क्या जयराम सरकार भ्रष्टाचार के आगे लाचार है

Created on Wednesday, 14 October 2020 10:39
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। हर राजनेता और राजनीतिक दल सत्ता में आने से पहले भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरैन्स के वायदे और दावे करता है। बल्कि विपक्ष में रहते हुए सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के भारी भरकम आरोप पत्र भी राज्यपाल को सौंपते हैं लेकिन सत्ता में आने पर इसका एकदम अपवाद सिद्ध होते हैं। आज जयराम सरकार को सत्ता में आये तीसरा साल चल रहा है और यह सरकार भी अपने पूर्ववर्तीयों के ही नक्शे कदम पर चल रही है। भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए जो आरोप पत्र तत्कालीन सरकार के खिलाफ सौंपे थे उन पर तीन वर्षों में कोई कारवाई सामने नही आयी है। उल्टा यह सरकार स्वयं ही अपने ही लोगों द्वारा लगाये जा रहे आरोपों के साये में घिरती जा रही है। इस सरकार के खिलाफ यह सिलसिला बेनामी पत्रों से शुरू हुआ था। इसकी पहली कड़ी धर्मा-धर्माणी के नाम पत्र से शुरू हुई। दूसरी कड़ी में शान्ता के नाम एक कार्यकर्ता का पत्र जारी हो गया। फिर उद्योग मन्त्री विक्रम ठाकुर को लेकर पत्र आ गया। गोविन्द ठाकुर ने तो यहां तक कह दिया था कि जितने पैसे धर्मशाला स्टेडियम के निर्माण पर खर्च किये गये हैं उतने पैसे से तो हर जिले में ऐसे स्टेडियम खड़े कर दिये जाते। फिर जब इन्दु गोस्वामी को महिला ईकाई के अध्यक्ष पद से हटाया गया था तब जो पत्र उन्होंने लिखा था उसने एक तरह से सारे आरोपों पर मुहर लगा दी थी। बिलासपुर में बन रहे हाईड्रो कालिज के निर्माण के ठेके में तो रिकार्ड ही कायम कर दिया गया। इसमें 92 करोड़ की निविदा देने वाली कंपनी को छोड़कर 100 करोड़ की निविदा वाले को काम दे दिया गया। यह आठ करोड़ क्यों ज्यादा खर्च किये गये इसका कोई जवाब आजतक नही आया है और जो निर्माण 18 माह में पूरा हो जाना था वह आज तीन वर्षों में भी पूरा नही हो पाया है।
अभी पिछले दिनो पूर्व मन्त्री विजय मनकोटिया ने मन्त्री सरवीण चौधरी के खिलाफ जमीन खरीद के आरोप लगाये तब इन आरोपों पर विजिलैन्स जांच करवाये जाने के खुले संकेत दिये गये लेकिन जैसे ही सरवीण ने दूसरे मन्त्रीयों की ओर सूई घुमाई तो जांच के सारे दावे हवा हो गये। आज कई मन्त्रीयों के परिजनों पर आऊटसोर्स के माध्यम से नौकरियां बांटने और उनका कमीशन खाने के आरोप लगने शुरू हो गये हैं। स्वास्थ्य विभाग की खरीदारियों पर तो कैग रिपोर्ट गंभीर सवाल उठा चुकी है और विभाग की वर्किंग स्थिति क्या है यह प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञान में ली गयी याचिका के जवाब में सामने आ चुका है। वीरभद्र सरकार के समय नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से खरीदी गयी स्कूल बर्दीयों पर उस समय भाजपा ने बड़ा सवाल उठाया था। इसकी जांच हुई थी और सप्लायर का पैसा रोक लिया गया था। लेकिन जयराम सरकार आने पर यह पैमेन्ट कर दी गयी और यह सामने नही आ पाया कि वास्तव में दोष सप्लायर का था या सरकारी तन्त्र का।
भ्रष्टाचार के आरोपों की यह कहानी अब उस समय और मुखर होकर सामने आ गयी है जब जयराम सरकार द्वारा बैंक के अध्यक्ष पद की ताजपोशी से नवाजी गयी महिला नेत्री शशी बाला के खिलाफ संघ की ही ईकाई हिन्दु जागरण मंच द्वारा आरोपों का गंभीर पिटारा जनता में रख दिया गया है। यह पिटारा सामने आने से भाजपा का पुराना सारा इतिहास एकदम ताजा होकर सामने आ जाता है। वर्ष 2004 में सुरेश भारद्वाज पार्टी के अध्यक्ष थे तब इनके नेतृत्व में 6 मार्च 2004 को सरकार के खिलाफ एक आरोप पत्र सौंपा गया था। उसके बाद 2006 में जयराम पार्टी के अध्यक्ष थे तब इनके नेतृत्व में करीब 40 पन्नों का एक आरोप पत्र तत्कालीन सरकार के खिलाफ सौंपा गया था। यह आरोप पत्र तैयार करने वालो में महेन्द्र सिंह ठाकुर और राजीव बिन्दल भी शामिल थे। आज जयराम प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं। महेन्द्र सिंह ठाकुर और सुरेश भारद्वाज दोनों उनके मन्त्रीमण्डल में शामिल हैं जो आरोप पत्र 2004 और 2006 में इन लोगों ने सौंपे थे उन पर क्या कारवाई हुई और कितने आरोप प्रमाणित हो पाये थे यह आज तक प्रदेश की जनता के सामने नहीं आ पाया है। आज यह लोग स्वयं सत्ता में हैं इसलिये जनता का यह जानने का हक बनता है कि इन आरोपों की सच्चाई क्या थी और आज जो आरोप लग रहे हैं उनपर क्या यह कोई कारवाई कर पायेंगे क्योंकि यह सरकार तो 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के राजकुमार, राजेन्द्र सिंह बनाम एसजेवीएनएल मामले में फैसले के अनुसार कारवाई करने का साहस नही कर पा रही है।
शशि बाला पर हिन्दु जागरण मंच के सवाल
भ्रष्टाचार में डूबी बाला है पूरी की पूरी...... कौन जाने सरकार के बड़े-बड़ों की है क्या मजबूरी...
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
अभी तो बहुत लम्बी है तुम्हारे
घोटालों की लिस्ट...
सब पता है हमें कौन भर रहा है
गाड़ियों की किश्त....
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
जिसने पंचायत के सामुदायिक
भवनों तक को खाया....
उस भ्रष्टाचारी को सरकार ने
गोद में बैठाया.....
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
जो कहती है हमे बैंड बाजे वाले....
उसने किये हैं हर जगह घोटल पर
घोटाले....
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
जो पंचायत के सामुदायिक
शौचालय को तक खा गयी..
वह देखो इस सरकार में चेयरमैन
बनकर आ गयी....
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
5181216 रूपये का जिसने किया
है पंचायत में घोटाला....
बेशर्म सरकार की दरियादिली
देखिए उसे ही चेयरमैन बना
डाला...
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
सरकार की ऐसी भी क्या है
मजबूरी...??
क्यों नही बना पा रहे भ्रष्टाचारियों
से दूरी....??
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
क्यों बिठाया है उसको सिर पर...
जो तुष्टिकरण कर रही है कदम
कदम पर....
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
इसाईकरण की जिसके गांव में चल
रही है फैक्ट्री...
वो बनी फिर रही है भाजपा की
नेत्री...
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
दोषियों को बचाना ही क्या सरकार
की धूरी है....?
भ्रष्टाचारी बाला को रखने की ऐसी
भी क्या मजबूरी है...?
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
जिसने पंचायत में भी किया है
घोटाला.....
सरकार ने उसे चेयरमैन बना
डाला..
# शशी बाला को बर्खास्त करो।
हिन्दू जागरण मंच रोहडू में भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण मामले में सरकार की ओर से समुचित कार्यवाही की प्रतिक्षा में है....
यदि शीघ्र कार्......  

                                                            2004 का आरोप पत्र


































                                                              2006 का आरोप पत्र