सचिवालय से मन्त्री नदारद क्यों

Created on Tuesday, 24 May 2016 05:35
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। वीरभद्र के मन्त्री प्रदेश सचिवालय से अकसर नदारद देखे जा रहे हैं। मीडिया में यह नदारदगी सुर्खियां भी बटोर चुकी है। इस पर वीरभद्र कई बार मन्त्रियों को नसीहत और निर्देश भी जारी कर चुके हैं कि वह कम-से-कम सप्ताह में तीन दिन सचिवालय में रहकर लोगों की समस्याएं सुनें और उन पर काम करें। सुधीर शर्मा पर तो मुख्यमन्त्री गैर हाजिरी को लेकर व्यंग्यात्मक उलाहना भी कर चुके है। लेकिन मुख्यमन्त्री के निर्देशों का विद्या स्टोक्स और धनीराम शांडिल के अतिरिक्त और किसी पर कोई असर नही हुआ है और इनका यह है कि इनके पास और कहीं जाने की जगह ही शायद नहीं है। मन्त्रियों का असर बड़े बाबूओं पर भी बराबर देखने को मिल रहा है कुछ अधिकारी तो नियमित रूप से हर सप्ताह दो-तीन दिन तक सचिवालय में नदारद रहते हैं। मजे कि बात तो यह है कि यह मन्त्राी लोग अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों के बाहर भी नहीं देखे जा रहे हैं।
सचिवालय से मन्त्रियों का लगातार नदारद रहना जनता के लिए चिन्ता और चिन्तन का विषय बनता जा रहा है। क्योंकि मुख्यमन्त्री भी यदि दिल्ली की यात्रा पर नहीं है तो वह भी प्रदेश के किसी-न-किसी विधानसभा क्षेत्रा के दौरे पर ही रहते हैं। मुख्यमन्त्री के निर्देशों का उनके मन्त्रियों पर असर क्यों नही हो रहा है जब इस बारे थोडी जानकारी जुटायी गई तो यह सामने आया है कि वीरभद्र के मन्त्री ही मुख्यमन्त्री की हर गतिविध् िपर पूरी बारीकी से नजर रख रहे हैं। दिल्ली में सीबीआई और्र इ. डी. के मामलों में कब क्या हो रहा है यह उनको वीरभद्र से ज्यादा जानकारी है। मुख्यमन्त्री कब हाई कमान के किस सूत्र से मिल रहे हैं और हाई कमान का नजरिया उनको लेकर क्या चल रहा है इसकी भी पूरी खबर ये लोग रख रहे हैं। कुछ लोग तो कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद के माध्यम से इनके केसों की भी पूरी जानकारी रख रहे हैं। ऐसे ही एक जानकार का दावा है कि इन वकीलों ने वीरभद्र के साथ-साथ हाई कमान को भी इन केसों के संभावित अन्तिम परिणामों से आगाह भी कर रखा है। चर्चा है कि इसी सबको सामने रख कर वीरभद्र सिंह ने हाई कमान को पंजाब से पहले ही प्रदेश विधानसभा के चुनाव करवा लिए जाने का सुझाव तक दे रखा है। छठी बार मुख्यमन्त्री बने वीरभद्र की राय को हाई कमान ने पूरी गम्भीरता से लिया है। लेकिन इनकी जानकारी जैसे ही बाकी मन्त्रियों तक अपने-अपने सूत्रों से पहुंची है तभी से उन्होने भी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों का रूख कर लिया है।