शिमला/शैल। प्रदेश की चार निगमों के चुनाव चल रहे हैं। सात अप्रैल को मतदान होगा। धर्मशाला, पालमपुर और मण्डी में भाजपा को अपने ही विद्रोहीयों ने परेशानी में डाल दिया है। क्योंकि मुख्यमन्त्री के व्यक्तिगत प्रयासों के बाद भी यह विद्रोही चुनाव मैदान से नहीं हटे है। मुख्यमन्त्री को अधिकृत उम्मीदवारों के लिये लगभग सभी वार्डों में न केवल चुनावी सभाएं करनी पड़ी है बल्कि डेरा डालकर तीनों जगह बैठना भी पड़ा है। केवल सोलन में ऐसी स्थिति नहीं आयी है। इन चुनावों में लगभग सारा मन्त्रीमण्डल और अन्य बड़े नेताओं को चुनाव प्रचार में झोंक दिया गया है। केन्द्रिय वित्त राज्य मन्त्री अनुराग ठाकुर से भी चुनाव प्रचार का आग्रह किया गया है। पंचायतनुमा इन नगर निगमों के लिये इतनी बड़ी टीम को चुनाव प्रचार में उतारने मात्र से ही जनता की ओर से यह प्रतिक्रियाएं आ रही हैं कि यदि इन तीन वर्षों में कोई काम किया होता तो आज पूरी सरकार को गली-गली न घूमना पड़ता बहुत हद तक यह आरोप सही भी है।
सरकार की करनी और कथनी में कितना अन्तर है इसका अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिन 70 राष्ट्रीय राजमार्गों की घोषणा को विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिये केन्द्र सरकार की बड़ी देन के रूप में भुनाया गया था वह अभी सैंद्धान्तिक स्वीकृत के स्तर से नीचे नहीं उतर पाये हैं। इनके लिये प्रदेश सरकार ने केन्द्र से पत्राचार भी अब 12-3-20 से शुरू किया गया है। 12 मार्च 2020 को मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर ने केन्द्रिय भूतल परिवहन मन्त्री को पत्र लिखकर प्राथमिकता के आधार पर 25 सैद्धान्तिक रूप घोषित राष्ट्रीय राजमार्गों की मंजूरी प्रदान करने का आग्रह किया है। 12 मार्च 2020 से 6-2-2021 तक प्रदेश सरकार द्वारा लिखे गये दस पत्रों में से पांच पत्र तो भूतल परिवहन मन्त्री से लेकर मुख्य अभियन्ता क्षेत्र 2 भूतल परिवहन एंव राजमार्ग मन्त्रालय नई दिल्ली तथा प्रधानमन्त्री को 25 राजमार्गों की सैद्धान्तिक मंजूरी प्रदान करने के लिये ही लिखे गये हैं। लेकिन इस पत्राचार के बाद भी यह मंजूरी अभी तक नहीं मिल पायी है। इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है कि किस गति से काम हो रहे हैं।
मण्डी, पालमपुर और सोलन के नगर निगम पिछले वर्ष 2020 में बनाये गये थे। इनके लिये 28-10-20 से 31-1-2021 तक 886.87 लाख रूपये स्वीकृत किये गये हैं। इनमें मण्डी के लिये 3,24,36,594/- पालमपुर के लिये 2,76,68,488/- और सोलन के लिये 2,85,81,779/- रूपये स्वीकृत किये गये हैं। इस स्वीकृति के बाद मण्डी में विभिन्न कार्यों के लिये 29,12,223 रूपये खर्च भी कर दिये गये हैं। मण्डी मुख्यमन्त्री का अपना गृह जिला है इसलिये वहां खर्च भी शुरू हो गया है। लेकिन पालमपुर और सोलन में अभी कुछ भी खर्च नहीं हुआ है। मण्डी में वार्ड न. 4,8,9,10,11 और 12 में ज्यादा खर्च हुआ है। मण्डी में खर्च हुए पैसे का ब्योरा यह है।
मण्डी मुख्यमन्त्री का गृह जिला है। फिर मण्डी में पंडित सुखराम परिवार का अपना एक स्थान और योगदान है। यह पंडित सुखराम की संचार क्रान्ति का ही योगदान है कि मण्डी के सिराज जैसे क्षेत्र में भी आज दूरसंचार सुविधायें उपलब्ध हैं। इस समय सुखराम परिवार और जयराम ठाकुर तथा महेन्द्र सिंह के साथ 36 का आंकड़ा चल रहा है। चुनाव प्रचार में जयराम की पूरी टीम अनिल शर्मा को हर वार्ड में कोसना नहीं भूल रही है। अनिल शर्मा ने अभी तक इसका कोई जवाब नहीं दिया है। संभव है कि वह आखिरी दिनों में पत्रकार वार्ता करके इसका जवाब देंगे। फिर मण्डी नगर निगम के सत्रह वार्ड हैं। लेकिन जो 29 लाख रूपया अभी निगम के नाम पर खर्च किया गया है वह केवल छः वार्डो में ही है। छः वर्षों में ही पार्टी के विद्रोही उम्मीदवार भी मैदान में हैं और चुनाव पार्टी चिन्ह पर हो रहे हैं। ऐसे में यह चुनाव परिणाम सरकार के साथ ही मुख्यमन्त्री को व्यक्तिगत रूप से भी प्रभावित करेंगे यह तय है।
इसी तरह धर्मशाला नगर निगम में पिछले तीन वर्षों में केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक सभी स्त्रोतों से केवल 61 करोड़ की धन राशी ही प्राप्त हुई है। यह जानकारी शहरी विकास मन्त्री ने विधानसभा में विधायक विशाल नेहरिया के एक प्रश्न के उत्तर में दी है। लेकिन कांगड़ा के सांसद और धर्मशाला के ही विधायक रहे किश्न कपूर ने आरोप लगाया है कि केन्द्र ने धर्मशाला के 271 करोड़ रूपये स्मार्ट सिटी परियोजना में दिये हैं और उसके खर्च में घपला हुआ है। लेकिन विधानसभा में आये उत्तर से कूपर के इस आंकड़े में भारी अन्तर है। ऐसे में आंकड़ों और आरोपों का यह खेल इन चुनावों में किस करवट बैठता है यह देखना रोचक होगा।