राजधानी में बिना अनुमतियों के ग्यारह मंजिला निर्माण

Created on Wednesday, 09 December 2020 13:24
Written by Shail Samachar

अदालत के आदेश के वाबजूद कोई कारवाई नही
सभी विभागों/अधिकारियों ने रखी आंखे बन्द
स्थानीय पार्षद तक भी रहे चुप
क्या यह सब किसी बड़े के आशीर्वाद के बिना संभव हो सकता है?


शिमला/शैल। क्या राजधानी नगर शिमला में भी बिना अनुमति के कोई ग्यारह मंजिला निर्माण बन सकता हैै। यह सवाल इसलिये उठता है कि शिमला में नगर निगम है और एनजीटी के 16-10-2017 के फैसले के अनुसार यहां पर अढ़ाई मंजिल से अधिक का कोई निर्माण हो ही नही सकता। ऐसे में जब कोई ऐसा निर्माण हो जाये और प्रदेश उच्च न्यायालय तथा एनजीटी में यह तथ्य सामने आये कि इस निर्माण के पास वांच्छित अनुमतियां नही हैं तो इसके लिये किसे दोष दिया जाये? क्या यह पूरी सरकार और उसके तन्त्र पर सवाल नही उठता कि आखिर सरकार चल कैसे रही है। कोरोना काल में हुए इस निर्माण को लेकर जब एक शिकायत एनजीटी में गयी तब एनजीटी ने अपने फैसले में साफ कहा है किIt is patent from the above that the project proponent does not have Environmental Clearance (EC) apart from other violations. There is nothing to show compliance of requirement of Air and Water Acts. In view of this position, the Director, Town and Country Planning, H.P, Commissioner, Municipal Corporation, Shimla, SEIAA, Himachal Pradesh and the State PCB may ensure that the  project does not proceed further in violation of law. Action may also be taken  for prosecution and assessment  and recovery of environmental compensation, following due process of law. Further report in the matter be filed on or before on 31.08.2020 by email at This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it..
लेकिन इन आदेशों पर आज तक अमल नही हो पाया है। प्रदेश उच्च न्यायालय में भी जब यह मामला आया था तब उच्च न्यायालय ने भी यह कहा है कि Be that as it may, the rejection of the afore espousal of the plaintiff in COMS no. 23 of 2018, would not relive M/s Nirvana Woods and Hotels Pvt. Ltd. of the dire obligations, of its ensuring its raising constructions, upon, the suit land, upon its theirs holding a, valid sanction, from the authorities concerned vis-a vis, the proposed construction. In sequel the contesting defendants are permitted to raise construction, only upon, its holding a validly meted sanction by the authorities concerned, and also if construction is commenced by M/s Nirvana Woods and Hotels Pvt. Ltd., fling an affidavit with a clear disclosure therein, that, it would not claim any equities in the construction raised upon, the suit land.

एनजीटी और प्रदेश उच्च न्यायालय की इन टिप्पणीयों से स्पष्ट हो जाता है कि इस निर्माण में लगी निर्वाणा वुडज़ एण्ड होटल प्रा.लि. के पास निर्माण की आवश्यक अनुमतियां नही हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय के बाद यह मामला रेरा में भी गया था। रेरा ने इस पर 3-1-2020 को फैसला दिया और केवल निर्माता के पंजीकरण तक ही अपने को सीमित रखा। In view of the foregoing submissions, and after perusal of the case file & after hearing the disputing parties along with the counsel present, official record along with the directions passes by the Hon’ble High Court of Himachal Pradesh vide its order dated 13-08-2019, the real estate project of  M/s Nirvana Woods and Hotels Pvt. Ltd is fit for registration under the provisions of the Real Estate (Regulation and    Development ) Act, 2016. The real estate project may be registered strictly in  consonance with the provisions of the Real      Estate( Regulation and  Development Rules, 2017 subject to the further orders of the Hon’ble High Court of Himachal Pradesh in this matter.  
इस परिदृश्य में यदि पूरे मामले पर नजर डाली जाये तो सामने आता है कि निर्वाणा वुडज़ एण्ड होटल प्रा.लि. ने टीसीपी से आवासीय कालोनी के निर्माण के लिये अनुमति ली थी। यह निर्माण नगर निगम शिमला के टूटी कण्डी वार्ड के रिड़का में प्रस्तावित था। इसके लिये ज़मीन खरीद की अनुमति सरकार से 26-4-2017 को दी गयी थी। यह निर्माण नगर निगम शिमला के क्षेत्र में होना था और हुआ भी है। इस नाते इसका नक्शा नगर निगम द्वारा पारित किया जाना था। लेकिन यह नक्शा नगर निगम की बजाये साडा शोघी द्वारा 18-1-2017 को पारित किया गया। नगर निगम क्षेत्र में साडा शोघी का अधिकार क्षेत्र कैसे बन गया इस सवाल का जवाब आज तक नही आया है। टीसीपी से आवासीय कालोनी के निर्माण की अनुमति ली गयी थी और अब इसमें होटल के संचालक की अनुमति पर्यटन विभाग से मांगी जा रही है। निदेशक पर्यटन के 4-6-2020 के पत्र के अनुसार यह पर्यटन के नियमों/मानकों के तहत उल्लघंना का मामला बनता है।
पर्यटन विभाग एक ओर इसे नियमांे /मानकों की उल्लघंना का मामला मान रहा है तो दूसरी ओर होटल निरीक्षक से इसका निरीक्षण भी करवा रहा है। निरीक्षण रिपोर्ट के मुताबिक निर्माण की स्थिति यह है
निरीक्षण रिपोर्ट से स्पष्ट हो जाता है कि यहां पर बड़ा निवेश किया गया है। रिकार्ड से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि यह सारा निर्माण एनजीटी के 16-11-2017 के फैसले के बाद हुआ है क्योंकि ज़मीन खरीद की ही अनुमति 2017 में मिली है। एनजीटी के फैसले के बाद नगर निगम क्षे़त्र में ग्यारह मंजिले निर्माण की अनुमति मिलना संभव नही था इसलिये साडा का रास्ता अपनाया गया। रेरा में जब मामला गया तब भी यह अनुमतियां न होने का तथ्य उसके सामने था। लेकिन रेरा ने अपने को केवल पंजीकरण तक ही सीमित रखा और 28-1-2020 को रेरा के तहत यह पंजीकरण हुआ। टूटी कण्डी वार्ड में यह निर्माण हुआ है लेकिन यह रहस्य बना हुआ है कि वहां के पार्षद ने भी इसका कोई संज्ञान नही लिया और नगर निगम के संज्ञान में इसे लाया। इस तरह हर संवद्ध अधिकारी/विभाग ने बिना अनुमतियों के हो रहे इस निर्माण पर अपनी आखें बन्द रखी। यहां तक की अदालत के आदेशों के वाबजूद किसी के खिलाफ कोई कारवाई नही हुई। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि क्या यह सब कुछ किसी बड़े के आशीर्वाद के बिना संभव है जो पूरे तन्त्र पर भारी पड़ा है।