टिकट वितरण ही तय करेगा कि भाजपा की खेमे बाजी कहां खड़ी है

Created on Wednesday, 19 October 2022 08:00
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। भाजपा ने टिकट आवंटन के लिये कोर कमेटी की बैठक को रद्द करके संसदीय क्षेत्रवार पदाधिकारियों की बैठक बुलाकर उनसे प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिये तीन-तीन नामों का गुप्त मतदान करवाकर उनकी राय जानने की प्रक्रिया अपनाई है। इस मतदान की पेटियां हेलीकॉप्टर के माध्यम से दिल्ली ले जाकर चुनाव चयन कमेटी के सामने रखी जायेंगी। भाजपा को यह प्रक्रिया अपनाने की की बात चुनाव तारीखों का ऐलान होने के बाद ही क्यों दिमाग में आयी। यह सवाल विश्लेषकों के लिये महत्वपूर्ण हो गया है। क्योंकि जब प्रधानमंत्री की चम्बा में रैली आयोजित की गयी थी तब वहां पर जो पोस्टर लगाये गये थे उनमें राज्यसभा सांसद इन्दु गोस्वामी का फोटो गायब था। जैसे ही यह सूचना दिल्ली पहुंची तो वहां से आये निर्देशों के बाद पुराने पोस्टर हटाकर इन्दु गोस्वामी के फोटो के साथ नये पोस्टर लगाये गये। इन्दु गोस्वामी का पोस्टर इस तरह से आने के बाद भाजपा के भीतर की राजनीति में फिर तूफान खड़ा हो गया है। क्योंकि इन्दु गोस्वामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चाएं दो बार बड़ी गंभीरता से उठ चुकी हैं। इन्हीं चर्चाओं के बीच इन्दु गोस्वामी ने सुजानपुर में प्रेम कुमार धूमल को भारी मतों से जीताने की अपील कर दी थी। इससे यह संकेत स्पष्ट रूप से उभर रहे थे की धूमल और इन्दु गोस्वामी का गठजोड़ आने वाले समय में प्रभावी हो सकता है। धूमल कि 2017 के चुनाव में हार एक प्रायोजित षडयंत्र थी यह सामने आ चुका है। धूमल को अपना राजनीतिक सम्मान बहाल करवाने के लिए एक बार चुनाव लड़ कर जीतने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं रह जाता है।
भाजपा के अन्दर अचानक उभरी यह स्थिति आगे चलकर क्या करवट लेती है यह टिकट वितरण से ही साफ हो जाएगा। क्या धूमल और उनके समर्थकों को पार्टी टिकट देती है या नहीं? अगर धूमल चुनाव लड़ते हैं तो स्पष्ट संदेश होगा कि अगले मुख्यमंत्री वही होंगे। इससे एक बार फिर नड्डा-जयराम बनाम धूमल खेमों में अघोषित संघर्ष और तेज हो जायेगा। क्योंकि जब दोनों निर्दलीयों को भाजपा में शामिल करवाया गया था तो उससे धूमल समर्थक ही सीधे प्रभावित हुए थे और इसमें स्थानीय मण्डलों तक को विश्वास में नहीं लिया गया था। वहां से दोनों खेमों में शुरू हुआ यह संघर्ष अब टिकट वितरण में क्या असर दिखाता है यह देखना रोचक होगा। क्या मुख्यमंत्री खेमा इन लोगों को टिकट दिलवा पाता है या नहीं? दोनों निर्दलीयों को स्थानीय मण्डलों के विरोध के बावजूद टिकट मिलना सीधा संकेत होगा कि इस चुनाव में धूमल खेमे को पूरी तरह अप्रसांगिक कर दिया गया है।
ऐसी स्थिति में यह देखना दिलचस्प होगा कि धूमल खेमा चुनाव में क्या भूमिका निभाता है। चुनाव प्रचार में कितना सक्रिय रह पाता है। यह माना जा रहा है कि नड्डा जय राम के आश्वासन पर भाजपा में शामिल हुए चारों विधायकों को यदि पार्टी टिकट दे देती है तो उस स्थिति में किसी भी विधायक या मंत्री का टिकट काट पाना संभव नहीं हो पायेगा। सरकार पर लगते आ रहे नॉन परफारमैन्स के आरोपों के साथ ही पार्टी को चुनाव में उतरना होगा।