स्वास्थ्य विभाग की खरीद पर उठते सवालों का स्पष्टीकरण केन्द्रिय लोक निर्माण विभाग से क्यों

Created on Tuesday, 20 October 2020 12:51
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। पूर्व स्वास्थ्य मन्त्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ठाकुर कौल सिंह ने प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में कोरोना काल के दौरान की गयी खरीददारीयों में बड़ा घोटाला होने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेताओं जीएस बाली, चन्द्र कुमार और विपल्व ठाकुर के साथ एक संयुक्त पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए यह आरोप लगाया कि विभाग ने 514 रूपये का आक्सीजन मीटर 29506 रूपये का मास्क 16 और 9000 का आक्सीजन गैस सिलैण्डर 15700 रूपये में खरीद कर घोटाला किया गया है। आरोप लगाया गया 15 आईटमों की खरीद में ही 24,49000 रूपये का घपला किया गया है। विभाग में हुई कुल खरीददारीयों में उसे 4 करोड़ का घपला होने का आरोप है। आक्सीजन गैस पाईप लाईन सिलैण्डर सप्लाई करने और उन्हें लगाने की पूरी प्रक्रिया का काम केन्द्रिय लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया है। मैडिकल से संबंधित इन आईटमों के मानदण्ड और मानक क्या थे और सप्लाई किये गये उपकरण इन मानको पर पूरे उतरते हैं या नहीं इसको लेकर कोई खुलासा पत्राकार वार्ता में नही किया गया है। यह खरीद कोरोना काल में की गयी जब पूरे देश में लाॅकडाऊन चल रहा था और यातायात के सारे साधन बन्द थे। हालात की इसी गंभीरता को ध्यान मे रखते हुए दवाईयोें और उपकरणों की खरीद के लिये प्रदेश के वित्त विभाग ने खरीद नियमों में भी आवश्यक बदलाव कर दिये थे। नियमों के बदलाव के परिदृश्य में स्वास्थ्य विभाग की खरीद सवालों के घेरे से बाहर हो जाती है। लेकिन विधान सभा के मानसून सत्र में जब विधायक लखविन्दर राणा, राम लाल ठाकुर और रमेश धवाला ने यह सवाल पूछा कि गत तीन वर्षों में 31-1-2020 तक किस किस फर्म से कितनी कितनी धनराशी की दवाईयां और उपकरण खरीदे गये और सरकार द्वारा रोगियों को जो मुफ्त दवाईयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं उनके सैंपल फेल हुए हैं। यह जानकारी सदन में रखने की बजाये जबाव दिया गया कि सूचना एकत्रित की जा रही है। यह सवाल कोविड से पहले की खरीद पर था और विभाग पर बहुत पहले ही इस संबंध में सवाल उठने शुरू हो गये थे। ऐसे में जब जबाव में यह कहा जायेगा कि सूचना एकत्रित की जा रही है तो निश्चित रूप से इस सन्देह को बल मिलेगा कि कुछ छुपाया जा रहा है। अब जब कांग्रेस नेताओं ने विभाग की खरीद पर सवाल उठाये हैं तो उस पर केन्द्रिय लोक निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियन्ता विद्युत केन्द्रिय लोक निर्माण विभाग लौंग बुड शिमला की ओर से जारी किया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि इन मानको के उपकरण मांगे गये थे और बोली दाता को किन मानदण्डांे पर पूरा उतरना था। यह स्पष्ट किया गया है कि इस खरीद के लिये पहले 16-5-2020 को ई-निविदायें आमन्त्रित की गयी लेकिन कोई आवेदन नही आया। इस कारण 23-5-2020 को फिर ई निविदायें आमन्त्रित की गयीं और चार निविदायें आयी। पूरी प्रक्रिया अपनाते हुए न्यूनतम बोली दाता को खरीद का आर्डर दिया गया। पूरी प्रक्रिया एकदम पारदर्शी और न्यूनतम बोलीदाता सारे मानकों को पूरा करता है इसलिये खरीद पर सवाल उठाना तथ्यहीन और गलत है।
यह स्पष्टीकरण केन्द्रिय लोक निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियन्ता (विद्युत) द्वारा जारी किया गया है। इससे यह आभास होता है कि यह निविदायें प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने नहीं बल्कि केन्द्रिय लोक निर्माण ने आमन्त्रित की थी। यहां यह सवाल उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिये खरीद ऐजैन्सी केन्द्रिय लोक निर्माण विभाग को बना रखा था? यदि ऐसा था तो यह कब किया गया? जो स्पष्टीकरण आया है उसके मुताबिक चार बोलीदाता थे लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या केन्द्रिय लोक निर्माण विभाग भी एक बोलीदाता था। यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह केन्द्रिय लोकनिर्माण विभाग यह उपकरण स्वयं बनाता है? क्या वह ऐसे उपकरणों की गुणवता जांचने के विशेषज्ञ हैं। केन्द्रिय लोक निर्माण विभाग ने किस अधिकार से यह स्पष्टीकरण जारी किया है यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। बल्कि इससे अनचाहे ही यह मामला और उलझ जाता है। क्योंकि खरीद पर आरोप तो कीमतों को लेकर लगाये गये हैं और स्पष्टीकरण प्रक्रिया को लेकर दिया गया है।