दिल्ली में राजनीतिक उलझन बढ़ी

Created on Wednesday, 01 January 2014 11:40
Written by Shail Samachar

 

 नई दिल्ली, 1 जनवरी : आज से दिल्ली विधानसभा का सत्र शुरु हो गया है और इसके साथ ही मुख्यमंत्री केजरीवाल की राजनीतिक परीक्षा भी शुरु हो गई है. कांग्रेस के समर्थन पर बनी यह सरकार कितने दिन चलेगी इसका अंदाजा स्वयं केजरीवाल को भी नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने को चुनावी वादे आनन-फानन में पूरे कर दिए.

विधानसभा का यह सत्र सात दिनों तक चलेगा. आज पहले दिन कार्यवाहक सभापति को शपथ दिलाने के बाद सत्र शुरु होगा. कांग्रेस के मतीन अहमद कार्यवाहक सभापति मनोनीत किए गए हैं. उनके मनोनयन के बाद आज 70 नए विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी और कल अरविंद केजरीवाल विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करेंगे. 70 दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 28, भाजपा के 31, कांग्रेस के 8, अकालीदल के 1, जनता दल के एक और एक निर्दलीय विधायक हैं. फिलहाल आम आदमी पार्टी को विधानसभा में 38 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. इसलिए मोटे तौर पर उनकी स्थिति मजबूत नजर आ रही हैं. लेकिन विधनासभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए जों पेंच खड़ा होगा वहां अरविंद केजरीवाल की मजबूती का पता चलेगा.

वैसे विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव परसों होगा लेकिन बहुमत के लिए क़ल केजरीवाल को रणनीति बनानी होगी. उधर `आप' ने अध्यक्ष पद के लिए एम एस धीर को उम्मीदवार बनाया है. सरकार टिकाए

 

रखने के लिए केजरीवाल को अपना चुनावी एजेंडा रोकना पड़ सकता है क्योंकि इसके कारण कांग्रेस अरविंद केजरीवाल का खेल बिगाड़ सकती है.

उधर कांग्रेसी खेमें में `आप' को समर्थन देने को लेकर भारी असंतोष है. इस सरकार को समर्थन देकर कांग्रेस हाराकिरी की राह पर बढ़ रही है. जिस तरह से छोटे-छोटे राज्य कांग्रेस की हाथ से निकल गए हैं. उसी तरह वर्तमान नीति पर चलते हुए कांग्रेस की जड़े दिल्ली में खुद सकती है और राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ सकता है. भारतीय जनता पार्टी दिल्ली चुनाव के बाद अछूत बनी हुई है. दिल्ली में अरविंद के चमकने से नरेंद्र मोदी की धमक कम होने की आशंका है. चूंकि कांग्रेस बुरी तरह हारकर खलनायक बन चुकी है इसलिए वह आम आदमी पार्टी को अपनी राजनीतिक सुविधा के अनुरूप समर्थन देती रहेगी. केजरीवाल को कांग्रेस कब तक सहन करेगी यह दिलचस्प होगा.