1974 में बेचे प्लाट पर उठाये सवाल
शिमला/शैल। पूर्व मुख्यमन्त्री और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के छोटे बेटे अरूण धूमल ने एक बार फिर वीरभद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए दावा किया है कि अभी तो ई.डी. ने केवल आठ करोड़ की संपति ही अटैच की है लेकिन इसमें निकट भविष्य में जो खुलासे वह करेगें उससे संपति का दायरा हजारों करोड़ हो जायेगा। वीरभद्र पर अपने नये हमले को मिशन 2016 का नाम देते हुए इसे शीघ्र ही अंजाम तक पहुंचाने का दावा किया है। हमले की पहली कड़ी में अरूण धूमल ने वीरभद्र सिंह द्वारा 1974 में अपने जाखू स्थित आवास हाॅलीलाज में 1341.57वर्ग मीटर भूमि पांच हजार में कुमार सेन निवासी दीवान चन्द भलैक को बेचने का खुलासा किया। इस खुलासे में धूमल ने जानकारी दी की जमीन तो बेच दी मगर इसके खरीददारों को यंहा पर कोर एरिया के नाम पर मकान बनाने की अनुमति नहीं लेने दी अैार अन्ततः 2007 के अपने शासन काल में महज तीन माह में ही इस जमीन का 25,74,179.00 रूपये में प्रदेश सरकार द्वारा अधिग्रह करवा दिया। इस अधिग्रहण का मकसद नगर शिमला के वन क्षेत्र का विस्तार करना कहा गया है।
1974 में पांच हजार में बेची ज़मीन का 2007 में 25 लाख में प्रदेश सरकार
द्वारा वानिकी के नाम पर अधिग्रहण करना और आज तक उसमें एक भी पेड़ का न लगाया जाना वीरभद्र और उनकी सरकार की नीयत और नीति पर कई गंभीर सवाल खडे़ करता है। इसमें एक रोचक तथ्य यह है कि इस जमीन के मालिकों ने अधिग्रहण का विरोध किया था और इसे लेकर अदालत तक पहुंच चुके हैं। लेकिन अधिग्रहण नियमों में यह प्रावधान है कि यदि अधिगृहित की गयी जमीन का उद्देश्य तीन वर्षाें में पूरा नहीं होता है तो ज़मीन मालिक को वापिस दिये जाने का भी नियमों में प्रावधान है इस जमीन को लेकर यह भी सवाल उठा है कि जब इसी हाॅलीलाज क्षेत्र में वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य को गैस्ट हाऊस निर्माण की दो-दो अनुमतियां मिल सकती हैं तो फिर इन लोगों को मकान बनाने की अनुमति क्यों नहीं मिली। वैसेे 1974 के बाद प्रदेश में दो बार शान्ता कुमार और दो ही बार धूमल की सरकारें भी सत्ता में रह चुकी हैं। नगर निगम के मुताबिक विक्रमादित्य को गैस्ट हाऊस की पहली अनुमति 2011 में धूमल के शासन में मिली थी।
अरूण धूमल ने विक्रमादित्य के निमार्णधीन गैस्ट हाऊस को लेकर यह भी सवाल पूछा कि यह गैस्ट हाऊस तोअभी बन ही रहा है फिर पाॅवर कंपनी को किराये पर कौन सा गैस्ट हाऊस दिया गया था? अरूण धूमल के यह नये हमले कब तक चलते हैं और इनका परिणाम क्या निकलता है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन इतना स्पष्ट है कि अब यह बात दूर तक जायेगी। क्योंकि इस बीच धूमल और वीरभद्र में पत्रकार शशी कान्त की मध्यस्थता के परिणामस्वरूप सीजफायर हो चुका था। लेकिन अब यह सीजफायर उस वक्त टूटा है जब ई.डी. आठ करोड़ की संपतियां जब्त कर चुका है और वीरभद्र की विजिलैन्स धूमल को नोटिस भेजने की रस्म अदायगी कर चुकी है। अरूण धूमल ने इस नोटिस पर विजिलैन्स अधिकारियों को इसके परिणाम भुगतने के लिये भी तैयार रहने की चेतावानी दी है। अरूण धूमल निकट भविष्य में वीरभद्र प्रकरण में क्या नये खुलासे करते हैं यह तो वक्त ही बतायेगा। लेकिन इतना तय है कि अब इसमें शीघ्र ही कुछ नया देखने को मिलेगा।