शिमला/शैल। देश में कोरोना के कहर से कब निजात मिलेगी शायद कोई भी निश्चित रूप से यह कहने की स्थिति में नही है। अभी भी सारे शैक्षणिक संस्थान और धार्मिक संस्थान बंद चल रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय से लेकर अधीनस्थ अदालतों तक सब जगह आनलाईन प्रणाली से काम हो रहा है। ग्राम सभा तक की बैठके नही हो पा रही हैं। कोरोना की दवाई कब तक बाजार में आ पायेगी यह भी अभी अनिश्चितता में ही चल रहा है। लेकिन इसी वर्ष हिमाचल में पंचायत चुनाव होने हैं। सरकार ने यह चुनाव तय समय पर करवाने की घोषणा कर रखी है। आईएमए के अनुसार कोरोना अब सामुदायिक संक्रमण की शक्ल ले चुका है। कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और विशेषज्ञों के मुताबिक इसका शिखर अभी आना शेष है। इसके चलते पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है।
इसी वर्ष देश में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। बिहार विधानसभा चुनावों के लिये भाजपा ने वर्चुअल रैलीयों के आयोजन का कार्यक्रम चालू कर दिया है। जबकि बिहार में कोरोना के कारण अभी भी कई जगहों पर लाॅडाऊन लागू है। बिहार के मुख्य विपक्षी दल आर.जे.डी. ने चुनाव आयोग से विधानसभा चुनाव टालने का आग्रह किया है। इस परिदृश्य में यह एक रोचक स्थिति बन गयी है कि यदि इन चुनावों तक कोरोना का कहर यथास्थिति बना रहता है तो क्या उस स्थिति में भी चुनाव आयोग यह चुनाव करवाने के आदेश जारी कर देता है या नही। यदि कोरोना काल में ही यह चुनाव करवा दिये जाते हैं तो इसमें निश्चित रूप से इस संद्धर्भ में जारी दिशा निर्देशों की खुलकर उल्लंघना होगी और फिर कोई भी इन निर्देशों की अनुपालना करने के लिये तैयार नही होगा।
इस परिदृश्य में इन चुनावों को छः माह के लिये टालने की मांग उठने लग पड़ी है। हिमाचल से भी इस आश्य का एक आग्रह चुनाव आयोग को गया है।