सरवीन के खिलाफ मनकोटिया के आरोपों पर असमंजस में सरकार

Created on Tuesday, 15 September 2020 11:18
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। जयराम मन्त्रीमण्डल में उनकी सहयोगी मन्त्री सरवीन चौधरी के खिलाफ उनके राजनीतिक प्रतिद्वन्दी पूर्व मन्त्री विजय सिंह मनकोटिया ने एक पत्रकार वार्ता में कहा है कि यदि जयराम सरकार उनके द्वारा लगाये आरोपों पर जांच नही करवाते हैं तो वह यह सारा मामला प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के सामने ले जायेंगे। मनकोटिया ने अपने आरोपों को पुनः दोहराते हुए इस आश्य के पत्र भी प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमन्त्री तक लिख दिये हैं। मनकोटिया की इस चुनौती के साथ ही सरकार की उलझन भी बढ़ गयी है। स्मरणीय है कि जब मनकोटिया ने पहली बार यह आरोप लगाये थे तब उन्होंने सरवीन चौधरी का नाम नही लिया था। लेकिन आरोप सामने आने के बाद जिस तरह से इस मामले पर चर्चा आगे बढ़ी  उससे यह संकेत उभरे कि सरकार ने विधिवत यह मामला विजिलैन्स को सौंप दिया है और प्रारम्भिक जांच में आरोपों में दम पाया गया है। लेकिन जब विधानसभा सत्र में इसका जिक्र आया तो यह सामने आया कि सरकार ने इसमें फार्मल तरीके से कुछ नही किया है। विधानसभा की चर्चा में इस तरह की जानकारी आने के बाद ही मनकोटिया ने दूसरी  बार यह हमला बोला है और प्रधानमन्त्री तक जाने की बात की है।
 मनकोटिया ने अब सीधे सरवीण पर नाम लेकर हमला बोला है। सरवीन के प्रति, उनके बेटे, भाई और भाई की पत्नी सभी पर जमीनें खरीदने के आरोप लगाये हैं। आरोपों में यह संकेत दिया है कि इन लोगों ने सक्षम और स्वतन्त्र आय स्त्रोत न होते हुए सर्कल रेट से कम कीमत पर यह जमीने खरीदी हैं। लेकिन इन आरोपों को प्रमाणित करने के कोई दस्तावेजी़ साक्ष्य साथ नही लगाये हैं। सरवीन के सीए पर भी आरोप लगाया गया है कि उसके परिजनों को कुछ सरकारी विभागों में नौकरीयां भी दी गयी हैं। इसी के साथ चुनाव क्षेत्र के विकास को भी नजरअन्दाज करने के आरोप लगाये गये हैं। इन आरोपों की जांच के लिये आयकर विभाग से भी सहयोग लेने की आवश्यकता होगी। क्योंकि यदि यह लोग आयकरदाता नहीं है तो आरोपो की दिशा ही बदल जाती है और उसके लिये आयकर में अलग से शिकायत जायेगी। आयकरदाता होने की स्थिति में वह जमीन खरीदने के लिये पात्र हैं और यही देखा जायेगा कि आयकर के मुताबिक उनके स्त्रोत वैध हैं या नही। सीए के परिजनों को नौकरी मिलने में संबधित विभागों की प्रक्रिया की जांच होगी। सरवीन उन विभागों की मन्त्री नही रही है। सर्कल रेट से कम पर रजिस्ट्री होने में राजस्व विभाग की प्रक्रिया जांच में आयेगी। क्या विजिलैन्स इन सारे कोणों से मामले को देख पाया है यह अभी स्पष्ट नही है।
लेकिन इस मामले का राजनीतिक स्वरूप अब गंभीर हो जायेगा यह तय है क्योंकि मनकोटिया की प्रतिष्ठा अब दाव पर आ गयी है। सरकार के लिये अपनी साख का सवाल हो जायेगा। मामले की जांच पूरी होने में सरकार का पूरा कार्यकाल निकल जायेगा। बिना पूरी जांच के मन्त्री के खिलाफ कारवाई करना यह दर्शायेगा कि इस पृष्ठभूमि में सरकार में ही बैठे कुछ लोगों की भूमिका है। ऐसे में आने वाले समय में और भी कई बड़े लोगों पर इससे भी गंभीर आरोप लगने की संभावनाओं से इन्कार नही किया जा सकता।