अब अदाणी के 280 करोड़ बने जयराम सरकार के गले की फांस

Created on Tuesday, 21 June 2022 13:28
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। जयराम सरकार 70,000 करोड़ के कर्ज के चक्रव्यूह में फंसी हुई है। सरकार को केंद्र की मोदी सरकार की ओर से भी कोई बड़ी आर्थिक सहायता नहीं मिल पायी है। यह कैग रिपोर्ट ने सामने ला दिया है। ऐसे में जब चुनावी वर्ष में मोदी के विश्वासपात्र अदाणी के 280 करोड़ 9% ब्याज सहित लौटाने का निर्देश प्रदेश उच्च न्यायालय की एकल पीठ से आ जाये तो यह सरकार के लिये कैसी स्थिति पैदा कर देगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। स्मरणीय है की उच्च न्यायालय की जस्टिस संदीप शर्मा पर आधारित एकल पीठ ने 12 अप्रैल को यह फैसला सुनाया है की 960 मेगावाट की जंगी-थोपन-पवारी परियोजना में ब्रैकल एन.वी.के नाम पर अदाणी पावर से आये 280 करोड़ के अपफ्रंट प्रीमियम को 9% ब्याज सहित अदाणी पावर को वापस लौटाया जाये। स्मरणीय है कि 2006 में वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में 960 मैगावाट की यह परियोजना नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल एन.वी को दी गयी थी। लेकिन किन्ही कारणों से यह कंपनी 280 करोड़ का अपफ्रंट प्रीमियम अदा नहीं कर पायी। ऐसा न कर पाने पर रिलायंस ने इस आवंटन को चुनौती दे दी। सरकार बदल चुकी थी। धूमल सत्ता में थे मामला उच्च न्यायालय में चल रहा था अदाणी ने ब्रेकल के नाम पर 280 करोड़ ब्याज सहित जमा करवा दिये। मामला उठा कि जब अदाणी ब्रेकल एन.वी. का पार्टनर ही नहीं है तो उसने किस हैसियत से यह रकम जमा करवायी और सरकार ने इसे स्वीकार कैसे कर लिया। मामला उच्च न्यायालय से होकर सर्वाेच्च न्यायालय तक पहुंच गया। रिलायंस भी पीछे हट गया। परियोजना ब्रेकल एन.वी. रिलायंस और अदाणी किसी को भी नहीं मिल पायी। अब जयराम सरकार ने इसे एसजेवीएनएल को सौंपा है। लेकिन इस सबके बीच अदाणी के 280 करोड़ का मामला खड़ा रहा। 2015 में वीरभद्र सरकार ने इस परियोजना को रिलायंस को देने का फैसला लेते हुये यह भी फैसला दिया था कि इसमें रिलायंस से जो पैसा मिलेगा उससे अदाणी का पैसा लौटा दिया जायेगा। लेकिन यह परियोजना फिर रिलायंस को नहीं मिल पायी और वीरभद्र सरकार ने पैसा लौटाने का फैसला वापस ले लिया। बल्कि उस समय योग गुरु स्वामी रामदेव भी चर्चा में आ गये थे। फिर सरकार बदल गयी और 2019 में अदाणी फिर से उच्च न्यायालय पहुंच गये। लेकिन जयराम सरकार ने फैसला ले लिया कि यह रकम विभिन्न उपलब्धियों के कारण जब्त कर ली गयी है। इसलिये इसे वापस नहीं किया जायेगा। लेकिन अब अदालत ने वीरभद्र सरकार के दौरान लिये इस फैसले के आधार पर की रिलायंस से पैसा मिलने पर अदाणी को लौटा दिया जायेगा पर यह निर्देश सुना दिये की दो माह के भीतर ब्याज सहित यह रकम अदाणी को लौटा दी जाये। अदालत ने साफ कहा है कि सरकार अपने फैसले को ऐसे नहीं बदल सकती। फैसले को एक माह से ज्यादा का समय हो गया। अपील का सामान्य समय निकल गया है। अदाणी ने उच्च न्यायालय में केविएट भी दायर कर रखी है। ऐसे में प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में इस मामले पर सबकी निगाहें लगी हुई है। वैसे कांग्रेस और वाम दल अपने-अपने कारणों से इस पर चुप हैं। आम आदमी पार्टी को इसकी जानकारी ही नहीं है।