केन्द्र सरकार ने खर्चे कम करने के लिये नौकरीयों पर लगाया प्रतिबन्ध क्या जयराम सरकार भी ऐसा करेगी

Created on Tuesday, 15 September 2020 11:29
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। देश की आर्थिक स्थिति किस कदर बिगड़ चुकी है इसका अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जीडीपी शून्य से भी 24% नीचे चली गयी है। एक समय जनता को जो विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होने का सपना परोसा गया था वह अब टूट गया है। सारे सरकारी उपक्रमों को निजिक्षेत्र के हवाले किया जा रहा है। इसी निजिकरण के परिणाम स्वरूप रेल, एयरपोर्ट, बन्दरगाह और सौर ऊर्जा पर अदानी का कब्जा बढ़ता जा रहा है। पैट्रोल, डीजल, रसोई गैस और दूरसंचार व्यवस्था पर अंबानी का अधिपत्य है। ऐसे कई और घराने हैं जो नीजिकरण की नीति के परिणाम स्वरूप मालामाल होने जा रहे हैं। राष्ट्रीय बैंको को नीजिक्षेत्र के हवाले किये जाने का फैसला कभी भी सुनने को मिल सकता है। करोड़ों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। मनरेगा मे मिलने वाला 120 दिन का रोज़गार अब 90 दिन का ही रह गया है।
केन्द्र सरकार राज्यों को जीएसटी का हिस्सा देने में असमर्थता व्यक्त कर चुकी है। हिमाचल को दिये गये 69 राष्ट्रीय राज मार्गों का किस्सा खत्म होने के बाद पहले से चल रहे मटौर-शिमला मार्ग से भी केन्द्र ने अपने हाथ पीछे खींच लिये हैं। राष्ट्रीय उच्च मार्ग अभिकरण ने इस आश्य का पत्र प्रदेश सरकार को भेज दिया है। केन्द्र की आर्थिक स्थिति कितनी कमजोर हो गयी है इसका प्रभाव अब नयी नौकरियों पर लगाये गये प्रतिबन्ध से सामने आ गया है। केन्द्र के वित्त मंत्रालय ने खर्चे कम करने के लिये सारे मन्त्रालयों/विभागों और अन्य संस्थानों पर यह प्रतिबन्ध लगा दिया गया है कि कोई भी नया पद सृजित नही किया जायेगा न ही कोई पद भरा जायेगा। एक जुलाई के बाद से आये ऐसे सारे आवेदन रद्द समझे जायेंगे। वित्त मन्त्रालय ने यह आदेश 4 सितम्बर को जारी किया है। इससे पहले 2 सितम्बर को जारी एक आदेश में नये वर्ष के उपलक्ष्य में छपने वाले सारे सरकारी कलैण्डरों/डायरीयों आादि के मुद्रण पर भी पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। इसके लिये डिजिटल होने का तर्क दिया गया है। केन्द्र के इन आदेशों / निर्देशों से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या राज्य सरकार भी इन आदेशों की अनुपालना करेगी या नहीं। केन्द्र के यह आदेश पहली जुलाई से लागू हो गये हैं। इनके मुताबिक सारे अवांच्छित खर्चों पर रोक लगा दी गयी है। लेकिन प्रदेश में तो पहली जुलाई के बाद ही मन्त्रीमण्डल का विस्तार करके तीन नये मन्त्री बनाये गये हैं। कई नेताओं की ताजपोशीयां हुई हैं। हर माह मन्त्रीमण्डल की बैठकों में नये पदों की भर्तीयों की घोषणाएं हुई हैं कई आवदेन आये हैं। मुख्यमन्त्री प्रदेश के कई भागों में जाकर लोगों को करोड़ों की घोषणाएं दे आये है। केन्द्र के इन आदेशों से स्पष्ट हो जाता है कि निकट भविष्य में यह संभव नही हो पायेगा कि केन्द्र से राज्य को कोई आर्थिक सहयोग मिल पायेगा। ऐसे में प्रदेश सरकार के पास अपनी घोषणाओं और आश्वासनों को पूरा करने के लिये कर्ज लेने के अतिरिक्त कोई विकल्प नही रह जायेगा फिर कर्ज के लिये भी जीडीपी का शून्य से नीचे जाना एक बड़ा संकट होगा। इस परिदृश्य यह बड़ा सवाल होगा कि जयराम सरकार केन्द्र के इन कदमों के बाद प्रदेश में क्या फैसला लेती है।