मन्त्री की पत्नी के पर्स चोरी मामले में सरकार की जांच के मायने क्या हैं?

Created on Monday, 14 October 2019 13:16
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। जयराम सरकार के वन मन्त्री गोबिन्द ठाकुर की पत्नी रजनी ठाकुर का पर्स सात अक्तूबर को चण्ड़ीगढ़ के सैक्टर आठ स्थित हैडमास्टर सैलून के सामने पार्क उसकी गाड़ी HP -660001 से चोरी हो गया है। यह चोरी का मामला मीडिया में इस तरह चर्चित हो उठा कि मुख्यमन्त्री को इस प्रकरण में जांच करवाने का ब्यान देना पड़ा है। यह जांच कब होती है और इसमें क्या सामने आता है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन यह जांच सरकार को करवाने की क्यों आवश्यकता आ पड़ी जबकि इसमें पहले ही एफआईआर मन्त्री की पत्नी करवा चुकी है। इसी एक बिन्दु से इस सारे मामले की राजनीतिक गंभीरता बदल जाती है। जबकि इस तरह की घटनाएं वर्तमान परिवेश में सामान्य बात है।
मन्त्री की पत्नी जिस गाड़ी में थी उसका पंजीकरण एम डी एच आर टी सी के नाम है और शायद यह गाड़ी मंत्री के साथ अटैच है। लेकिन मंत्री के साथ सरकारी गाड़ी के अटैच होने से ही उसमें मन्त्री के बिना उनकी पत्नी यात्रा की पात्र नही हो जाती है। फिर इस गाड़ी से चोरी हुए पर्स में अन्य सामान के अतिरिक्त 2.5 लाख कैश था। वित्त अधिनियम 2007 के अनुसार एक समय में इतनी नकदी कोई भी आदमी अपने साथ नही रख सकता है। इस प्रकरण के ऐसे बिन्दु हैं जिनका वैध रूप से कोई जवाब नही है। जबकि अन्यथा यह सब कुछ बहुत सामान्य है। इस मामले में मन्त्री की पत्नी ने स्वयं एफआईआर दर्ज करवाई है और उसके मुताबिक वह पांच घण्टे सैलून में रही हैं। हो सकता है कि जब एफआईआर दर्ज करवायी गयी तब इन बिन्दुओं पर विचार ही नही किया गया हो। यहां यह भी सवाल उभरता है कि जब यह एफआईआर करवायी गयी तब क्या इस घटना की जानकारी मन्त्री को नही दी गयी? यदि मन्त्री के संज्ञान में लाने के बाद यह एफआईआर दर्ज करवायी गयी है तब इसमें मन्त्री की समझ पर भी सवाल उठना स्वभाविक है।
लेकिन अब जब मुख्यमन्त्री ने भी इस प्रकरण में जांच करवाने का ब्यान दिया है तो यह और सवाल उठ जाता है कि क्या गाड़ी में एफआईआर में दर्ज करवाये गये सामान के अतिरिक्त कुछ और तो नही था।