एडीवी पोषित योजनाओं पर मडराया खतरा

Created on Tuesday, 01 January 2019 10:11
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश में एशियन विकास बैंक द्वारा पोषित हजारों करोड़ की योजनाएं चल रही हैं पर्यटन विकास की तो लगभग सारी योजनाओं का धन एशियन विकास बैंक से ही आ रहा है। शिमला के सौंदर्यकरण की योजना इसी धन से चल रही है। पर्यटन विभाग में एशियन विकास बैंक से पोषित योजनाओं के लिये एक अलग से परियाजना निदेशक और कार्यालय तक की स्थापना की गयी है। अभी तक एशियन विकास बैंक की इन परियोजनाओं के निदेशक की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग का ही एक वरिष्ठ अधिकारी संभालता आ रहा था लेकिन अभी दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में इन परियोजनाओं के निदेशक का कार्यभार एक पर्यावरण अभियन्ता प्रवीण गुप्ता को सौंप दिया गया है।
प्रवीण गुप्ता मूलतः पर्यावरण अभियन्ता है और शुरू से ही प्रदेश के प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड में कार्यरत रहे हैं लेकिन पिछले दिनों सरकार ने उन्हे इस बोर्ड से हटाकर पर्यावरण विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद पर नियुक्त कर दिया। लेकिन इस नियुक्ति के साथ ही उन्हे पर्यटन विभाग में चल रही एशियन विकास बैंक की परियोजनाओं के निदेशक का कार्यभार भी सौंप दिया। प्रवीण गुप्ता जब प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड में कार्यरत थे तब कसौली के कुछ होटलों के निर्माण का मामला एनजीटी और फिर सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया था बल्कि इसी मामले में अदालत के आदेशों की अनुपालना के दौरान एक होटल मालिक ने गोली चला दी थी जिसमें एक महिला अधिकारी की मौके पर ही मौत हो गयी थी।
कसौली के इस होटल प्रकरण में एनजीटी ने सरकार के प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड और टीसीपी के कुछ अधिकारियों /कर्मचारियों के खिलाफ नामतः कारवाई करने के निर्देश दिये हैं। इस सूची में प्रवीण गुप्ता का नाम भी शामिल है। सूत्रों के मुताबिक जब गुप्ता को एशियन विकास बैंक की परियोजनाओं के निर्देशन का कार्यभार सौंपा गया तब कुछ लोगों ने एनजीटी के उक्त आदेशों की जानकारी एशियन विकास बैंक को दे दी।
पिछले दिनों जब एडीवी की टीम शिमला आयी थी और टाऊन हाॅल का लोकार्पण मुख्यमन्त्री ने किया तब टाऊन हाॅल में हुए काम की गुणवता को लेकर सवाल उठ गये थे। बल्कि इसकी जांच विजिलैन्स को देने की बात हो गयी थी। इस परिदृश्य में एडीवी ने इन परियोजनाअें के निदेशक की जिम्मेदारी एक पर्यावरण अभियन्ता को सौंपने का कड़ा संज्ञान लिया है। इसके लिये एडीवी ने राज्य के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त और अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यटन को पत्र भेजकर आपत्ति जताई है। एडीवी के इस पत्र को राज्य सरकार ने अपने काम में दखल करार दिया है ऐसे में यह माना जा रहा है कि यदि सरकार और एडीवी में यह तकरार बढ़ता है तो इसका कुप्रभाव एडीवी पोषित योजनाओं पर पडेगा यह तय है।