शिमला/शैल। सरकार की मीडिया पॉलिसी पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं और इसकी शिकायत प्रदेश उच्च न्यायालय तक भी पहुंच गयी है। पत्रकार संजय ठाकुर ने मीडिया पॉलिसी के खिलाफ निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क को 28 फरवरी 2023 को एक शिकायत भेजी थी और सात दिन के भीतर इस पर कारवाई करने और इसकी सूचना देने का आग्रह किया था। लेकिन जब विभाग ने इस समय के भीतर कारवाई नहीं की तब संजय ठाकुर में प्रदेश उच्च न्यायालय में दस्तक दे दी। संजय ठाकुर की दस्तक का संज्ञान लेते हुए जस्टिस त्रिलोक चौहान ने इस शिकायत पर पन्द्रह दिन के भीतर कारवाई करने के निर्देश निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क को दिये हैं। इस पर विभाग क्या कारवाई करता है इसकी प्रतीक्षा है। संजय ठाकुर की शिकायत भी पाठकों के सामने यथास्थिति रखी जा रही है। सूचना और जनसंपर्क विभाग किसी भी सरकार का एक महत्वपूर्ण विभाग होता है क्योंकि हर तरह के मीडिया से डील करता है। मीडिया से डील करने के नाते इस विभाग के पास सरकार और समाज से जुड़ी हर तरह की सूचना रहना अपेक्षित रहता है। क्योंकि मीडिया सरकार और समाज के बीच संवाद सेतु का धर्म निभाता है।
हर सरकार का यह प्रयास रहता है कि उसकी नीतियों और कार्यप्रणाली को लेकर ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक संदेश जनता के बीच जाये। सरकार से यह अपेक्षा रखती है कि वह उसका ज्यादा से ज्यादा यशोगान करें। लेकिन जब मीडिया और सरकार दोनों ही अपने इसमें अपने-अपने धर्म का अतिक्रमण कर जाते हैं और इससे समाज का नुकसान होना शुरू हो जाता है। आज जिस तरह से देश का राजनीतिक वातावरण राहुल बनाम मोदी की पराकाष्ठा तक जा पहुंचा उसमें सबसे पहला सवाल मीडिया की ही भूमिका पर उठता है। बल्कि मीडिया को गोदी मीडिया की संज्ञा भी इसी कारण से मिल रही है। क्योंकि मीडिया समाज की पक्षधरता छोड़कर केवल सरकार का ही स्तुतिवाचक होकर रह गया है। मीडिया को गोदी मीडिया बनाने में प्रशासन की भी अहम भूमिका रहती है। क्योंकि प्रशासन में भी हर कनिष्ठ कर्मचारी अधिकारी अपने वरिष्ठ को नजरअन्दाज करवा कर बड़ी कुर्सी हथियाना चाहता है। इसी कारण से सरकारों को मीडिया मंचों के माध्यम से सैकड़ों के हिसाब से श्रेष्ठता के पुरस्कार मिलने के बावजूद यह सरकारें सत्ता में वापसी नहीं कर पाती हैं। आज चार माह की सुक्खू सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को लेकर जो सवाल उठने शुरू हो गये हैं वह एकदम निराधार नहीं है। यह सरकार भी अपनी यशोगान के गिर्द ही केंद्रित होती जा रही है। जो लोग पिछली सरकार को पांच वर्ष हरा ही हरा दिखाते रहे वही आज इस सरकार के गिर्द भी घेरा डाल कर बैठ गये हैं। पिछली सरकार को भी अपनी नीतियों और कार्य योजनाओं में कमियां देखने का साहस नहीं था। सुक्खू सरकार भी उसी चलन पर आ गयी है। यह आरोप लगना शुरू हो गया है। पिछली सरकार में भी सच लिखने वालों को विज्ञापन न देकर उनकी आवाज बन्द करवाने के प्रयास किये गये थे और अब भी वही प्रयास शुरू हो गये हैं। जिस सरकार का सूचना और जनसंपर्क विभाग और उसके संचालक पहले दिन से ही विवादित हो जायें उसके दूसरे विभागों का अन्दाजा भी इसी से लगाया जा सकता है। यदि सरकार और विभाग समय रहते न संभले तो स्थितियां बिगड़ जायेंगी। क्योंकि कुछ सलाहकारों के झगड़े और कुछ अफसरों के आपसी विवाद चर्चित होने शुरू हो गये हैं।
संजय ठाकुर की शिकायत