2016 में प्रतिस्पर्धा आयोग अंबुजा को 1164 करोड़ तथा एसीसी को 1148 करोड का जुर्माना लगा चुका है
जुर्माने का मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है
जिन कारणों पर जुर्माना लगा है उनमें सरकार की भूमिका क्या रही है?
शिमला/शैल। हिमाचल में स्थित अंबुजा सीमेंट और एसीसी में स्विट्जरलैंड की कंपनी होल्सिम की हिस्सेदारी 82000 करोड में अदानी ने खरीद ली है। इस सौदे के बाद अपने निवेशकों को संबोधित करते हुये होल्सिम के सीईओ जॉन जेनिश ने यह कहा है कि यह लेन देन टैक्स फ्री है। इस सौदे से उन्हें 6.4 अरब स्विस फ्रैंक की शुद्ध आय होगी। अंबुजा और ए सी सी में हाल्सिम समूह किसी भी नुकसान या कर के लिये जिम्मेदार नहीं होगा। जब हाल्सिम समूह जिम्मेदार नहीं होगा तो क्या इस पर देय करों की जिम्मेदारी अदानी की होगी? अदानी की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। अदानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में जिस तरह के रिश्ते हैं उनके चलते इस सौदे पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। इसमें यह भी एक रोचक तथ्य है कि 2016 में प्रतिस्पर्धा आयोग ने जिन ग्यारह सीमेंट कंपनियों को 6300 करोड का जुर्माना लगाया गया था उनमें हिमाचल की यह दो कंपनियां भी शामिल रही हैं। इनमें अंबुजा को 1164 और ए सी सी को 1148 करोड़ का जुर्माना लगा था। इस जुर्माने को अपीलीय प्राधिकरण में चुनौती दी गयी थी और अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।
स्मरणीय है कि जब 2018 में वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट में सोलह सौ करोड़ की डील हुई थी तब वॉलमार्ट ने 7439 करोड़ का टैक्स अदा किया था। टैक्स अधिकारियों ने तब कहा था कि इसने अभी और टैक्स देय होगा। लेकिन अब इस डील पर अदानी की ओर से कुछ नहीं कहा गया है। कर तंत्र से जुड़े अधिकारी भी अभी तक खामोश हैं। केवल हाल्सिम समूह के सी ई ओ ने अपने निवेशकों से साफ कहा है कि यह टैक्स फ्री लेन देन है। अंबुजा और ए सी सी दोनों हिमाचल में स्थित हैं। यदि प्रतिस्पर्धा आयोग ने इन कंपनियों को इतना भारी जुर्माना लगाया है तो तय है कि आयोग की नजर में तय मानकों की अनुपालना में कोई आवहेलना की जा रही थी। हिमाचल में स्थित इन उद्योगों को लेकर हिमाचल सरकार की ओर से ऐसा कभी कुछ सामने नहीं आया है इसलिए यह स्पष्ट होना भी आवश्यक हो जाता है कि इन कंपनियों में ऐसा क्या हो रहा था जिस पर इतना बड़ा जुर्माना लगा तथा प्रदेश सरकार इस बारे में अनभिज्ञ रही है। आज प्रधानमंत्री मोदी अपनी सरकार के आठ वर्ष पूरा होने पर शिमला आ रहे हैं। इसलिये यह आवश्यक हो जाता है कि प्रदेश सरकार उनके सामने इस मुद्दे को रखें और प्रदेश की जनता को सही स्थिति की जानकारी दें।
विपक्ष भी इस मुद्दे पर मौन बैठा हुआ है। जबकि प्रदेश और राष्ट्रहित में यह एक बड़ा मुद्दा है। जिसमें 82 हजार करोड़ के लेन-देन पर कोई टैक्स न मिलने की आशंका व्यक्त की जा रही है और सभी संबध पक्ष मौन धारण किये हुए हैं।