समृद्धि और आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हिमाचल प्रदेश

Created on Thursday, 14 August 2025 19:03
Written by Shail Samachar

 -सुखविंद्र सिंह सुक्खू

मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश

79वें स्वतंत्रता दिवस की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। भारत की आजादी, एकता और अखंडता वर्षों के संघर्ष और वीर सपूतों के असंख्य बलिदानों का प्रतिफल है। यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि देश की आन-बान और शान बनाए रखने के लिए हमारे प्रदेश के वीर जवानों ने हमेशा प्रमुख भूमिका निभाई है तथा अपने कर्त्तव्य को निभाते हुए बलिदान और शौर्य की अमर गाथाएं लिखी हैं।
यह गर्व की बात है कि हिमाचल के वीर सपूतों ने 4 परमवीर चक्र, 2 अशोक चक्र, 11 महावीर चक्र और 23 र्कीति चक्र जीते हैं। देश का पहला परमवीर चक्र, प्रदेश के वीर सपूत मेजर सोमनाथ शर्मा को प्राप्त हुआ था। इसके बाद, कर्नल डी.एस. थापा, कैप्टन विक्रम बतरा, तथा सूबेदार मेजर संजय कुमार को भी परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
वर्ष 2023 में गंभीर प्राकृतिक आपदा का सामना हमने अपने संसाधनों से सफलतापूर्वक किया। इस साल भी मूसलाधार बारिश और बादल फटने के कारण आई विनाशकारी बाढ़ से हमें जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इस आपदा से मंडी ज़िला सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है। हमने 200 से अधिक बहुमूल्य जीवन खोए हैं और अधोसंरचना को लगभग दो हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान पहंुचा है। यह आपदा बहुत बड़ी है और प्रदेश सरकार संकट की इस घड़ी में प्रभावितों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। हमने आपदा के फौरन बाद युद्धस्तर पर राहत और पुनर्वास के कार्य शुरू किए तथा वर्ष 2023 की तरह इस बार भी आपदा प्रभावितों को राहत पहंुचाने के लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा की है, जिसे 25 गुना तक बढ़ाया गया है।
इस पैकेज के अंतर्गत पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकान के लिए दी जाने वाली 1 लाख 30 हज़ार रुपये की सहायता राशि को बढ़ाकर 7 लाख रुपये और आंशिक क्षति पर 12 हज़ार 500 रुपये की राशि को बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। इसके अलावा क्षतिग्रस्त दुकान अथवा ढाबे, गौशाला, पशुओं की हानि, क्षतिग्रस्त पॉलीहाउस, कृषि व बागवानी भूमि के नुकसान आदि के लिए भी राहत एवं मुआवज़ा राशि में कई गुणा वृद्धि की गई है।
हमारी सरकार ने अपने कार्यकाल में राजनीतिक, आर्थिक और प्राकृतिक आपदा जैसी गम्भीर चुनौतियों का मजबूती से सामना किया है। प्रदेश को समृद्धि और आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से आगे ले जाने के लिए हम निरंतर प्रयासरत हैं। मैं, प्रदेशवासियों का आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि आपने हमारी सरकार पर भरपूर भरोसा किया। प्रदेशवासियों के समर्थन से हमने धनबल पर जनबल की जीत सुनिश्चित हुई है, जिससे लोकतंत्र सश्क्त हुआ हैं।
हिमाचल केे विकास और खुशहाली के लिए हमारी सरकार ने ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को मज़बूत करने की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बना है जिसने प्राकृतिक रूप से उगाई गई फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया है। मक्की पर 40 रुपये प्रति किलो का समर्थन मूल्य दिया जा रहा है। अब तक 1,509 किसानों से लगभग 399 मीट्रिक टन मक्की समर्थन मूल्य पर खरीदी जा चुकी है और उनके बैंक खातों में 1.40 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। इसी प्रकार, गेहूं की खरीद भी 60 रुपये प्रति किलो की दर से की जा रही है और अब तक 838 किसानों से 2,123 क्विंटल गेहूं की खरीद की जा चुकी है। उनके खातों में 1.27 करोड़ रुपये जमा करवाए गए हैं। गेहूं के लिए परिवहन भाड़े पर सरकार ने 4.15 लाख रुपये की सब्सिडी दी है।
हमने प्राकृतिक विधि से उगाई गई कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपये प्रति किलो का समर्थन मूल्य घोषित किया है। किसानों से 127 मीट्रिक टन कच्ची हल्दी खरीदी गई है और उनके खातों में 1.14 करोड़ रुपये जमा कर दिए गए हैं।
प्रदेश सरकार ने चम्बा ज़िले के पांगी उप-मंडल को प्रदेश का प्राकृतिक कृषि डिविजन घोषित किया है और घाटी के किसानों से अगले महीने से 60 रुपये प्रति किलो की दर से जौ की खरीद शुरू की जाएगी।
हमारी सरकार ने हमीरपुर ज़िले मंे स्पाइस पार्क और ऊना ज़िले में आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने का फैसला लिया है। प्रदेश सरकार किसानों के हित में कृषि ऋण ब्याज योजना भी लेकर आई है।
हमने दूध उत्पादन के क्षेत्र में भी बहुमूल्य सुधार किए हैं। हिमाचल देश का पहला राज्य है जो दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान कर रहा है। वर्तमान में लगभग 38,400 किसानों से प्रतिदिन औसतन 2.25 लाख लीटर गाय का दूध 51 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है। इसी प्रकार, 1,482 भैंस पालकों से प्रतिदिन 7,800 लीटर दूध 61 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है। दुग्ध सहकारी समितियों को प्रोत्साहन देने के लिए दूध पर परिवहन सब्सिडी डेढ़ रुपये से बढ़ाकर 3 रुपये प्रति लीटर की गई है।
कांगड़ा जिले के ढगवार में 201 करोड़ रुपये की लागत से डेढ़ से तीन लाख लीटर प्रतिदिन तक की क्षमता वाला अत्याधुनिक दूध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जिससे चार ज़िलों के 35 हजार से अधिक दूध उत्पादकों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी दूध प्रसंस्करण संयंत्र का विस्तार और निर्माण कार्य जारी है। पशुपालकों से 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट खरीदने का कार्य शुरू कर हमने एक और चुनावी वादा पूरा किया है।
बागवानों के हित में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। यूनिवर्सल कार्टन का उपयोग अनिवार्य बनाने की ऐतिहासिक पहल से राज्य के बागवानों को अपनी फसल के बेहतर दाम मिल रहे हैं। वर्ष 2025 के लिए सेब, बी और सी ग्रेड के किन्नू, माल्टा और संतरे और सीडलिंग, कलमी व कच्चे अचारी आम पर 12 रुपये प्रति किलो का समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा, गलगल को 10 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा जाएगा।
वन प्रबंधन और वन क्षेत्र विस्तार में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिए 100 करोड़ रुपये लागत की राजीव गांधी वन संवर्द्धन योजना लागू की जा रही है।
पिछले अढाई वर्षों में हमने शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण-2025 में प्रदेश 5वें स्थान पर पहंुचा है जबकि 2021 में हमारी रैंकिंग 21वें पायदान पर फिसल गई थी। वार्षिक शिक्षा स्थिति-2025 रिपोर्ट में विद्यार्थियों के पढ़ने और सीखने के स्तर में हिमाचल ने 21वें स्थान से पहले स्थान पर छलांग लगाई है।
पूर्व सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए चुनावी वर्ष के आखिरी नौ महीनों में बिना बजट और बुनियादी अधोसंरचना के 900 से ज्यादा शिक्षण व स्वास्थ्य संस्थान खोले। वर्तमान सरकार ने एक हजार से अधिक स्कूलों का युक्तिकरण कर स्कूलों के क्लस्टर बनाए हैं। इससे जहां गैर-जरूरी खर्चों में कटौती हुई है, वहीं पर्याप्त अध्यापकों की उपलब्धता सुनिश्चित होने से छात्रों को बेहतर शिक्षा भी मिल रही है।
विद्यार्थियों के शिक्षा स्तर में सुधार के लिए सभी सरकर स्कूलों में पहली कक्षा से अंग्रेज़ी माध्यम शुरू कर दिया गया है। प्रदेश के 6,297 प्राइमरी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं आरम्भ की जा चुकीं हैं। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अत्याधुनिक सुविधाओं वाला राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल चरणबद्ध तरीके से खोलने का कार्य प्रगति पर है।
हमने डॉ. वाई.एस परमार विद्यार्थी ऋण योजना शुरू कर पात्र विद्यार्थियों को देश-विदेश में शिक्षा के लिए 1 प्रतिशत ब्याज़ पर 20 लाख रुपये तक के ऋण का प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना के तहत 32,000 बच्चों को मुफ़्त शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जा रही है।
पहली से आठवीं कक्षा के 5.35 लाख बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल पौष्टिक आहार योजना की पहल की गई है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार अध्यापकों को विदेश में एक्सपोजर विजिट और विद्यार्थियों को शैक्षणिक भ्रमण पर भेजा गया है। छात्रवृत्ति योजनाओं का विस्तार कर दो वर्षों में 87,000 से अधिक विद्यार्थियों को 92 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
हमारी सरकार ने वर्ष 2026 तक हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। ई-वाहनों को व्यापक प्रोत्साहन दिया जा रहा है। वाहन चालकों की सुविधा के लिए प्रदेश में छः ग्रीन कॉरीडोर स्थापित किए गए हैं। 124 करोड़ रुपये से बस अड्डों पर ई-चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का कार्य जारी है। 327 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं।
हमारी सरकार ने युवाओं के लिए 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना शुरू की है जिसके पहले चरण में ई-टैक्सी खरीदने के लिए 50 प्रतिशत उपदान का प्रावधान है। दूसरे चरण में निजी भूमि पर 100 से 500 किलोवॉट तक के सोलर पैनल लगाने के लिए 50 प्रतिशत उपदान दिया जा रहा है। तीसरे चरण में किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा रहा है।
ऊना ज़िला के पेखूबेला में 32 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना मात्र चार महीनों में जनता को समर्पित की गई है। इस परियोजना से सालाना 19 करोड़ 17 लाख रुपये के राजस्व लाभ का अनुमान है। प्रदेश सरकार ने ऊना, कांगड़ा, सोलन, सिरमौर, मंडी और शिमला जिलों में 501 मेगावाट की क्षमता वाले 5 सौर पार्क और 212 मेगावाट की क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने का भी निर्णय लिया है।
महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा और सम्मान देने के लिए हमने 18 से 59 वर्ष की पात्र महिलाओं के लिए इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख-सम्मान निधि योजना शुरू कर 1500 रुपये मासिक सम्मान राशि देना आरंभ किया है। महिला कल्याण के लिए चलाई जा रहीं विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत मिलने वाली आर्थिक सहायता कई गुण बढ़ाई गई है।
प्रदेशवासियों को विश्व स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं ताकि किसी को भी इलाज के लिए हिमाचल से बाहर जाने की ज़रूरत पड़े। एक ऐतिहासिक पहल के तहत रोबोटिक सर्जरी की शुरूआत शिमला स्थित अटल इंस्टीट्यूट ऑफ सूपर स्पैशिलिटीज़ से से की गई है।
कैंसर मरीज़ों के लिए मुफ़्त इलाज और दवाइयों का प्रावधान किया गया है। हमीरपुर में उत्कृष्ट कैंसर अस्पताल स्थापित किया जा रहा है। आईजीएमसी शिमला में नए कैंसर अस्पताल भवन और ट्रॉमा सेंटर की सुविधा उपलब्ध करवाई जा चुकी है। आईजीएमसी शिमला और टांडा मेकिल कॉलेजों में पैट स्कैन मशीन की सुविधा भी शुरू की गई है।
हिमकेयर योजना के लाभार्थियों को बेहतर ईलाज देने की सुविधा के लिए इसका विस्तार किया गया है। अब आपात स्थिति में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और अधीक्षक भी हिमकेयर कार्ड बना सकेंगे। बी.पीए.ल, मनरेगा, फेरीवालों, अनाथ और जेल बंदियों के निःशुल्क हिमकेयर कार्ड बनाने का प्रावधान किया गया है।
प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कांगड़ा हवाई अड्डे का विस्तार किया जा रह है और प्रदेश के 16 स्थानों पर हेलीपोर्ट विकसित किए जा रहे हैं। प्रमुख धार्मिक स्थलों को रोप-वे से जोड़ा जा रहा है। कांगड़ा जिला को प्रदेश की पर्यटन राजधानी बनाया जा रहा है। देहरा उप-मण्डल के बनखंडी में 619 करोड़ रुपये से वन्य प्राणी उद्यान स्थापित किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार दूरस्थ क्षेत्रों तक सड़क सुविधा पहुंचाने को प्राथमिकता दे रही है। दो वर्षों की अवधि में 1,584 किलोमीटर लम्बी सड़कों और 143 पुलों का निर्माण किया गया है। आज़ादी के बाद पहली बार शिमला ज़िले के दूर-दराज़ क्षेत्र डोडरा-क्वार की सड़क को पक्का किया जा रहा है। इसी तरह, बड़ा भंगाल को भी सड़क सुविधा से जोड़ा जा रहा है।
प्रदेशवासियों को 24 घंटे पेयजल सुविधा सुनिश्चित करने तथा पानी की गुणवत्ता सुधारने के दृष्टिगत ठोस कदम उठाए गए हैं। साफ और कीटाणु रहित पेयजल प्रदान करने के लिए 69 टेस्टिंग लैब स्थापित की गई हैं।
हमने करूणामूलक रोजगार नीति में संशोधन को भी मंजूरी प्रदान की है। अब प्रति परिवार वार्षिक आय पात्रता मापदंड को 2 लाख 50 हज़ार रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया गया है।
हमारी सरकार ने सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम की अनूठी पहल की है जिसके तहत मैं खुद और मेरे मंत्रीमण्डल के सहयोगी दूर-दराज क्षेत्रों में लोगों से मिलते हैं व उनकी समस्याओं का मौके पर ही समाधान सुनिश्चित करते हैं।
वित्तीय संसाधन जुटाने और फिजूलखर्ची रोकने के प्रयासों के तहत हमने आबकारी नीति में बदलाव, शराब के ठेकों की नीलामी व निविदाओं, दूध उपकर, विभिन्न विभागों में भी स्टाफ के युक्तिकरण, लोक निर्माण विभाग की परियोजनाओं की टेंडर प्रक्रिया में बदलाव जैसे ठोस कदमों के माध्यम से अढाई वर्षों में हज़ारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है। वित्तीय प्रबंधन की दिशा में प्रदेश सरकार ने ग्रीन बजट की शुरूआत कर एक नई पहल की है।
इतना ही नहीं, हमने केंद्र सरकार के समक्ष भी हिमाचल के हितों की मज़बूती से पैरवी की है। नीति आयोग से ग्रीन बोनस की मांग, राजस्व घाटा अनुदान में वृद्धि, हिमाचल की ऋण सीमा को दो प्रतिशत बढ़ाने, 110 मेगावॉट शानन विद्युत परियोजना का अधिग्रहण पंजाब से वापिस लेने, भाखड़ा बांध प्रबंधन बोर्ड से बिजली एरियर जारी करने और फोर-लेन सड़क परियोजनाओं के कार्यों में तेज़ी लाने के लिए हम लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
हमारी सरकार संवेदनशील वर्गांे का संरक्षण और कल्याण सुनिश्चित कर रही है। हिमाचल अनाथ व बेसहारा बच्चों और महिलाओं के लिए कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बना है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना में 6,000 बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाया गया है। इन बच्चों की पढ़ाई, जेब खर्च का जिम्मा प्रदेश सरकार उठा रही है।
कांग्रेस के चुनावी घोषणा-पत्र की 6 गारंटियां पूरी की गई हैं। कांग्रेस सरकार ने अपना वादा पूरा करते हुए 1.36 लाख एनपीएस कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल की है।
आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद हमारी सरकार ने अपने कार्यकाल में 74,600 से अधिक युवाओं को रोज़गार के अवसर प्रदान किए हैं। इसमें सरकारी क्षेत्र में लगभग 23,200 और निजी क्षेत्र में 51,400 से अधिक रोज़गार के अवसर शामिल हैं।
प्रदेशभर में, विशेषकर युवाओं में, नशे की बढ़ती लत चिन्ता का विषय है। इस सामाजिक बुराई के कारण हमने कई बहुमूल्य जीवन खोए हैं। हमारी सरकार ने नशे के आदि व्यक्तियों के उपचार, पुनर्वास और नशे सहित संगठित अपराध को रोकने के लिए विधेयक पारित किए हैं, जिनमें नशा तस्करों को मृत्युदंड, आजीवन कारावास, 10 लाख तक जुर्माना, संपत्ति जब्त करने का प्रावधान, उनके पुनर्वास एवं आजीविका सहायता सहित विभिन्न प्रावधान शामिल हैं।
हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा पीआईटी एनडीपीएस एक्ट को कड़ाई से लागू किया गया है। इसके तहत 42 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति जब्त की गई है और 70 तस्करों की संपत्ति चिन्हित कर अब तक 44 तस्करों को हिरासत में लिया गया है। जिला सिरमौर के कोटला बड़ोग में 100 बिस्तर क्षमता का उत्कृष्ट नशा-मुक्ति केंद्र स्थापित किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें मिलने वाली अनुग्रह राशि को बढ़ाया गया है। हमने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के पदक विजेताओं के लिए पुरस्कार राशि में भी वृद्धि की है।
मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हिमाचल को देश का सबसे समृद्ध तथा आत्मनिर्भर राज्य बनाने के हमारे संकल्प में वित्तीय संकट कोई बाधा नहीं बनेगा। हम आपकी उम्मीदों के अनुसार और आपके सहयोग से अपने इस सुंदर पहाड़ी राज्य को विकास के नए आयाम देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अंत में, मैं एक बार पूनः आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूं तथा समस्त प्रदेशवासियों के सुखमय और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।
जय हिन्द, जय हिमाचल...।