वीरभद्र प्रकरण में ई डी में प्रोविजनल अटैचमैन्ट हुई रेगुलर, एक और अटैचमैन्ट की संभावना-वीरभद्र को झटका

Created on Monday, 03 October 2016 14:19
Written by Shail Samachar

 वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर, पिचेश्वर गडढे, चुन्नी लाल, राम प्रकाश भाटिया

और कमल कुमार कोठारी भी पंहुचे हैं उच्च न्यायालय में

विक्रमादित्य भी बरसे जेटली, धूमल और अनुराग पर

शिमला/शैल। वीरभद्र और अन्य के खिलाफ सीबीआई और ईडी में चल रहे मामलों की जांच के शीघ्र पूरा होने की संभावना बढ़ गई है। क्योंकि सीबीआई ने तो जांच पूरी करके दिल्ली उच्च न्यायालय से ट्रायल कोर्ट में चालान दायर करने की अनुमति की भी गुहार लगा दी है। इस मामले में वीरभद्र ने सीबीआई के अधिकार क्षेत्रा को चुनौती देते हुए इसमें दर्ज एफ आईआर को रद्द करने की गुहार अदालत से लगा रखी है। इस मामले में अदालत में बहस चल रही हैं वीरभद्र अपना पक्ष रख चुके है और सीबीआई को अब अपना पक्ष रखना है। यदि इसमें दर्ज एफआईआर रद्द न हुई तो इसी सप्ताह सीबीआई का चलान ट्रायल कोर्ट में पंहुच जायेगा। सीबीआई में 28 सितम्बर 2015 को मामला दर्ज हुआ था और एक वर्ष में जांच पूरी करके ऐजैन्सी ने इसे ट्रायल के मुकाम तक पंहुचा दिया है। 

दूसरी और ईडी ने इस मामले में अक्तूबर 2015 में मनीलॉंरिंग के तहत एफआईआर दर्ज की थी और मार्च 23 को इसमें करीब आठ करोड़ की चल अचल संपत्ति की प्रोविजनल अटैचमैन्ट के आदेश किये थे। अब 180 दिन के बाद प्रोविजल अटैचमैन्ट को रिव्यू करने के बाद इसे रेगुलर कर दिया है। इस आदेश के बाद अटैच हुई संपत्ति के सारे लाभों से वीरभद्र परिवार वचिंत हो गया है। राजनीतिक सद्धर्भों में इसे वीरभद्र के लिये एक बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि वीरभद्र के बच्चों ने इस प्रोविजनल आदेश को रद्द करने और इसमें कोई भी अगली कारवाई न किये जाने की अदालत से गुहार लगा रखी थी जिसे नजर अन्दाज करते हुए यह आदेश हुए है। ईडी की जांच में प्रत्यक्ष /अप्रत्यक्ष रूप से जितने लोगों का प्रमुख संद्धर्भ आया है उनमें आनन्द चौहान, चुन्नी लाल, वक्कामुल्ला चन्द्र शेखर, पिचेश्वर गडढे, राम प्रकाश भाटिया और कमल कुमार कोठारी के नाम प्रमुख है। ईडी ने इन सब लोगों से जनवरी 2016 में पूछताछ करके इनके ब्यान दर्ज किये है। पिचेश्वर गड्ढे दंपत्ति से मैहरोली का फार्म हाऊस खरीदा गया है। पिचेश्वर गडढे के 6 जनवरी को ब्यान दर्ज किये गये थे और उसके बाद गड्ढे दिल्ली उच्च न्यायालय में पंहुच गये थे। गड्ढे के बाद अन्य लोग भी उच्च न्यायालय में पंहुच चुके है।
ईडी में अभी तक वीरभद्र पूछताछ के लिये पेश नहीं हुए है जबकि अटैचमैन्ट आदेश से पहले एक दर्जन बार उन्हें नोटिस जारी हुए थे। प्रतिभा सिंह ने जांच में शामिल होने से पहले अदालत से प्रौटैक्शन का आग्रह किया था। यह आग्रह स्वीकार होने के बाद ही वह पूछताछ के लिये गई थी। इसी तर्ज पर विक्रमादित्य सिंह भी अदालत में प्रौटैक्शन का आश्वासन मिलने के बाद ही पूछताछ के लिये पंहुचे। लेकिन इस पुछताछ से बाहर आने के बाद विक्रमादित्य ने जिस अन्दाज में जांच ऐजैन्सी, मोदी सरकार अमित शाह, अरूण जेटली, प्रेम कुमार धूमल और अनुराग ठाकुर को कोसा है। उससे बाहर यह संदेश गया है कि संभवतः यह पूछताछ काफी तलख रही है।
यदि पूरे प्रकरण पर नजर डाली जाये तो इसके दो भाग सामने आते हैं पहले भाग में आनन्द चौहान के खातों में पांच करोड़ से अधिक का कैश जमा होना और उससे वीरभद्र परिवार के सदस्यों के नाम बीमा पॉलीसीयां लेना तथा आनन्द चौहान द्वारा इस पैसे को वीरभद्र के बगीचे की आय बताना और खुद को बगीचे का मैनेजर कहना शामिल रहा है। इतने भाग की जांच पूरी होकर अटैचमैन्ट आर्डर जारी हुआ। आनन्द चौहान की गिरफ्रतारी हुई और उसका चालान भी ट्रायल कोर्ट में पंहुच चुका है। लेकिन अटैचमैन्ट आर्डर में यह कहा गया है कि वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर को लेकर जांच जारी है। चालान में भी अनुपूरक चालान शीघ्र लाने की बात कही गयी है।
अब दूसरे भाग की जांच जारी है। जिसमें वक्कामुल्ला चन्द्र शेखर से वीरभद्र और प्रतिभा सिंह के नाम चार करोड़ का मुक्त ऋण, वक्कामुल्ला की ही एक कंपनी से एक करोड़ के शेयर खरीदना शामिल है इसी में पिचेश्वर गडढे दंपत्ति से विक्रमादित्य और अपराजिता की कंपनी मैपल डस्टीनेशन के नाम मैहरोली के फार्म हाऊस की खरीद भी शामिल है। इस फार्म हाऊस की रजिस्ट्री 1.20 करोड़ दिखायी गयी है जबकि जून 2014 में इसी गडढे ने आयकर विभाग की पूछताछ में यह फार्महाऊस 6.81 करोड़ में बेचा जाना और इसमें 5.41 करोड़ कैश में लिया जाना स्वीकारा है। जब 1.20 करोड़ में फार्महाऊस खरीदा गया। उसी दौरान वक्कामुल्ला चन्द्र की कंपनी तारिणी इन्ट्ररनेशनल ने विक्रमादात्यि की कंपनी मैपल डस्टीनेशन को 1.20 करोड़ ठेका दिया ऑफिस की रैनोवेशन के लिये। लेकिन इसी दौरान वक्कामुल्ला ने मार्किट से 16 करोड इकट्ठा करने के लिये आईपीओ फ्रलोर किये और इसका उद्देश्य भी ऑफिस रेनोवेशन दिखाया। इसी संद्धर्भ में भाटिया और कोठारी के नाम आये है और आयकर ने भी पूछताछ की है। इसी में रोहतांग सुरंग का निर्माण कर रही  Starqbag AFCONS JV कंपनी से लाखों का किराया लिया जाना भी शामिल है। आयकर सीबीआई और ईडी जांच में वक्कामुल्ला की वित्तिय स्थिति को लेकर सन्देह व्यक्त किया गया है। क्योंकि विशाखापट्नम की जिस संपत्ति का उसने दावा किया था वह किसी त्रिपूर्णा अहल्या की है। ऐसे में वक्कामुल्ला से जुडे सारे लेनदेन सन्देह के घेरे में है और इन्ही को लेकर विक्रमादित्य से पूछताछ हुई है। सूत्रों के मुताबिक इन संपत्तियों को लेकर भी ईडी अटैचमैन्ट आदेश जारी कर रही है।