क्या मुख्यमंत्री कर्ज के आंकड़े को लेकर झूठ बोल रहे है ?
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Created on Thursday, 30 November 2023 06:04
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Written by Shail Samachar
- क्या आरटीआई दस्तावेज मुख्यमंत्री के संज्ञान में नहीं लाया गया होगा?
शिमला/शैल। सुक्खू सरकार सत्ता में आने के बाद अब तक कितना कर्ज ले चुकी है इस पर भाजपा अध्यक्ष डॉक्टर राजीव बिन्दल और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एकदम आमने-सामने आ गये हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉक्टर बिन्दल ने एक पत्रकार वार्ता में आरटीआई के माध्यम से जुटाए गई जानकारी के आधार पर आरोप लगाया है कि यह सरकार दिसम्बर 2022 से अक्टूबर 2023 तक 10300 करोड़ का कर्ज ले चुकी है। इस कर्ज के अतिरिक्त सार्वजनिक उपक्रमों ने भी 1000 करोड़ का कर्ज लिया है। सरकार ने भी 800 करोड़ का और कर्ज लिया है। इस तरह सरकार कुल मिलाकर 12000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है। जबकि इस सरकार में कोई नये संस्थान नहीं खोले हैं बल्कि भाजपा शासन में खोले गए संस्थानो को बन्द किया है। डॉक्टर बिन्दल ने प्रैस वार्ता में आरटीआई का दस्तावेज भी जारी किया है।
डाक्टर बिन्दल की इस प्रैस वार्ता के बाद सूचना एवंम् जनसंपर्क विभाग नें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का एक ब्यान जारी किया है। इस ब्यान में मुख्यमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष के आरोप का कोई जिक्र किए बिना यह कहा है कि उनकी सरकार ने केवल 4100 करोड़ का कर्ज लिया है। इस ब्यान में मुख्यमंत्री ने पूर्व जयराम सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए यह दावा भी किया है कि उनकी सरकार ने प्रदेश के राजस्व में 1100 करोड़ की वृद्धि की है। यदि आपदा न आती तो यह राजस्व 500 करोड़ और बढ़ जाता। मुख्यमंत्री के इस ब्यान के साथ कोई दस्तावेज जारी नहीं किए गये है। सुक्खू सरकार ने सत्ता संभालने के बाद डीजल और अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों में बढौ़तरी की है उसके परिप्रेक्ष में राजस्व में बढौतरी़े होना स्वाभाविक है। लेकिन इन दोनों शीर्ष नेताओं के इस तरह आमने-सामने खड़े होने से आम जनता में यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आरटीआई में कोई गलत जानकारी तो नहीं जा सकती। ऐसे में यह कर्ज कहां खर्च हुआ है यह जिज्ञासा एक बड़ा सवाल बन कर खड़ा हो गया है। क्योंकि दोनों नेताओं के ब्यानों के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि मुख्यमंत्री कर्ज के आंकड़ों को छुपा क्यों रहे है। जबकि आरटीआई में मिली जानकारी और सूचना एवंम् जनसंपर्क विभाग का नोट दोनों एक ही प्रशासन के माध्यम से आये हैं।
स्मरणीय है कि जब कांग्रेस विपक्ष में थी तब जयराम सरकार पर प्रदेश को कर्ज के चक्रव्यूह में फसाने का रोक लगाया जाता था लेकिन आज कांग्रेस की सरकार तो कर्ज का आंकड़ा ही प्रदेश की जनता से छुपाने के कगार पर आ गई है। जयराम सरकार से विरासत में 92000हजार करोड़ की देन दारी मिलने की बात वितिय श्वेत पत्र में दिखाई गयी है। उस समय कर्मचारियों के कुल सृजित पदों में से 70000 पद खाली थे यह जानकारी हर्षवर्धन कमेटी की रिपोर्ट के माध्यम से सामने रखी गयी है। यह पद आज भी खाली ही है। बल्कि इस दौरान कुछ विभागों में आउटसोर्स के माध्यम से रखे गये कर्मचारियों की छंटनी तक कर दी गयी है। संशोधित वेतनमानों का बकाया यह सरकार भी नहीं दे पायी है। इस संद्धर्भ में आये दर्जनों अदालती फसलों पर अमल नहीं हो पाया। कर्मचारियों को महंगाई भत्ते की किश्त भी यह सरकार अभी तक नहीं दे पायी है।
इस वस्तु स्थिति में आरटीआई के सामने आई कर्ज की जानकारी और उसे पर मुख्यमंत्री के अपरोक्ष इन्कार के बाद यह सवाल हो गया है कि आखिर कर्ज के आंकड़े को छुपाया क्यों जा रहा है? जब आपदा के नाम पर विभागीय खर्चों में कटौती कर दी गयी है और कोई नई संस्थान खोले नहीं जा रहे हैं । फिर राजस्व में भी वृद्धि होने का दावा किया जा रहा है तो यह कर्ज खर्च कहां किया जा रहा है । जब आरटीआई का दस्तावेज सामने है तो फिर उसे झुठलाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है? क्या प्रशासन मुख्यमंत्री को सही जानकारी ही उपलब्ध नहीं करवा रहा है? यह तय है कि जब सरकार पर तथ्यों को छुपाने के आरोप लगने शुरू हो जाते हैं तो उसके परिणाम घातक हो जाते है।