डॉ. मनमोहन सिंह "Philosopher King" दर्शन की प्रति मूर्ति थे।

Created on Saturday, 28 December 2024 13:36
Written by Shail Samachar
शिमला/शैल। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर हर आंख नम है। हर जहन में यह सवाल है कि क्या ऐसा व्यक्तित्व देश का मार्गदर्शन करने के लिये दूसरी बार मिलेगा। डॉ.मनमोहन सिंह ने विश्वविद्यालय के प्राध्यापक से जीवन यात्रा शुरू की जिसका अंत देश के प्रधानमंत्री के रूप में हुआ। डॉ.मनमोहन सिंह एक अर्थशास्त्री थे। उन्होंने "भारत के निर्यात रुझान और आत्मनिर्भर विकास की संभावनाएं" विषय पर शोध किया और विश्वविद्यालय प्राध्यापक से जीवन यात्रा शुरू करके योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर फिर वित्त मंत्री और अन्त में देश के प्रधानमंत्री तक पहुंचे। केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उनके नाम की चेयर स्थापित है। शैक्षणिक जगत में यह एक बहुत बड़ा सम्मान है। जितना ज्ञान और अनुभव आर्थिक मोर्चे पर डॉ.मनमोहन सिंह के पास था उसी का परिणाम था कि उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की ओर देश की अर्थव्यवस्था का रूख मोड़ा। इसी अनुभव का परिणाम है कि उनके कार्यकाल में देश को आधार योजना मिली। उनके ही कार्यकाल में मनरेगा, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और भोजन का अधिकार मिला। इन अधिकारों ने सही मायने में आम आदमी को व्यवहारिक रूप से संवैधानिक मजबूती प्रदान की। आज इन अधिकारों के माध्यम से एक आम आदमी किसी भी व्यवस्था को चुनौती दे सकता है। आर्थिक उदारीकरण के जनक कहे जाने वाले डॉ.मनमोहन सिंह ने देश के आम आदमी को केंद्र में रखकर अपनी नीतियों को अंजाम दिया। डॉ. मनमोहन सिंह ने ग्यारह दलों के गठजोड़ की सरकार को सफलतापूर्वक चलाया और लगातार दूसरी बार सत्ता में आये। गठबंधन की सरकार में न्यूक्लियर डील का सूत्रधार बनना एक बड़ी उपलब्धि है। इस गठबंधन में कांग्रेस सबसे बड़ा दल था यदि कांग्रेस का खुला हाथ डॉ. साहब को न मिलता तो क्या वह इतने अधिकार आम आदमी को दे पाते। शायद नहीं। जो लोग डॉ.साहब को सोनिया गांधी की कठपुतली प्रचारित करते रहे हैं उनके लिये आम आदमी को मिले यह अधिकार अपने में ही एक पूरा जवाब हो जाते हैं। देश को इतना कुछ देने के बाद भी उसका कोई श्रेय नहीं लेना, कोई बखान नहीं करना डॉ. साहब को इतना बड़ा बना देता है कि उसे शब्दों में समेटना आसान नहीं है। जिस पंजाब विश्वविद्यालय से पढ़ाई शुरू की उसको 3500 किताबों की भेंट देने वाले डॉ.मनमोहन सिंह कितने बड़े शिक्षा विद थे इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है। डॉ. मनमोहन सिंह प्लैटो के "Philosopher King" दर्शन की व्यवहारिक प्रतिमूर्ति थे। मेरा शैल परिवार के साथ उनके श्री चरणों में सादर नमन।