शिमला/शैल। कांग्रेस के दो कार्यकारी अध्यक्ष पार्टी छोड़ भाजपा में चले गये हैं। विधायक लखविंदर राणा और पवन काजल भी भाजपा में शामिल हो गये हैं। तीन बार हमीरपुर से भाजपा सांसद और प्रदेश अध्यक्ष रहे सुरेश चन्देल भी भाजपा में वापसी कर गये हैं। कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने वाले सभी नेताओं ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक पर वही रश्मि आरोप दोहराये हैं जो भाजपा का केन्द्र से लेकर राज्य नेतृत्व अब तक लगाता आ रहा है। इनमें से कितने नेता ई.डी. और आयकर विभाग की दबिश से डरकर भाजपा में गये हैं यह सब आने वाले दिनों में सामने आ जायेगा लेकिन इन नेताओं के जाने से सही में कांग्रेस को कितना नुकसान होता है यह इस पर निर्भर करेगा कि जाने वाले कितने लोगों को भाजपा टिकट देकर चुनाव लड़वाती है और वह जीत भी जाते हैं। लेकिन इस जाने से भाजपा तन्त्र नौमिनेशन फाइल होने की अन्तिम दिन तक कई नेताओं और सक्रिय कार्यकर्ताओं के पार्टी छोड़ने की अफवाहें फैलाने के एजेंडे को अंजाम दे सकता है। इसका परिणाम भी उस समय सामने आ गया जब स्वयं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का यह ब्यान छप गया कि यदि कांग्रेस अध्यक्षा प्रतिभा सिंह भी भाजपा में आना चाहे तो उनका स्वागत है। बल्कि जब मुख्यमंत्री का यह ब्यान छपा तब एक वीडियो भी जारी हुआ जिसमें किसी भाजपा नेता राणा की प्रतिभा सिंह के साथ मीटिंग होने तक का जिक्र हुआ। कांग्रेस की ओर से न तो मुख्यमंत्री के ब्यान का और न ही इस वीडियो का कोई कड़ा जवाब आया। बल्कि यह जवाब न आने से और कई नेताओं के पार्टी छोड़ने की अफवाहों का बाजार गर्म है। ऐसी अफवाहों पर विराम लगवाना पार्टी नेतृत्व की जिम्मेदारी हो जाती है क्योंकि इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है। आज अफवाहों और ज्योतिषी आकलनों को मनोवैज्ञानिक हमले की संज्ञा दी जाती है जिसे काऊन्टर करना आवश्यक हो जाता है। कांग्रेस नेतृत्व इस प्रचार का जवाब देने में असफल रहा है इसमें कोई दो राय नहीं है। इस समय कांग्रेस में स्व. वीरभद्र सिंह के बाद नेतृत्व का सवाल स्वभाविक रूप से खड़ा है। क्योंकि आज की तारीख में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कॉल सिंह भी 2017 का चुनाव हारने के बाद नेतृत्व के पहले दावेदार नहीं रह जाते हैं। इस समय चुनाव न हारने के मानक पर आशा कुमारी और मुकेश अग्निहोत्री तथा हर्षवर्धन चौहान रह जाते हैं। ठाकुर रामलाल और सुखविन्दर सिंह सुक्खू के नाम भी चुनाव हारने का तमगा चिपक चुका है। लेकिन जहां मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने को प्रमाणित कर दिया है वहीं पर मुकेश के बाद सुक्खू का बतौर अध्यक्ष रहा कार्यकाल भी पार्टी के लिये एक बड़ा योगदान रहा है जबकि वह स्व. वीरभद्र सिंह के साथ लगातार टकराव में रहे हैं। इस परिदृश्य में आज भाजपा के भ्रामक प्रचार को चुनौती देने की जिम्मेदारी सामूहिक रूप से प्रतिभा सिंह, आशा कुमारी, सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री तथा हर्षवर्धन चौहान की बन जाती है। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व भाजपा के प्रचार को सक्षम रूप से चुनौती नहीं दे पा रहा है। बल्कि इन सभी नेताओं को उनके ही चुनाव क्षेत्रों में बांध कर रखने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। इस समय भाजपा जिला शिमला में सबसे ज्यादा कमजोर है भाजपा पर यह दबाव और पुख्ता करने के लिए यदि प्रतिभा सिंह शिमला से विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना पर काम करती हैं तो शिमला के अतिरिक्त पूरे प्रदेश में वीरभद्र सिंह के समर्थकों को न केवल सक्रिय होने का अवसर मिलता है बल्कि उनको एक राजनीतिक आका भी मिल जाता है। संयोग से भाजपा में धूमल के अतिरिक्त प्रदेश स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं को आका नहीं मिल पाया है। क्योंकि जयराम एक वर्ग विशेष से बाहर ही नहीं निकल पाये हैं।