उपमुख्यमंत्री के खिलाफ आयी याचिका से भाजपा की नीयत और नीति पर उठे सवाल

Created on Tuesday, 23 May 2023 08:30
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। क्या भाजपा अपने शासित राज्यों के पदस्थ उप मुख्यमंत्रियों को हटाना चाहती है? यह सवाल हिमाचल भाजपा के एक दर्जन विधायकों द्वारा प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर की गयी याचिका से चर्चा में आया है। क्योंकि इस समय देश 29 राज्यों और 2 केन्द्र शासित प्रदेशों में 16 उपमुख्यमंत्री हैं। इनमें सबसे अधिक पदस्थ उपमुख्यमंत्री भाजपा शासित राज्यों के हैं। इस समय आम आदमी पार्टी, जननायक जनता पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, मिज़ो नेशनल फ्रन्ट और वाई एस आर कांग्रेस पार्टी सभी के उपमुख्यमंत्री हैं। संविधान में उपप्रधानमंत्री या उपमुख्यमंत्री नाम से कोई पद अलग से परिभाषित नहीं है। न ही इन्हें एक मंत्री से अधिक शक्तियां और सुविधाएं प्रदत्त है। एक तरह से मंत्रीमण्डलों में संतुलन साधने के लिये यह पद चलन में आये हैं। जब स्व.वी.पी. सिंह सरकार के समय में स्व. देवीलाल ने उप प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तब यह पद विवाद में आया था और मामला अदालत तक पहुंचा था। उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति भारत में ब्रिटिश शासन काल से ही चली आ रही है। जब बिहार में अनुराग नारायण सिन्हा 1937 से 1939 और फिर 1946 से 1952 तक उप मुख्यमंत्री रहे। स्व.देवीलाल के शपथ ग्रहण में यह विवाद तब उठा था जब राष्ट्रपति वेंकटरमन अपने पाठ में मंत्री सब्द का प्रयोग करें और देवीलाल उसे उप प्रधानमंत्री पढ़ें। तब एक के.एम.शर्मा इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय ले गये थे। तब सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आधारित पीठ ने यह फैसला दिया था। That the oath should be viewed in two parts descriptive and substantial while the designation as Deputy Prime Minister is only descriptive the oath of office and secrecy which he (Devi Lal) under took is substantive and consequently does not vitiate the oath.   
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के परिदृश्य में उप मुख्यमंत्री के पद को कोई नुकसान होने की संभावना नहीं रह जाती है। इसी के साथ महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि इस समय लगभग सभी भाजपा शासित राज्यों में उपमुख्यमंत्री पदस्थ है। ऐसे में यदि किसी भी तर्क से हिमाचल के उपमुख्यमंत्री का पदनाम जाता है तो क्या उसी तर्ज पर देश के अन्य राज्यों में उपमुख्यमंत्री के खिलाफ याचिकाएं नहीं आएगी और ऐसे ही फैसले वहां नहीं आएंगे। कई राज्यों में भाजपा ने सहयोगियों के साथ सरकार बनाई है और उन्हें उपमुख्यमंत्री पद सौंपे हैं। तब इसका भाजपा के सहयोगियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। फिर हरियाणा में दुष्यंत चौटाला का मामला भी अदालत में गया था और उसे एन.के.शर्मा बनाम देवीलाल मामले की तर्ज पर राहत मिली है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि हिमाचल भाजपा के इन विधायकों ने सर्वोच्च न्यायालय और कुछ प्रदेशों के उच्च न्यायालय के फैसले को नजरअंदाज करके प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका किस नीयत और नीति से दायर की है। कर्नाटक में तो उपमुख्यमंत्री की लंबी परम्परा रही है। येदुरप्पा जैसे कई नेता उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं और कर्नाटक उच्च न्यायालय इसमें राहत दे चुका है।