हैरिटैज में संवरेंगे चर्च

Created on Thursday, 21 April 2016 13:21
Written by Shail Samachar

इन दिनों राजधानी शिमला को निखारने संवारने का काम चला हुआ है। मालरोड़ की भी दशा सुधारी जा रही है क्योंकि इसकी नालियां आदि नये सिरे से पक्की की जा रही हैं। मालरोड़ और लोअर बाजार को जोड़ने वाली सीढ़ियों की दशा सुधारी गयी है। नगर निगम भवन का जीर्णोद्वार किया जा रहा है। मालरोड़ पर दो नये रेन शैल्टर बनाये जा रहें है। शहर को सजाने संवारने का सारा काम हैरिटेज के नाम पर किया जा रहा है। अग्रेजों द्वारा बसायेे गये इस शहर की मुरम्मत के नाम पर नये आर्किटैक्ट की झलक न पड़ जाये इसलिये इसे पुराने ही रंग रूप में बनाये रखने के लिये हैरिटेज का बड़ा सहारा मिला है। अग्रेजों को कभी यहां आकर यह न लगे की वह कहां आ गये हैं। इसके लिये उनकी विरासत को पुरी तरह सहेज संवार कर रखा जा रहा है।
शहर में हो रहे इन कामों को देखकर यह सवाल उठना स्वभाविक है कि जिस शहर में पीने के लिये स्वच्छ जल का प्रबन्ध करने के लिये आर्थिक संसाधन नहीं है और इसके लिये करीब 700 करोड़ के कर्ज का जुगाड़ किया जा रहा है। उसके पास सजने संवरने के लिये पैसा कहां से आ रहा है। जब इसकी खोज की गयी तो पत्ता चला कि इसके लिये हैरिटेज बचाये रखने के नाम पर केंन्द्र सरकार एशियन बैंक से कर्ज ले रही है। इसी कर्ज में से शहर के कामों पर हो रहे खर्च का 70% केन्द्र से आ रहा है। राज्य सरकार इसके लिये केवल 30% का ही योगदान दे रही हैं। हैरिटेज के इस सारे काम की जिम्मेदारी पर्यटन विकास विभाग निभा रहा है।
अब जब हैरिटेज के तहत नगर निगम भवन का जिर्णोद्वार हो रहा है तो फिर अंग्रेजों के बनाये चर्चाें का जिर्णोद्वार इसी पैसे से क्यों न हो। इसको सामने रखते हुए चर्च कमेटीयों ने भी जुगाड़ भिड़ा लिया और तुरन्त इसके लिये पर्यटन विभाग के साथ ऐग्रीमैन्ट कर लिये/ पर्यटन विभाग अब चर्चाें के जीर्णोद्वार के लिये बचनबद्ध हो गया है। शहर में हैरिटेज कमेटी ने कई भवन हैरिटेज में चिहिन्त कर रखें हैं। काश उन भवनों को भी एशियन विकास बैंक के इस कर्ज का लाभ मिल पाता।