प्रदेश में आप के पावं पसारते ही भिण्डरावाला के फोटो पर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया का अर्थ?

Created on Wednesday, 30 March 2022 12:22
Written by Shail Samachar

भिण्डरावाला आतंकी या संत सरकार अभी तक स्पष्ट क्यों नहीं
वीरेश शांडिल्य ने गृह मंत्री से पूछा भिण्डरावाला का स्टेटस
क्या यह विवाद राजनीतिक कारणों से उठाया जा रहा है

शिमला/शैल। आम आदमी पार्टी ने पंजाब पर कब्जा करने के बाद हिमाचल पर ध्यान केंद्रित करते हुए यहां चुनाव लड़ने और सरकार बनाने का दावा दाग दिया है। इस दावे के साथ ही कांग्रेस और भाजपा के नाराज कार्यकर्ताओं और नेताओं ने आप में जाना शुरू भी कर दिया है। अभी प्रदेश में भाजपा की सरकार है इसलिए भाजपा के बड़े नेता टिकटों के आवंटन के समय आप का रुख करेंगे। जबकि कांग्रेस के लोग पहले जाकर वहां पर अपना स्थान पक्का करने की नीयत से अभी जाने शुरू हो गये हैं। बल्कि एक सेवारत आईएएस अधिकारी दिल्ली जाकर केजरीवाल से मिल भी आये हैं और कभी भी नौकरी छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं। प्रदेश के जिन नेताओं के आप में जाने की चर्चाएं आम जुबान तक का आ गयी हैं उनमें महेश्वर सिंह, अनिल शर्मा, सुरेश चंदेल, सुभाष मंगलेट, गंगूराम मुसाफिर, सोहन लाल, रणवीर निक्का और हरदीप बावा के नाम प्रमुखता से चल रहे हैं। यह तय माना जा रहा है कि ऐसे लोगों के जाने से कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही ठोस नुकसान पहुंचेगा। वैसे तो जब तक हिमाचल के चुनाव होने हैं तब तक पंजाब में वहां की सरकार की परफॉरमैन्स भी सामने आ जायेगी और उसका भी हिमाचल में पार्टी के भविष्य पर एक असर पड़ेगा। लेकिन इसी दौरान जो कुछ और घटा है उसका भी पार्टी के गठन पर असर पड़ेगा यह भी तय है। स्मरणीय है कि चुनाव के दौरान यह आरोप लगा था कि आप को खालिस्तान समर्थकों का समर्थन भी हासिल है। खालिस्तान का नाम आप के साथ जुड़ने से उस समय के पंजाब के मुख्यमंत्री रणजीत सिंह चन्नी ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर इन आरोपों की जांच किये जाने का आग्रह किया। गृह मंत्री ने भी यह जांच करवाये जाने का आश्वासन दिया था। चुनाव परिणाम आप के पक्ष में आये और पंजाब में उसकी सरकार बन गयी। सरकार बनने के बाद पंजाब के कुछ लोग हिमाचल के मणिकरण और ज्वालामुखी में आये उनके वाहनों पर भिण्डरावाला के फोटो और खालिस्तान के कथित झंडे पाये गये। हिमाचल पुलिस ने इस पर एतराज किया और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के शायद मामले बना दिये। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी एक ब्यान देकर इस सब की निंदा की और प्रदेश में इसको सहन न करने की बात कही। हिमाचल की इस प्रतिक्रिया पर पंजाब के एन्ट्री स्थलों पर हिमाचल के वाहनों को रोक दिया गया। यही नहीं सिक्खों की शीर्ष संस्था सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मुख्यमंत्राी जयराम ठाकुर को एडवोकेट हरजिंदर सिंह के माध्यम से नोटिस भेज दिया। ब्यान वापस लेने और अफसोस जताने की मांग कर दी। बात यहीं नहीं रुकी खालिस्तान के गुरु यशवंत सिंह ने मुख्यमंत्री को सीधे धमकी दे दी कि 29 अप्रैल को वह शिमला में खालिस्तान का झंडा फहरायेंगे। पन्नू का धमकी का वीडियो वायरल हो चुका है। पूरा प्रदेश इसकी निंदा और विरोध करते हुये मुख्यमंत्री के साथ खड़ा हो गया है। एन्टी टैरेरिस्ट फ्रन्ट के अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने ब्यान जारी करके इस धमकी की कड़ी निंदा करते हुये गृह मंत्री से मांग की है कि सरकार भिण्डरावाला का स्टेटस बताये कि वह आंतकवादी थे या नहीं। क्या उनका फोटो लगाना प्रतिबंधित है। स्मरणीय है कि इस आश्य की आर टी आई कई बार पहले भी डाली गयी है और यह पूछा गया है कि भिण्डरावाला संत थे या आतंकी। लेकिन इनका जवाब कभी नहीं आया है। केंद्रीय सूचना आयुक्त ने यह आर टी आई पंजाब सरकार को भेज दी थी परंतु जवाब नहीं आया है। बल्कि लखीमपुर खीरी में भी एक प्रोटेस्टर की टी-शर्ट पर भिण्डरावाला का फोटो देखा गया था। 2003 में अकाल तख्त ने भिंडरावाला को शहीद घोषित कर दिया था। कुछ उन्हें आदर्श मानते हैं। भाजपा नेता डॉ. स्वामी उन्हें आतंकी नहीं मानते हैं। खरड निवासी नवदीप गुप्ता ने भिण्डरावाला पर आरटीआई डाली थी कि वह आंतकी थे या नहीं। इसका जवाब सरकार ने नहीं में दिया है। यही नहीं 2001 में जब संघ प्रमुख सुदर्शन जी और भाजपा नेता ए आर कोहली दमदमी टकसाल जाकर भिण्डरावाला के उत्तराधिकारी को मिले थे तब उन्होंने इस पर अफसोस जाहिर किया था। कुल मिलाकर आज भी सरकार इस पर स्पष्ट नहीं है कि भिंडरावाला को आतंकी माना जाये या शहीद संत।
यह चर्चा इसलिये आवश्यक हो जाती है कि हिमाचल की घटना के बाद प्रदेश की आप इकाई ने उसे शरारती तत्वों का कृत्य बताया था। लेकिन हिमाचल के वाहनों को रोके जाने पर पंजाब सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया पर बात पन्नू की धमकी तक आ गयी है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक हो जाता है कि जब तक सरकार की ओर से भिण्डरावाला का स्टेटस स्पष्ट नहीं कर दिया जाता है तब तक उनके फोटो को लेकर ऐतराज़ कैसे उठाया जा सकता है। बल्कि इस समय पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वपल्ली सरदार बेअन्त सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर 30 अप्रैल तक फैसला लेने के निर्देश सर्वाेच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को दिये हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब पंजाब में अकाली- भाजपा सरकार थी तब राजोआना की फांसी को यह कहकर टाल दिया गया कि इससे कानून और व्यवस्था का सवाल खड़ा हो जायेगा। अमरिंदर के शासन में यह मामला लटका रहा। इस संद्धर्भ में यह देखना दिलचस्प होगा कि अब केंद्र इस पर क्या फैसला लेता है। क्योंकि इस सब का संबंध आतंकवाद के प्रति हमारी धारणा का घोतक हो जाता है। इस समय प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस का विकल्प बनकर आप आने का दावा कर रही है। इस दावे के परिपेक्ष में आप के खालिस्तान के साथ परोक्ष और अपरोक्ष रिश्तों को लेकर उठते सवालों को नजर में रखना आवश्यक हो जाता है।