शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश भाजपा के प्रभारी और सह प्रभारी दोनों बदल दिये गये हैं। हिमाचल ही नही बल्कि अन्य राज्यों के प्रभारी भी बदले गये हैं। इस नाते हिमाचल के संद्धर्भ में इस बदलाव को अलग से देखने आंकने की कोई ज्यादा आवश्यकता नही बनती है। लेकिन प्रदेेश भाजपा के अन्दर जो कुछ पिछले कुछ असरे से घट रहा है उस परिदृश्य में यह बदलाव महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि हाईकमान सबसे पहले और सबसे ज्यादा अधिमान राज्य के बारे में प्रभारी की रिपोर्ट को ही देता है। कई बार प्रभारी हाईकमान के सामने बहुत सारी चीजों को आने ही नही देते हैं क्योंकि वह ज्यादातर सरकार से प्रभावित रहते हैं। सरकार के कारण बहुत सारे कार्यकर्ता तो प्रभारी तक पहुुच ही नही पाते है। प्रभारी सभी कार्यकर्ताओं को जान ही नही पाते हैं। भाजपा के पिछले प्रभारी मंगल पंाडे की इस संद्धर्भ में बहुत सारी स्वभाविक सीमाएं रही हैं क्योंकि वह स्वयं बिहार के रहने वाले थे इस नाते हिमाचल के सभी लोगों को समझना-जानना उनके लिये संभव था ही नही। फिर वह प्रभारी के साथ-साथ बिहार में मन्त्री भी थे। इस परिप्रेक्ष में अब जो प्रभारी अविनाश राय खन्ना लगाये गये हैं वह हिमाचल के बारे में सारी जानकारी रखते हैं क्योंकि पंजाब से ताल्लुक रखते हैं। गडशंकर एकदम ऊना से लगा क्षेत्र है। 1966 तक तो आज का आधा हिमाचल पंजाब ही था। इस कारण खन्ना एक ऐसे प्रभारी सिद्ध होंगे जो राज्य सरकार की फीडबैक पर निर्भर नही करेंगे। यही स्थिति सह प्रभारी टण्डन की है क्योंकि वह चण्डीगढ से हैं। इस परिप्रेक्ष में यह बदलाव महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेताओं शान्ता कुमार और प्रेम कुमार धूमल को प्रभारी और सह प्रभारी बहुत अरसे से व्यक्तिगत स्तर पर जानते है। संभवतः इसी कारण से भाजपा के भीतर इन नियुक्तियोें के बाद एक हलचल शुरू हो गयी है। कई कयास लगने शुरू हो गये हैं इस हलचल का आधार यह माना जा रहा है कि जब प्रभारियों की नियुक्तियों को दिल्ली में अन्तिम रूप दिया जा रहा था उस समय केन्द्रिय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर प्रदेश के दौरे पर थे। उन्हंे यह दौरा बीच में ही छोड़कर दिल्ली बुला लिया गया। उनके कार्यक्रमों को यहां पर संासद किश्न कपूर ने पूरा किया। अनुराग के दिल्ली वापिस जाने के बाद प्रभारियों का यह फैसला आया और उसके बाद उन्हंे जम्मू कश्मीर के निकाय चुनावों के लिये प्रभारी भी नियुक्त कर दिया गया। आने वाले दिनों में केन्द्रिय मन्त्रीमण्डल में भी फेरबदल होने जा रहा है। इस फेरबदल में अनुराग के प्रभावित होने की भी अटकले हैं हिमाचल में सरकार को तीन वर्ष हो गये है। हिमाचल में हर चुनाव में सरकार बदल जाती है यह इतिहास रहा है। इस बार सरकार लम्बे अरसे से विवादों में चल रही है यह विवाद भी अपने ही लोगों के कारण रहे हैं। सरकार और उसके मन्त्रीयों की कारगुजारियों को लेकर कई गुमनाम पत्र अपने ही कार्यकर्ता लिख चुके हैं। एक पत्र पर हुई हलचल का परिणाम है अपने ही पूर्व मन्त्री के खिलाफ एफआईआर बाद में इसी प्रंसग में निदेशक स्वास्थ के खिलाफ मामला बना और गिरफ्तारी हुई। स्वास्थ्य मन्त्री बदला, विधानसभा अध्यक्ष बदला और फिर पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी गयी। संगठन में नये अध्यक्ष के आने के बाद कई स्थानों पर संगठन की ईकाईयों में फेरबदल हुआ। सरवीण चैधरी, रमेश धवाला, पवन राणा, राजीव बिन्दल, महेन्द्र सिंह और नरेन्द्र बरागटा सबके सब अपने-अपने में मुद्दा बने हुए हंै। सोलन में पार्टी कार्यालय के लिये ली गयी ज़मीन में जो घपला हुआ है उससे यह सन्देश गया है कि जो पार्टी अपने ही घर में घपला कर सकती है वह अन्य जगहों पर क्या कुछ करती होगी। स्वभाविक है कि जिस सरकार के साये तले इतना सब कुछ घट जाये उसके सत्ता मेें वापसी करने को लेकर सोचना भी दूर की बात हो जाती है। सरकार किन लोगों के प्रभाव में काम कर रही है यह अब एक सामान्य जन चर्चा बन चुकी है लेकिन शायद पार्टी हाईकमान ही इस जमीनी हकीकत से अनभिज्ञ रही है।
संभव है कि पूर्व प्रभारी हिमाचल का आकलन भी बिहार के आईने से ही करते रहे हैं इसीलिये इस सब पर ध्यान नही दिया गया। माना जा रहा है कि नये प्रभारी इस सब कुछ को तुरन्त प्रभाव से हाईकमान के संज्ञान में लायंेगे। क्योंकि हिमाचल के सन्द्धर्भ में यह जो कुछ घट चुका है बहुत मायने रखता है। अब तो अदालत तक ने सात विभागों के खिलाफ कड़ी कारवाई करने की अनुशंसा कर दी है। इसी के साथ प्रदेश लोक सेवा आयोग में नयी नियुक्तियों से पहले नये नियम बनाने और प्रक्रिया तय करने का मामला भी इस सरकार के लिये एक परीक्षा से कम नही होने वाला है हर आदमी की निगाहें इस ओर लगी हुई हैं।