अनुराग को मिले जन समर्थन से नेतृत्व को लेकर फिर उठी चर्चाए

Created on Tuesday, 24 August 2021 13:23
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। धूमल पुत्र हमीरपुर के सांसद केन्द्रिय सूचना एवम् प्रसारण मन्त्री अनुराग ठाकुर की पांच दिवसीय जन आशीर्वाद यात्रा एक पूरी तरह सफल आयोजन रहा है। परवाणु से लेकर मैहत्तपुर तक की 638 किलो मीटर की इस यात्रा के हर छोटे बड़े पड़ाव पर जिस कदर लोग अनुराग से मिले हैं उससे यह प्रमाणित हो गया है कि इस समय प्रदेश भाजपा के पास शान्ता-धूमल के बाद अनुराग ही तीसरा ऐसा नेता है जो प्रदेश के हर कोन में भीड़ जुटा सकता है। अनुराग ने लोगों के इस समर्थन और प्यार को प्रधानमन्त्री मोदी की नीतियों के प्रति जन विश्वास करार दिया है। अनुराग को मिला यह जन स्नेह मोदी की नीतियों का परिणाम है या प्रदेश की जयराम सरकार की नीतियों की जन सराहना या अनुराग के अपने कार्यों का प्रतिफल है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। क्योंकि यदि नेताओं को मिला जन समर्थन पार्टी को चुनावी सफलता न दिला पाये तो इसको कोई अर्थ नहीं रह जाता है। अभी प्रदेश में चार उपचुनाव होने हैं और इनका परिणाम इस समर्थन की पहली परीक्षा होगा। उसके बाद नगर निगम शिमला के लिये चुनाव होंगे और वर्ष के आखिर में विधानसभा के चुनाव होंगे। यह सारे चुनाव मुख्यमन्त्री और उनकी सरकार के कार्यों पर जनता का फैसला होंगे। जनता यह फैसला ज़मीनी हकीकत को सामने रख कर करेगी। पिछे हुए चार नगर निगमों के चुनावों में जनता ने कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टीयों को दो-दो निगम देकर अपनी समझ का स्पष्ट संकेत दे भी दिया है। दिवार पर लिखी इस इबारत को भाजपा कितनी जल्दी समझ कर इस पर अमल करके अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करती है यह आने वाले दिनों में सामने आ जायेगा।
अनुराग को जो समर्थन मिला है क्या उसका लाभ इस सरकार को मिल पायेगा यह दूसरा बड़ा सवाल है जिसकी पड़ताल करना आवश्यक हो जाता है। बतौर केन्द्रिय मन्त्री अनुराग हिमाचल को कुछ बड़ा नहीं दे पायें हैं क्योकि वित राज्य मंत्री के तौर पर यह संभव ही नही था कि वह प्रदेश को कोई बड़ा आर्थिक लाभ दे पाते। वित्त राज्यमन्त्री के नाते हिमाचल को मिले विशेष राज्य के दर्जे को वह यथास्थिति बहाल रखवाने में सफल रहे हैं जबकि कुछ राज्यों के हाथ से यह दर्जा निकल गया है। अब सूचना एवम् प्रसारण में ऐसा कुछ बड़ा नहीं है जो वह प्रदेश को दे पायेंगे। खेल मन्त्रालय से वह खेलों के लिये प्रदेश की मद्द कर सकते हैं। क्रिकेट में जो कुछ उन्होने प्रदेश के लिये किया है उससे उनकी प्रदेश के युवा वर्ग में एक विशेष पहचान बनी है। क्रिकेट में जो कुछ उन्होने किया है तब उनके पास मन्त्री पद भी नहीं था। इसी से अनुराग पर प्रदेश की जनता का भरोसा बना है। जनता को यह विश्वास है कि अनुराग को जब भी प्रदेश के लिये कुछ करने का मौका मिलेगा तो इसमें वह पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन इसी के साथ एक बड़ा सवाल यह भी आ जाता है कि क्या राज्य सरकार अनुराग को वांच्छित सहयोग भी देगी या नही।
स्मरणीय है कि जयराम के ही एक सहयोगी मन्त्री ने एक समय यह आरोप लगाया था कि अनुराग ने जितना पैसा धर्मशाला स्टेडियम पर लगाया है उतने पैसे के साथ तो वह हर जिले में स्टेडियम बना देते। शायद इसी धारणा के चलते धर्मशाला में हुई इन्वैस्टर मीट में स्टेडियम का जिक्र तक नही किया गया था। अनुराग ने यह मीट के प्रबन्धकों को सुना भी दिया था। यही नहीं केन्द्रिय विश्वविद्यालय के देहरा परिसर के लिये ज़मीन उपलब्ध करवाने के मामले में अनुराग और जयराम का सौहार्द एक सार्वजनिक सभा में पूरी जनता के सामने आ ही चुका है। अब भी इस यात्रा के दौरान जब अनुराग ने यह कहा कि बहुत सारी योजनाएं इसलिये रह गयी हैं क्यांकि जयराम सरकार इसके लिये ज़मीन उपलब्ध नहीं करवा पायी है। इस सबसे यह स्पष्ट हो जाता है कि अनुराग और जयराम सरकार में अन्दर के रिश्ते कितने मधुर हैं। ऐसे में विश्लेषको का यह मानना है कि यदि भाजपा हाईकमान अनुराग को मिले जन समर्थन का लाभ चुनावों में लेना चाहती है तो उसे नेतृत्व के प्रश्न पर अभी दो टूक फैसला लेना होगा अन्यथा यह समर्थन अनुराग की व्यक्तिगत पूंजी हो कर ही रह जायेगा।