शिक्षा और सैनिक स्कूलों में प्राइवेट सैक्टर की भागीदारी पर पार्टी खामोश क्यों
शिमला/शैल। हिमाचल की आम आदमी पार्टी इकाई की ओर से प्रदेश के स्कूलों की खस्ता हालत को आने वाले चुनाव का केंद्रीय मुद्दा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिये प्रदेश इकाई ने अपने कार्यकर्ताओं और दूसरे लोगों से अपने आसपास के स्कूलों के साथ सेल्फी लेकर भेजने का आग्रह किया है। अभी जब अग्निपथ योजना केंद्र सरकार ने जारी की और इसको लेकर पूरे देश का युवा आक्रोशित होकर सड़कों पर उतर आया। यह आक्रोश हिंसक विरोध की शक्ल तक ले गया। देश के विपक्षी दलों ने इस योजना के खिलाफ अपनी तीव्र प्रतिक्रियाएं जारी की है। इसी कड़ी में प्रदेश की आम आदमी इकाई ने भी राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा है और इसे वापस लेने का आग्रह किया है। जबकि अब सेना की ओर से भी अधिकारिक रूप से यह ऐलान कर दिया गया है कि योजना वापस नहीं होगी। बल्कि भर्ती का शेडयूल जारी करने की बात की गयी है। स्वभाविक है कि इस ऐलान के बाद या तो यह विरोध गंभीर टकराव की शक्ल लेगा या स्वतः ही शांत हो जायेगा। क्या होता है यह आने वाला समय बतायेगा। लेकिन इस स्थिति में राजनीतिक दलों के लिये कुछ गंभीर सवाल अवश्य उछाल दिये हैं। इसमें भी हिमाचल के संदर्भ में आम आदमी पार्टी के लिये स्थिति और भी गंभीर होगी क्योंकि वह प्रदेश में एक तरह से राजनीतिक शुरुआत कर रही है। उसका कोई भी कमजोर प्रयास केवल सत्तारूढ़ भाजपा के लिये ही लाभकारी होगा और प्रदेश की आम जनता के लिए नहीं। आम आदमी पार्टी इकाई ने प्रदेश के स्कूलों की दशा दिशा को मुद्दा बनाने का प्रयास किया है। क्योंकि उनके राष्ट्रीय नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दो-दो बार हिमाचल आकर शिक्षा पर संवाद आयोजित करके यह मंत्र प्रदेश के नेताओं और कार्यकर्ताओं को दे गये हैं। कितने स्कूलों का परिणाम क्या रहा है? कितनों के अपने भवन नहीं है? कितनों स्कूलों में कितने अध्यापकों की कमी है? कितने एक ही टीचर के सहारे चल रहे हैं? यह सारे आंकड़े रखते हुये राष्ट्रीय नेतृत्व ने यह दावा किया है कि वह प्रदेश में शिक्षा की स्थिति को सुधार देंगे। इसके लिए धन कहां से आयेगा? इसके जवाब में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाने की बात कहकर एक मंत्री का नाम लिये बगैर यह उछाल दिया कि जो मंत्री पहले दो कमरों के मकान में रहता था अब उसकी हैसियत बेटे की शादी की दस-दस रिसैप्शन देने की कैसे हो गयी? इस कथन से थोड़ी देर तालियां तो मिल सकती है लेकिन यह प्रश्न का उत्तर नहीं हो सकता है। हिमाचल की आर्थिक और भूगौलिक स्थिति दिल्ली से अलग है। हिमाचल में शिक्षा की यह स्थिति क्यों है इस पर प्रदेश के नेताओं से विस्तार में बात आनी चाहिये थी। क्योंकि हर चीज के लिये संसाधन आर्थिक स्थिति पर निर्भर करते हैं और प्रदेश पहले ही 70 हजार करोड़ के कर्ज के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है। कर्ज के चक्रव्यूह से बाहर निकलने का क्या रास्ता होगा? जब तक इस पर संतोषजनक प्रारूप सामने नहीं आयेगा पार्टी को लेकर गंभीरता नहीं आ पायेगी। आज केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति लेकर आ चुकी है इस नीति से आम आदमी पार्टी कितनी सहमत है इस पर अभी तक कोई शब्द नहीं कहा गया है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा संस्थानों के लिये वित्तीय स्वायतता की बात की गयी है। इस पर पार्टी का स्टैंड क्या है? इसी के साथ शिक्षा में प्राइवेट सैक्टर की भागीदारी वित्तीय स्वायत्तता के संदर्भ में आने वाले समय का एक बड़ा मुद्दा होगा। जिस पर हर पार्टी को अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा। लेकिन आप शिक्षा के इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर पूरी तरह खामोश है। ऐसा लगता है कि उसके प्रदेश नेतृत्व ने शिक्षा नीति को पढ़ा ही नहीं है। केवल शिक्षा के नाम पर एक लोक लुभावन स्थिति खड़ी करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे अंत में राजनीतिक लाभ भी मिल पायेगा इसकी संभावना नहीं के बराबर रह जाती है।
शिक्षा ही की तरह अग्निपथ योजना को लेकर राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में भी पार्टी की गंभीरता नजर नहीं आती है। क्योंकि आज केंद्र सरकार ने सैनिक स्कूलों में प्राइवेट सैक्टर की भागीदारी लाने की योजना बना दी है। इस भागीदारी में 100 स्कूल खोले जाने की योजना है। इसके पहले चरण में 21 स्कूल खोले जा रहे हैं। यह स्कूल वर्तमान में चल रहे सैनिक स्कूलों से भिन्न होंगे। क्योंकि वर्तमान में चल रहे 35 सैनिक स्कूलों में से 33 रक्षा मंत्रालय की सोसायटी द्वारा दो सरकार चला रही है। एक उत्तर प्रदेश सरकार तथा दूसरा जम्मू कश्मीर द्वारा चलाया जा रहा है। लेकिन नये स्कूल एन.जी.ओं/प्राइवेट स्कूल/राज्य सरकारों की भागीदारी से चलाये जायेेंगे। इस योजना से सैनिक स्कूलों के संचालन में प्राइवेट सैक्टर का दखल आ जायेगा। सरकार और उसके समर्थक इस नीति का समर्थन कर रहे हैं। राजनीतिक दल इस पहलू पर खामोश हैं। जबकि सेना जैसे संस्थान मंे ऐसे नीतिगत फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे। ऐसे में आज जब अग्निपथ पर युवा आक्रोशित है और यह प्राइवेट सैक्टर की प्रस्तावित भागीदारी भी आने वाले समय में इस युवा को सीधे प्रभावित करेगी। इस परिपेक्ष में आज राजनीतिक दलों और दूसरे विचारकों को अपनी स्थिति स्पष्ट करना आवश्यक हो जाता है। इस पर किसी भी दल की कैजुअल अप्रोच उसके लिए घातक सिद्ध होगी। आप की प्रदेश इकाई द्वारा राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में इस पर खामोशी पार्टी की गंभीरता को लेकर कई सवाल खड़े कर देती है।
Ministry of Defence approves 21 new Sainik Schools in partnership mode from academic year 2022-2023
Ministry of Defence (MoD) has approved setting up of 21 new Sainik Schools, in partnership with NGOs/private schools/State Governments. These schools will be set up in the initial round of the Government’s initiative of setting up of 100 new Sainik schools across the country in partnership mode. They will be distinct from the existing Sainik Schools.