भाजपा और आप से एक साथ लड़ने के लिए आपसी एकजुटता आवश्यक होगी
शिमला/शैल। जैसे-जैसे प्रदेश विधानसभा के चुनाव निकट आ रहे हैं उसी अनुपात में कांग्रेस के अंदर खिंचातान बढ़ती जा रही है। इस खींचातान में मुद्दा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी बनती जा रही है। माना जा रहा है कि जिसके पास यह कुर्सी होगी विधानसभा चुनाव के लिये टिकट के आवंटन में उसी का दबदबा रहेगा। यदि इस धारणा को सही माना जाये तो इसका अर्थ फिर यही निकलता है कि प्रदेश को लेकर हाईकमान का अपना कोई स्वतंत्र आकलन नहीं है और वह केवल पार्टी नेतृत्व और प्रभारियों के फीडबैक पर ही निर्भर करेगी। इस संदर्भ में यदि राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश तक की बात की जाये तो 2014 में जब दिल्ली में सत्ता परिवर्तन हुआ था तब कांग्रेस को भ्रष्टाचार का पर्याय करार देकर लोकपाल की नियुक्तियों को मुद्दा बनाया बताया गया था। इस परिदृश्य में जब 2017 में प्रदेश विधानसभा के लिए चुनाव हुये तब स्व. वीरभद्र सिंह आयकर ईडी और सीबीआई के मामले झेल रहे थे। जिन्हें 2017 और 2019 के चुनाव में भी खूब भुनाया गया। परिणाम स्वरुप दोनों बार पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। 2019 तक सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश अध्यक्ष थे। स्व. वीरभद्र सिंह ने सुक्खू को हटाने की मांग शुरू कर दी। सुक्खू को हटाकर कुलदीप राठौर को अध्यक्ष बनाया गया। 2019 के लोकसभा चुनावों में जब इस तरह के ब्यान आये की कोई भी मकरझंडू चुनाव लड़ लेगा तो उसका पूरे चुनावी परिदृश्य पर क्या असर पड़ेगा यह कोई भी अंदाजा लगा सकता है कुलदीप राठौर ने इस पृष्ठभूमि में शुरुआत की। पहले दो नगर निगमों और फिर चार उपचुनावों में जीत दर्ज की। इस दौरान कितने बड़े नेता चुनाव लड़ने से टलते रहे और कितनों को लेकर यह क्यास चलते रहे कि कौन-कौन भाजपा में जाने की तैयारी कर रहा है। आज भी यह चर्चाएं जारी है कि कांग्रेस के कई बड़े लोग नड्डा के संपर्क में चल रहे हैं।
आज जो प्रदेश की स्थिति बनी हुई है उसमें सरकार के खिलाफ फिजूलखर्ची के आरोप कैग रिपोर्टों तक में लग चुके हैं। प्रदेश कर्ज के चक्रव्यू में फंस चुका है। बेरोजगारी के मसले पर हिमाचल हरियाणा के बाद देश में दूसरे स्थान पर है। महंगाई के कारण हर आदमी परेशान है। इस समय सरकार को इन मुद्दों पर घेरने और जनता को जागरूक करने की जरूरत है। जनता को यह अपेक्षा कांग्रेस से है प्रदेश का राजनीतिक इतिहास इस बात का गवाह है कि यहां पर हर बार सत्ता परिवर्तन का कारण भ्रष्टाचार रहा है। भाजपा कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर कांग्रेस भाजपा आरोप लगाकर जांच की बात करती रही है। लेकिन इस बार कांग्रेस भाजपा के खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा खड़ा नहीं कर पायी है। विधानसभा के अंदर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री जितने माफियाओं को सरकार द्वारा संरक्षण देने के आरोप लगा चुके हैं उन्हीं आरोपों को संगठन जनता में आगे नहीं बड़ा पाया है। दूसरी ओर यह संभावना बनी हुई है कि चुनाव जल्द हो जायेंगे। ऐसे में यदि कांग्रेस इस समय सरकार पर एकजुटजा के साथ आक्रमकता बढ़ाने के बजाय नेतृत्व के मुद्दे पर ही उलझी रही तो उसके लिये कठिनाइयां बढ़ जायेंगी।
कांग्रेस को यह ध्यान में रखना होगा कि आप ने प्रदेश में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इस ऐलान के बाद कांग्रेस से ज्यादा लोग आप में गये हैं। यह सही है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी में आप को भाजपा की बी टीम करार दिया गया है। लेकिन इसे फील्ड में प्रमाणित करने के लिए कुछ ठोस नहीं किया जा रहा है। आप ने पंजाब में कांग्रेस से सत्ता छीनी है यह याद रखना होगा। भाजपा और आप दोनों के साथ एक बराबर लड़ना होगा। इस लड़ाई के लिये संगठन के चुनावों तक अध्यक्ष के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालकर नहीं रखा जाता है तो पार्टी को नुकसान से कोई नहीं बचा पायेगा।