे में सरकार को हमीरपुर में ही चयन आयोग को फिर से स्थापित करने का प्रयास करना होगा। अन्यथा बच्चों का जो रोष सामने आया है वह आने वाले संकट की आहट है।