शिमला/शैल। प्रदेश विधानसभा के चुनाव इसी वर्ष के अन्त में होने हैं। जय राम की सरकार अपने चार साल के कार्यकाल में हुए चार नगर निगमों में से दो और उसके बाद तीन विधानसभा और एक लोकसभा का उपचुनाव हार चुकी है। अब नगर निगम शिमला का चुनाव भी उच्च न्यायालय के फैसले के बाद 18 जून तक हो पाना संभव नहीं रह गया है। 18 जून के बाद नगर निगम शिमला पर भी प्रशासक बिठाना अनिवार्य हो जायेगा। नगर निगम शिमला के चुनाव टाले जाने का वातावरण भी उप चुनावों की हार के बाद ही प्रशासन और राजनीतिक गठजोड़ से ही तैयार किया गया। यह अब आम चर्चा का विषय बना हुआ है। नगर निगम शिमला में चुनावी हार होने का डर किस कदर हावी हो चुका है यह अब सामने आ चुका है। इसका असर आने वाले विधानसभा चुनावों पर कितना पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। विश्लेष्कों की नजर में मोदी की सत्ता में आठ साल पूरे होने पर देश की सारी राज्यों की राजधानियों में आयोजित किये गये गरीब कल्याण सम्मेलन पर प्रधानमंत्री के संबोधन के लिये शिमला का चयन भी इसी लिये किया गया था ताकि इन योजनाओं के सारे लाभार्थियों को मोदी के सामने आम जनता बनाकर पेश किया जा सके। मोदी की इस शिमला यात्रा से हिमाचल और जयराम सरकार को क्या-क्या मिला है अब यह चर्चा का विषय बना हुआ है। चुनावी वर्ष के मध्य में हुये इस आयोजन से भाजपा को क्या मिला यदि इसका आकलन किया जाये तो सबसे बड़ा और पहला सवाल यह आता है कि जिस आयोजन का आमंत्रण देने मुख्यमंत्री स्वयं कांग्रेस अध्यक्षा प्रतिभा वीरभद्र सिंह के आवास पर गये उसी आयोजन से भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार और प्रेम कुमार धूमल क्यों गायब रहे? क्या इन्हें आमंत्रित ही नहीं किया गया था यहां उन्होंने इस आयोजन में शामिल होना पसंद ही नहीं किया। इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं आया है। यही नहीं इस आयोजन के मंच पर उपस्थित केंद्रिय मंत्री अनुराग ठाकुर का प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में नाम तक नहीं लिया। चर्चा है कि मंच पर किसे बिठाना है और प्रधानमंत्री अपने संबोधन में प्रदेश के किस किस नेता का नाम लेंगे इसकी सूची आयोजकों द्वारा तैयार की जाती है। अनुराग का नाम तक प्रधानमंत्री के संबोधन में न आने से किस तरह का राजनीतिक संदेश प्रदेश की जनता में गया होगा इसका अंदाजा लगाना विश्लेष्कों के लिए कठिन नहीं है। फिर इसी आयोजन पर आये पार्टी के वरिष्ठ नेता गणेश दत्त के ट्वीट ने इसके प्रबन्धन पर गंभीर सवाल उठाये हैं। आरोप लगाया गया है कि कुछ लोगों ने इस आयोजन को हाईजैक करने का प्रयास किया है। कई निगमों/बार्डों में तैनात नेताओं को आमंत्रित ही नहीं किया गया था। एक महिला ने तो इस मामले को उपर तक ले जाने की बात की है। इन नेताओं के इस रोश से यह स्पष्ट हो जाता है कि पार्टी की एकजुटता का भीतरी सच क्या है। शायद इसी कारण से पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक अब हमीरपंर में रखी गयी है। जिसमें अनुराग ठाकुर और प्रेम कुमार धूमल को भी आमंत्रित किया गया है। पार्टी के बाद यदि यह देखा जाये कि प्रदेश को प्रधानमंत्री की इस यात्रा से क्या मिला है तो बहुत ही रोचक स्थिति सामने आती है। इस समय प्रदेश का कर्ज भार 70,000 करोड से पार हो चुका है। बेरोजगारी में प्रदेश देश के टॉप छः राज्यों में शामिल हो गया है। इस स्थिति के बाद भी प्रधानमंत्री प्रदेश को कोई राहत पैकेज नहीं दे गये है। बल्कि इस अवसर पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने चार वर्षों में मिली केंद्रीय सहायता का आंकड़ा केवल 10,000 करोड बता कर सबको चौंका दिया है। 10 हजार करोड़ का आंकड़ा बाकायदा लोक संपर्क विभाग द्वारा जारी प्रेस नोट में दर्ज है। स्मरणीय है कि मोदी ने मई 2014 को सत्ता संभाली थी उसके बाद प्रदेश में 2017 में विधानसभा और 2019 में लोकसभा के चुनाव संपन्न हुये हैं। प्रधानमंत्री इस दौरान मण्डी आये थे। तब उन्होंने एक जनसभा में स्व.वीरभद्र सिंह से प्रदेश को दिये गये दो लाख करोड का हिसाब मांगा था। फिर गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी चंबा यात्रा के दौरान एक लाख बीस हजार करोड़ दिये जाने का आंकड़ा परोसा था। इसी दौरान नड्डा ने एक पत्र जारी करके 69 राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्रदेश को दिये जाने की जानकारी दी थी। यह राजमार्ग अभी तक सैद्धांतिक अनुमति से आगे नहीं बढ़े हैं। इसका सारा पत्रचार शैल पाठकों के सामने रख चुका है। अभी पिछले दिनों ही नड्डा ने प्रदेश को 72,000 करोड़ दिये जाने का खुलासा किया है। लेकिन अब जयराम ने यह आंकड़ा 10,000 करोड बताकर पुराने सारे दावों पर स्वयं ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। ऐसे में यह सच प्रदेश की जनता के सामने आना ही चाहिये कि डबल इंजन की सरकार का सिंगल सच क्या है। इसके लिये केंद्रीय सहायता और 70,000 करोड़ के कर्ज के खर्च पर श्वेत पत्र जारी किया जाना चाहिये।